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चांद बीबी का जीवन परिचय | Sultana Chand Bibi Biography In Hindi

चांद बीबी का जीवन परिचय
चांद बीबी का जीवन परिचय

चांद बीबी का जीवन परिचय (Sultana Chand Bibi Biography In Hindi)- भारतीय वीरांगनाओं की परंपरा का दीर्घकालीन इतिहास रहा है। उन वीरांगनाओं में चांद बीबी का नाम भी संपूर्ण गरिमा के साथ इतिहास में दर्ज किया गया है। यद्यपि इतिहासकार इनके जन्म के बारे में पूर्णतया एकराय नहीं हैं, तथापि माना जाता है कि इनका जन्म 1545 से 1550 के मध्य ही हुआ होगा। चांद बीबी का ही शौर्य था कि इनके द्वारा मुगल बादशाह अकबर की सेना का सामना करने के पश्चात् चांद बीबी ने अकबर को संधि करने पर विवश भी कर दिया था।

चांद बीबी का जन्म अहमदनगर के तीसरे शासक हुसैन निजामशाह के परिवार में उनकी पुत्री के बतौर हुआ था। विवाह योग्य उम्र के पश्चात् इनका विवाह बीजापुर के पांचवें सुल्तान अली आदिल शाह के साथ संपन्न हुआ था। अली आदिल शाह 1557 से 1580 मृत्युपर्यंत सुल्तान रहा था। 1580 में जब पति का निधन हुआ तो ये अपने नाबालिग पुत्र आदिलशाह द्वितीय की अभिभावक बनीं। 1584 में वह सदैव के लिए अपनी जन्मभूमि अहमदनगर चली आईं। 1591 में अकबर ने दक्षिण विजय का अभियान चलाया। वहां के चार राज्यों में से अहमदनगर, गोलकुंडा व बीजापुर ने उसके प्रतिनिधि की अधीनता मानने का प्रस्ताव नामंजूर कर दिया। सिर्फ खान देश के बुजदिल शासक ने अकबर का आधिपत्य स्वीकार किया। इस पर अकबर ने अपने पुत्र मुराद को शेष राज्य पर हमला करने का आदेश दिया। अहमदनगर में चांद बीबी की हुकूमत थी। ये बड़ी दक्ष राजनीतिज्ञ और रण-कौशल में भी निपुण थीं। मुराद ने अपने हमले का केंद्र सर्वप्रथम अहमदनगर को ही बनाया था। यह देखकर चांद बीबी ने अपने राज्य की हिफाजत का बड़ी कुशलता से इंतजाम किया, लेकिन वहां शिया-सुन्नियों में परस्पर गहरी शत्रुता थी। उनमें से एक दल मुराद से जा मिला। फिर भी चांद बीबी ने हौसला बनाए रखा और उसकी कुशल नीति का ही नतीजा था कि गद्दारी पर आमादा दल भी अहमदनगर की रक्षार्थ तैयार हो गया। फिर मुराद की फौज को पीछे भी हटना पड़ा और उसने संधि का प्रस्ताव रखा। चांद बीबी के पास भी सैन्य साधनों की कमी हो गई थी। अतः इन्होंने बरार का इलाका अकबर के सुपुर्द कर समझौता कर लिया। अगले 5 वर्षों तक अकबर ने अहमदनगर पर हमला करने की हिम्मत नहीं की। तदंतर अमीर व सरदारों ने षड्यंत्र रचकर चांद बीबी को मार डाला। उसके बाद ही अकबर का छोटा बेटा अहमदनगर पर पूर्ण अधिकार कर पाया था।

चांद बीबी की बहादुरी का अकबर भी हृदय से कायल हो गया था। यही कारण था कि अपनी जीत के पश्चात् उसने पहला काम चांद बीबी के हत्यारों को मौत के घाट उतारने का किया था।

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