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कंबन का जीवन परिचय | कंबरामायण के रचयिता

कंबन का जीवन परिचय
कंबन का जीवन परिचय

कंबन का जीवन परिचय (कंबरामायण” के रचयिता)- प्रत्येक युग का अपना एक विशिष्ट महत्व होता है और प्राचीन समय की तुलना वर्तमान के साथ नहीं की जा सकती है। आज जिस वस्तु का सर्वाधिक महत्व है, संभव है कि आज से कुछ शताब्दियों पश्चात् उस वस्तु का महत्त्व सर्वथा अप्रासंगिक हो जाए। आज की उपभोक्तावादी संस्कृति में अध्यात्म का विचार पिछड़ा हुआ माना जा सकता है, लेकिन कंबन के समय में अध्यात्म अपने चरमोत्कर्ष पर था। कंबन की काव्य प्रतिभा विलक्षण थी। इस कारण अपने आदिपुरुष के योगदान को स्मरण करना अनिवार्य ही है।

तमिल भाषा के लोकप्रिय ग्रंथ ‘कंबरामायण’ के सृजक कंबन का जन्म तमिलनाडु के चोल राज्य में तिरुवलुंपूर नाम के ग्राम में हुआ था। यद्यपि इनके जन्म समय को नवीं या बारहवीं शताब्दी को लेकर इतिहासकारों के दावे पृथक रहे हैं। यहां तक कि इनका सही नाम भी विदित नहीं है, क्योंकि कंबन इनका उपनाम था। कंबन जब बालक थे, तभी इन्हें जन्म देने वाले माता पिता का निधन हो गया। अनाथ कंबन का पालनहार तब कोई न था। इनके दूर के एक रिश्तेदार अर्काट जिले के सदैयप्प वल्लल नामक धनवान कृषक के द्वार पर कंबन को रखकर चले गए थे। उदार वल्लल ने कंबन को अपने बच्चों की देख-रेख के कार्य के लिए घर में स्थान दिया। जब इन्होंने पाया कि इनके बच्चों के साथ कंबन भी अध्ययन में दिलचस्पी लेने लगा है तो इसकी शिक्षा का भी समूचा इंतजाम कर दिया। इस तरह कंबन को विद्या की प्राप्ति हुई और भीतर से काव्य का सृजन होने की प्राथमिकताएं पूर्ण हुई।

सदैयप्प वल्लल का चोल राजा के दरबार में आना जाना था। कंबन भी इनके साथ वहां जाने लगे। एक दिन इनके काव्य से प्रभावित होकर राजा ने इन्हें अपने दरबार का कवि नियुक्त कर दिया। राजा और वल्लल ने कंबन की काव्यक्षमता देखकर उनसे आग्रह किया कि ये वाल्मीकि रामायण को दृष्टिगत रखकर तमिल भाषा में रामकाव्य का सृजन करें। इस पर कंबन ने तमिल भाषा में सृजन कर दिखाया। यही रचना आज भी ‘कंबरामायण’ के नाम से विख्यात है। कंबरामायण में 10 हजार 50 पद हैं और यह बालकांड से युद्ध कांड तक 6 भागों में बंटी हुई है। इनके रचे हुए ग्यारह ग्रंथ और भी हैं, किंतु सबसे ज्यादा विख्यात ‘कंबरामायण’ ही है। इसमें कंबन ने द्रविड़ सभ्यता का बखान खास तौर पर किया है। ‘कवि सम्राट’ के सम्मान से विभूषित कंबन को तमिल भाषा का वाल्मीकि भी कहा जाता रहा है। एक मान्यता के अनुसार ये रचना 1178 में पूर्ण की गई।

कंबन ने रामायण निम्नलिखित में से किस भाषा में लिखी है?

उत्तर- तमिल

कंबन किसके दरबार में थे?

उत्तर- महाकवि कंबन चोल राजा “कुलोत्तुंग” के दरबार में थे। कंबन तमिल भाषा के प्रसिद्ध ग्रंथ “कंबरामायण” के रचयिता थे ।

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