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नेली सेन गुप्ता का जीवन परिचय | Nellie Sengupta Biography in hindi

नेली सेन गुप्ता का जीवन परिचय
नेली सेन गुप्ता का जीवन परिचय

नेली सेन गुप्ता का जीवन परिचय (Nellie Sengupta Biography in hindi)- नेली का जन्म 1886 में कैंब्रिज, इंग्लैंड में ही हुआ था। इन्हें वहीं शिक्षा प्राप्त की थी। चिटगांव तत्कालीन बंगाल के निवासी जतींद्र मोहन सेन गुप्ता पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए थे, वहीं 1909 में नेली से इनकी शादी संपन्न हुई और दोनों चिटगांव आ गए। 1921 के असहयोग आंदोलन में जब जतींद्र मोहन गुप्ता शरीक हुए तो नेली ने भी ऐश्वर्यपूर्ण जीवन का त्यागकर भारतीय स्वाधीनता संग्राम में आहुति देने का इरादा बना लिया। असम-बंगाल की रेल हड़ताल के प्रकरण में जब जतींद्र मोहन हिरासत में लिए गए तो नेली ने कमान संभाली। इन्होंने खादी निर्माण पर लगा प्रतिबंध तोड़ा और गिरफ्तार हुईं।

नेली सेन गुप्ता का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य रहा था 1933 की कोलकाता कांग्रेस की अध्यक्षता। इस अधिवेशन के लिए घोषित अध्यक्ष मदन मोहन मालवीय जी पूर्व में ही गिरफ्तार कर लिए गए थे। इस पर नेली को गुपचुप रूप से अध्यक्ष चुना गया, किंतु सरकार सतर्क थी। सरकार के भेदिए कांग्रेस में भी थे। इस कारण ब्रिटिश हुकूमत अधिवेशन रोकने के लिए प्रत्येक उपाय कर रही थी, जो भी स्वागताध्यक्ष बनाया जाता उसे गिरफ्तार कर लिया जाता, जो स्थान निर्धारित होता, उसे पुलिस अपने नियंत्रण में कर लेती। इस पर लोगों ने बेहद खामोशी से ‘इसप्लेनेड’ नामक स्थान पर अधिवेशन आयोजित किया और अध्यक्ष पद से नेली ने संबोधन दिया। इन्हें तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया। इनके पति पूर्व में ही जेल की सजा काट रहे थे। नेली 1940 और 1946 में निर्विरोध बंगाल विधानसभा की सदस्या चुनी गई थीं। 1947 के पश्चात् ये पूर्वी बंगाल में ही रही और 1954 में निर्विरोध पूर्वी पाकिस्तान असेंबली की सदस्या बनीं। 1973 में जब ये इलाज के लिए कोलकाता आई थीं, तभी इनका निधन हो गया।

नेली सेनगुप्त के बारे में तथ्य एवं जानकारी

जन्म 1 दिसम्बर 1886 कैम्ब्रिज नगर, इंग्लैण्ड
मृत्यु 23 अक्टूबर 1973 में कलकत्ता
पिता फ्रेडरिक
माता एडिथ होनरीटा ग्रे
इनके बारे में नेली सेनगुप्त ब्रिटिश की थी, लेकिन उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और उन्होंने काग्रेंस के अध्यक्ष के पद पर सेवा भी की।
पति यतीन्द्र मोहन
पुत्र शिशिर और अनिल
असहयोग आंदोलन नेली ने भी असहयोग आन्दोलन में भाग लिया। असम-बंगाल की रेलवे की हड़ताल में उनकी भागीदारी के लिए उनके पति को कैद किया गया था। नेली ने जिला अधिकारियों का विरोध किया जिन्होंने विधानसभा पर प्रतिबंध लगा दिया।

उनके द्वारा कई सार्वजनिक आयोजन की बैठक की गई थी। उनके सक्रिय सहभागिता के लिए उन्हें जेल जाना पड़ा।

 
खादी उन्होंने ब्रिटिश कानून का पालन न करते हुए खादी वस्त्रों को घर-घर जा कर बेचे थे।
कांग्रेस अध्यक्ष वह यूरोप की दूसरी महिला थी और 1931 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए उन्हें तीसरी महिला के रूप में चुना गया था।
कलकत्ता निगम वह 1933 और 1936 में कलकत्ता निगम की अध्यक्ष बनी।
 
बंगाल विधान सभा कांग्रेस पार्टी के एक प्रतिनिधि के रूप में, उन्हें 1940 और 1946 में बंगाल विधान सभा के सदस्य के पद पर नियुक्त किया गया था।
पूर्वी पाकिस्तान विधान सभा उन्होंने चटगांव से पूर्वी पाकिस्तान तक हिन्दू, अल्पसंख्यक के लिए काम किए। उन्हें पूर्वी पाकिस्तान विधान सभा के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया और उन्हें अल्पसंख्यक बोर्ड के लिए चुना गया।

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