घटोत्कच (भीम पुत्र) का जीवन परिचय- घटोत्कच का प्रसंग महाभारत में आया है। उसके अनुसार लाक्षागृह की अग्नि से सुरक्षित बचने के बाद पांडव एक वृक्ष के नीचे निद्रारत थे। हिडिंब नाम के राक्षस ने तब अपनी बहन हिडिंबा को इनका वध करने के लिए भेजा, किंतु वह पहरा दे रहे भीम पर मोहित हो गई। जब हिडिंब उसकी तलाश में निकला तो भीम ने उसे मार दिया। आगे युधिष्ठिर के आग्रह पर भीम ने हिडिंबा से इस शर्त पर विवाह कर लिया कि पुत्र पैदा होने के पश्चात् इनका संबंध स्वतः ही समाप्त हो जाएगा। घटोत्कच इसी पांडव भीम का पुत्र था। जन्म के समय उसके सिर पर केश नहीं थे। घड़े जैसा सिर होने के कारण ही इनका नाम घटोत्कच रखा गया। इस अति बलवान पुत्र का पालन-पोषण माता के सान्निध्य में हुआ। महाभारत युद्ध में ये पांडवों की ओर से शामिल हुआ था।
इसकी बहादुरी से कौरव-पक्ष में कोहराम मच गया। जब इसने दुर्योधन के समक्ष जाकर ये घोषणा की कि मैं शीघ्र ही कर्ण का सिर काटकर आपके सम्मुख रख दूंगा तो दुर्योधन के जोर देने पर कर्ण ने घटोत्कच पर इंद्र की दी हुई एकछिन नामक अमोघ शक्ति का प्रयोग किया, जिसे वह सिर्फ अर्जुन पर प्रयुक्त करना चाहता था। घटोत्कच मारा गया, किंतु अर्जुन के लिए कर्ण पर जीत पाने का रास्ता खुल गया।
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