रज़िया सुल्ताना का जीवन परिचय (Razia Sultan Biography in Hindi)- ‘अवसर मिलने पर नारी ने प्रत्येक काल में स्वयं को समर्थ साबित किया है।’ रजिया सुल्ताना भी इस आदर्श वाक्य के परिप्रेक्ष्य में अपवाद साबित नहीं हुई। रज़िया ने उस विश्वास को सार्थक किया, जो उस पर व्यक्त किया गया था। यह सर्वव्यापी सच्चाई है कि नारी को वह सम्मान प्राप्त नहीं हुआ, जिसकी वह अधिकारिणी रही है। पुरुष-सत्ता वाली इस दुनिया में नारी का शोषण ही ज्यादा किया गया है। जबकि नारी को ईश्वर ने पुरुष का पूरक बनाया था।
रज़िया सुल्तान का इतिहास (Razia Sultan History in Hindi)
पूरा नाम | रज़िया अल-दिन |
जन्म और जन्मस्थान | 1205,बदायूँ |
पिता का नाम | इल्तुतमिश |
माता का नाम | कुतुब बेगम |
पति का नाम | मलिक अल्तुनिया |
राज्याभिषेक | 10 नवंबर 1236 |
शासनावधि | 1236 – 1240 |
वंश | गुलाम वंश |
धर्म | इस्लाम |
निधन | 14 अक्टूबर 1240, कैथल (हरियाणा) |
रजिया सुल्ताना हिंदुस्तानी इतिहास में एकमात्र ऐसी महिला रही है, जो दिल्ली के सिंहासन पर आसीन हुई थी। रजिया सुल्ताना दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश की पुत्री थी। इल्तुतमिश अपने पुत्र नसीरूद्दीन को अपना वारिस बनाना चाहता था, किंतु वह अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गया। दूसरे पुत्रों की तुलना में रजिया ज्यादा प्रतिभावान थी, इस कारण इल्तुतमिश ने रज़िया को ही वारिस बनाने का इरादा कर लिया, लेकिन तुर्क सरदार एक औरत को शासनाध्यक्ष के रूप में कबूल करने के लिए रजामंद नहीं हुए। अतः इल्तुतमिश की मौत के पश्चात् उसके बेटे रुकनुद्दीन को सिंहासन पर बैठा दिया गया, लेकिन रुकनुद्दीन राजकार्य की अनदेखी करके अपना संपूर्ण समय अय्याशी में ही गुजारने लगा तो प्रजा ने इनका विरोध किया। लोग रज़िया के समर्थन में आ गए। शासन में अनुचित दखल के कारण रुकनुद्दीन और उसकी मां को जेल में डाल दिया गया, जहां इनका निधन हो गया।
रज़िया ने दिल्ली की सुल्ताना के रूप में 1236 से 1240 तक हुकूमत की। इसने मुल्तान, हांसी, लाहौर तथा बदायूं के बगावती हाकिमों को इस दक्षता से कुचला कि दूसरे प्रांतीय शासकों को सबक मिले। यह बुर्का त्यागकर दरबार में बैठती थी। इसने शासन पर से तुर्कों की बपौती का अंत किया और एक हब्शी जमालुद्दीन याकूत को इसने अपना प्रधान सेनापति तैनात किया। यह उस पर अगाध विश्वास करती थी।
शनैः-शनैः रज़िया के प्रति विरोध बढ़ने लगा। भटिंडा के हाकिम अल्तूनिया की अगुवाई में जब बगावती आगे बढ़े तो रज़िया ने इनका स्वयं भी मुकाबला किया। युद्ध में प्रधान सेनापति याकूत शहीद हुआ और रज़िया को अल्तूनिया ने कैद कर लिया, लेकिन नीति निपुण रज़िया ने अल्तूनिया से निकाह करके उसे अपनी तरफ मिला लिया। दोनों ने मिलकर पुनः दिल्ली पर अधिकार करने का प्रयास किया, पर नाकाम रहे। मान्यता है कि दोनों भागते समय डाकुओं के हत्थे चढ़ गए और इनके द्वारा मारे गए। जबकि कुछ इतिहासकार इसे राजनीतिक हत्या करार देते हैं।
FAQ
रजिया सुल्तान का जन्म 1205 में हुआ था। रजिया के पिता का नाम इल्तुतमिश था। यह भारत की सबसे पहली महिला थी, जिसने राज्य की सुरक्षा का जिम्मा अपने हाथ में लेने का फैसला किया था।
दरअसल रजिया सुल्तान इल्तुतमिश की बेटी थी। वह अपने बड़े बेटे को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे, लेकिन दुर्भाग्यवश उनके बड़े बेटे की मृत्यु अल्पायु में ही हो गई। जिसके बाद रजिया सुल्तान के प्रशासनिक और सैनिक कुशलता को देखते हुए इल्तुतमिश ने रजिया सुल्तान को अपना उत्तराधिकारी बनाने की तैयारी की।
रजिया को उसके पिता की मृत्यु के बाद उसको सुल्ताना बनाया गया, पर वह खुद को सुल्तान कह कर संबोधित करती थी, इसलिए उसका नाम रजिया सुल्तान पड़ा।
दरअसल तुर्की अमीर तलवार को ही योग्यता का एकमात्र आधार मानते थे, जिस कारण उन्हें औरत के अधीन रहकर काम करना बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं था। इसके अतिरिक्त रजिया सुल्तान से विवाह करने के भी सपने देखते थे। ऐसे में रजिया सुल्तान का उनके गुलाम याकूत से मोहब्बत के किस्से सुनकर भी वे रजिया सुल्तान के विरोध हो गए थे।
रजिया सुल्तान की शादी अल्तुनिया से हुई थी, जिसके बाद इनका प्यार रजिया सुल्तान की मौत का कारण बना था।
रजिया सुल्तान बचपन से ही मुस्लिम राजकुमारों की तरह सेनाका नेतृत्व तथा प्रशासन के कार्यों में निपुण थी।
रजिया सुल्तान का जन्म बदायूँ में गुलाम वंश में हुआ था।
रजिया सुल्तान का पूरा नाम रज़िया अल-दिन था।
रजिया सुल्तान भारत की पहली मुस्लिम शासिका थी, जिसने दिल्ली सल्तनत पर शासन किया था और पर्दा प्रथा को त्याग कर मर्दों की तरह कपड़े पहन के दरबार में बैठा करती थी।
रजिया सुल्तान के पिता का नाम इल्तुतमिश था।
रजिया ने 1236 से 1240 तक 4 वर्ष सत्ता संभाली थी।
रजिया सुल्तान गुलाम वंश की थी।
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