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रानी दुर्गावती का जीवन परिचय | Biography of Rani Durgavati in Hindi

रानी दुर्गावती का जीवन परिचय
रानी दुर्गावती का जीवन परिचय

रानी दुर्गावती का जीवन परिचय (Biography of Rani Durgavati in Hindi)- ‘रानी दुर्गावती’ भारतीय नारी की वीरता को इतिहास में स्वर्णिम आभा प्रदान करने वाला एक यशस्वी नाम रहा है, लेकिन इस नाम के उस पार देश व कीर्ति है तो उस पार मुगल सम्राट बादशाह अकबर के अपयश की गाथा भी नजर आ जाती है। अकबर की साम्राज्यवादी नीति का चेहरा रानी दुर्गावती की शहादत से नुमायां हो गया था। शासन विस्तार की लालसा के कारण रानी दुर्गावती के राज्य पर हमला करके रानी एवं इनके नाबालिग पुत्र को मौत के घाट उतार दिया गया। गोंडवाना की रानी दुर्गावती को एक बहादुर रानी कहा जाता है।

रानी दुर्गावती के जीवन का इतिहास  Rani Durgavati Life History In Hindi

रानी दुर्गावती के जीवन परिचय बिन्दुओं को निम्न तालिका में दर्शाया गया है-

क्र.. जीवन परिचय बिंदु जीवन परिचय
1. नाम रानी दुर्गावती
2. जन्म 5 अक्टूबर सन 1524
3. जन्म स्थान कालिंजर किला (बाँदा, उत्तर प्रदेश)
4. पिता कीरत राय
5. पति दलपत शाह
6. संतान वीर नारायण
7. धर्म हिन्दू
8. प्रसिद्धी गोंडवाना राज्य की शासक, वीरांगना
9. मृत्यु 24 जून 1564
10. कर्म भूमि भारत
11. विशेष योगदान इन्होंने अनेक मंदिर, मठ, कुएं और  धर्मशालाएं बनवाई
12. मृत्यु स्थान महाराष्ट्र

ये महोबा के चंदेल राजा शालिवाहन की पुत्री थीं और गढकटंग के राजा दलपत शाह के साथ इनका पाणिग्रहण हुआ था, लेकिन ये जल्दी ही विधवा हो गईं। उस समय इनका पुत्र वीरनारायण नाबालिग ही था। रानी उसकी तरफ से स्वयं शासन करने लगीं। इसी दौरान मालवा के बाज़ बहादुर और बंगाल के अफगानों ने गोंडवाना पर हमला कर दिया, लेकिन रानी के रणकौशल के कारण इन्हें परास्त होना पड़ा। अकबर गढ़कटंग पर कब्जा करना चाहता था। उसके इशारे पर इलाहाबाद का शासक आसफ खां रानी के राज्य में लूटपाट करने लगा। रानी ने अपना दूत अकबर के पास भेजकर उन कृत्यों की रोकथाम चाही, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला।

यह देखकर रानी ने अपने राज्य की सुरक्षा हेतु युद्ध की तैयारी शुरू कर दी। आसफ खां 50,000 सैनिक लेकर दमोह पहुंच गया। रानी ने अपनी मामूली सेना और पुत्र को साथ लेकर इनका मुकाबला किया। इस युद्ध में मुगल सेना को तीन बार पीछे हटना पड़, लेकिन रानी का पुत्र जख्मी हो गया। उसे रानी के सैनिकों की देखरेख में सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया। रानी के साथ सिर्फ 300 सैनिक रह गए, किंतु इन्होंने शौर्य के साथ युद्ध करना जारी रखा। रानी को दो तीर भी लगे और ये मूर्च्छित हो गईं। होश आने के पश्चात् रानी ने देखा कि ये परास्त हो चुकी हैं तो शत्रुओं के हाथ न आने के लिए इन्होंने खुद कटार से वार कर प्राण त्याग दिए। पुत्र ने संघर्ष जारी रखा, लेकिन वह भी मारा गया। इस जीत के बाद आसफ खां अपार संपत्ति लूटकर अकबर के नजराने के लिए ले गया था, लेकिन अपयश का अप्रत्यक्ष नजराना भी इसके साथ था।

FAQ

Q- रानी दुर्गावती किस वंश से थी?

Ans- रानी दुर्गावती चंदेल वंश से थी।

Q- रानी दुर्गावती के पति का नाम क्या था?

Ans- दलपल शाह था उनके पति का नाम।

Q- रानी दुर्गावति ने कितने युद्ध लड़े?

Ans- रानी दुर्गावति ने 50 से ज्यादा युद्ध लड़े हैं।

Q- रानी दुर्गावति बलिदान दिवस कब मनाया जाता है?

Ans- 24 जून को मनाया जाता है उनका बलिदान दिवस।

Q- रानी दुर्गावति की मृत्यृ कब हुई?

Ans- 24 जून 1564 में हुई रानी दुर्गावति की मृत्यृ।

Q-रानी दुर्गावती के पिता का नाम ?

Ans- कीरत राय

Q- रानी दुर्गावती कहां की रानी थी ?

Ans- रानी दुर्गावती गोंडवाना साम्राज्य की रानी थी। ‌गोंडवाना राज्य की रक्षा के लिए रानी जी ने अंतिम समय तक अपने साम्राज्य के लिए लड़ाई की थी।

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