कुतुबुद्दीन ऐबक का जीवन परिचय (Biography of Qutb al-Din Aibak in Hindi)- ‘भाग्य की भूमिका प्रत्येक युग में प्रभावी रही है।’ कुतुबुद्दीन ऐबक भी इस कथन का अपवाद नहीं था, अन्यथा यह कैसे मुमकिन होता कि तुर्किस्तान के एक गुलाम घर में पैदा होने के पश्चात् वह सुल्तान की उपाधि प्राप्त करने में सफल हो पाया होता। गुलाम के रूप में कुतुबुद्दीन का सौदा उसके बाल्यकाल में ही कर दिया गया था। जिस व्यापारी ने उसे खरीदा था, उसका नाम काज़ी फखरूद्दीन बताया जाता है। क़ाज़ी ने खरीदे गए गुलाम की बाल्यावस्था में उचित परवरिश करने के अलावा उसकी शिक्षा का भी इंतजाम किया था। इससे प्रतीत होता है कि क़ाज़ी एक रहमदिल इंसान था, लेकिन क़ाज़ी के निधन के साथ ही गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक के दुर्भाग्य का आरंभ हुआ और क़ाज़ी के पुत्रों ने उसे गुलाम के रूप में किसी अन्य शख्स को बेच दिया।
नाम | कुतुबुद्दीन ऐबक قطب الدین ایبک |
जन्म | 1150 ई. तुर्किस्तान |
मृत्यु | 1210 ई. लाहौर |
धर्म | मुस्लिम |
शाखा | सुन्नी |
शासन काल | 1206 ई. – 1210 ई. |
संस्थापक | गुलाम वंश |
उपाधि | मलिक, सुल्तान ए हिंद, हातिमताई |
इस प्रकार कई मालिकों के द्वारा क्रय-विक्रय के पश्चात् यह मुहम्मद गोरी के द्वारा खरीदा गया। यहां आने के पश्चात् कतुबुद्दीन ऐबक का संपूर्ण भाग्य परिवर्तन हो गया। वह मुहम्मद गोरी की निगाह में चढ़ गया और उसकी वीरता तथा पराक्रम पर मुहम्मद गोरी मुग्ध हो गया। यही कारण था कि जब मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को परास्त किया तो साथ आए कुतुबुद्दीन ऐबक को उसने 1192 में अपना तमाम जीता गया हिंदुस्तानी क्षेत्र सौंप दिया था। जाहिर था कि कुतुबुद्दीन ऐबक को मुहम्मद गोरी के प्रतिनिधि के रूप में सुल्तान बना दिया गया था। फिर गोरी खुरासान चला गया था।
इस प्रकार कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली, कन्नौज, अजमेर, बिहार एवं बंगाल का शासक बन गया। दिल्ली पर पहली बार फिर मुसलमान व्यक्ति का शासन किया जाना संभव हुआ। इसके पूर्व दिल्ली पर हिंदुस्तानी शासक का ही शासन रहता आया था। ऐसी भी मान्यता है कि दिल्ली की विख्यात कुतुबमीनार भी कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा ही तैयार करवाई गई थी। गोरी की मृत्यु हो जाने के पश्चात् कुतुबुद्दीन सुल्तान बन गया। पहले तो यह मुहम्मद गोरी का प्रतिनिधि भर ही था। गोरी की मौत के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने सही अर्थों में सुल्तान की उपाधि प्राप्त की थी। फिर इसने बेहद चतुराई से शासन करना आरंभ किया।
गोरी के पूर्व सहयोगियों के परिवार से विवाह संबंध बनाकर उसने अपनी हैसियत और भी मजबूत कर ली। किरमान के शासक की पुत्री से खुद विवाह किया। अपनी बहन को सिंध के नासिरुद्दीन कुवाचा को दिया और अपनी पुत्री से अपने योग्य सेनापति इल्तुतमिश का निकाह पढ़वा दिया। कुतुबुद्दीन 1206 से 1210 तक मृत्यु होने तक गद्दीनशीं रहा। अश्व पोलो के मैदान में चोटग्रस्त हो जाने से उसका निधन हुआ। इतिहासकार इस बात पर सहमत हैं। अतः भाग्य ने ही एक गुलाम को दिल्ली का सुल्तान बना दिया था।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुलाम वंश की स्थापना की और वह गुलाम वंश का पहला सुल्तान हुआ।
कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा गुलाम वंश की स्थापना 1206 ई में की गयी थी। इसके बाद गुलाम वंश के शासकों ने 1290 ई तक तत्कालीन भारत पर राज किया था।
तुर्क सुल्तान मोहम्मद गोरी ने कुतुबुद्दीन ऐबक को अपना दास बनाया था। और उसे काजी के पुत्रों से बतौर गुलाम खरीदा था।