महावीर स्वामी का जीवन परिचय- भारतीय संस्कृति की अनेकता में जिस एकता के दर्शन प्राप्त होते हैं, वह उन महापुरुषों की ही देन है, जो मानव कल्याण का कार्य करते रहे हैं। उन्हीं में जैन धर्म के 24वें व अंतिम तीर्थंकर महावीर का जन्म ईसा के जन्म से 599 वर्ष पहले लच्छवि गणसंघ की रात्रि शाखा में वैशाली के करीब कुंडिनपुर में हुआ था। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ एवं माता का नाम त्रिशला था। महावीर का बचपन का नाम वर्धमान था। वर्धमान शुरू से ही पर्याप्त चिंतनशील व मेधावी वृत्ति के थे। जब विद्याध्ययन के लिए गुरुकुल भेजा गया तो कहते हैं कि वहां गुरु के मुंह से अचानक ही निकल गया, ‘यह बालक तो साक्षात् सरस्वती के समान है। इसे कोई क्या ज्ञान देगा। भला सूर्य का मार्ग प्रशस्त करने के लिए भी क्या कहीं दीपक जलाए जाने की आवश्यकता होती है?’
भगवान महावीर का जीवन परिचय (Mahavir Swami Biography in Hindi)
पूरा नाम | भगवान महावीर |
जन्म | 599 BCE |
जन्म स्थान | क्षत्रियकुंड, वैशाली जिला, बिहार, भारत |
मृत्यु | 527 BCE |
मृत्यु स्थान | पावापुरी, मगध, नालंदा जिला, बिहार, भारत |
उम्र | 72 साल |
पिता | सिद्धार्थराजा |
माता | त्रिशाला |
भाई | नंदीवर्धना, सुदर्शना |
पत्नी | यशोदा |
जाति | जनिज्म |
धर्म | जैन |
जैन धर्म के दिगंबर मतावलंबी अनुयायियों के अनुसार वर्धमान ब्रह्मचारी ही रहे, लेकिन श्वेतांबरों के अनुसार इनका विवाह राजा समरवीर की सुपुत्री यशोदा के साथ संपन्न हुआ था और इन दोनों से कन्या भी पैदा हुई थी। जब वर्धमान की उम्र लगभग 18 वर्ष की थी तभी इनके माता-पिता का निधन हो गया था। लोग इनके ऊपर गणसंघ का शासन संभालने का अनुरोध कर रहे थे, किंतु इनका हृदय सांसारिक सुखों से विरक्त हो गया था। 30 वर्ष की उम्र में इनके द्वारा परिवार व संसार के सभी बंधनों को न केवल त्यागा गया, बल्कि ये वन में भी चले गए। ये संसार के दुःखों और उनसे मुक्ति के मार्ग को तलाशने पर विचार करने लगे और 12 वर्ष तक एक ही आसन में बैठे हुए निमग्न रहे। तेरहवें वर्ष में इन्हें ‘केवल्य’ अर्थात् पूर्णबोध की अनुभूति हुई। ये अर्हत (योग्यतम), जिन (इंद्रियों को जीतनेवाले) और तीर्थंकर (उपास्यदेव) कहलाए, वर्धमान से ये महावीर बने।
महावीर ने अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), अपरिग्रह तथा ब्रह्मचर्य का उपदेश देने में अपने जीवन के बाकी समय को गुजारा। इनके उपदेशों का गरीब, अमीर, निरक्षर और विद्वान सभी पर गहन असर हुआ। इनके मानवीय उपदेशों का ही असर है कि जैनधर्मियों की आज भी भारी तादाद है। महावीर कर्म-सिद्धांत पर बहुत ज्यादा बल देते थे। इनके कथनानुसार अपने भाग्य का निर्माता मनुष्य स्वयं है। जैनधर्म ईश्वर को जगत का कर्ता नहीं मानता। उसमें तप इतयादि सत्कर्मों व सत्याचरण को ही सर्वोच्च रूप में ईश्वर के समकक्ष बताया गया है। वर्ण व्यवस्था को इनके द्वारा स्वीकार नहीं किया गया। कर्मों के अनुसार ही ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र की कल्पना इनके द्वारा की गई।
महावीर की जीवन प्रवृत्तियों का मुख्य केंद्र मगध रहा है। इसी कारण इनके उपदेश ‘अर्धमागधी’ भाषा में मिलते हैं, जो जैन आगमों में संरक्षित हैं। यह उल्लेख योग्य है कि जैनधर्म के सभी तीर्थंकर क्षत्रिय कुल में पैदा हुए। 72 वर्ष की उम्र में पावापुरी, बिहार में महावीर का संसार से परिनिर्वाण हुआ।
वर्ष 2024 मे महावीर जयंती कब है (Mahavir Jayanti 2024 Date)
वर्ष 2023 मे महावीर जयंती 21 अप्रैल, के दिन मनाई जाएगी. जहा भी भगवान महावीर के मंदिर है, वहा इस दिन विशेष आयोजन किए जाते है परंतु महावीर जयंती अधिकतर त्योहारो से अलग बहुत ही शांत माहौल मे विशेष पूजा अर्चना द्वारा मनाई जाती है। इस दिन भगवान महावीर का विशेष अभिषेक किया जाता है तथा जैन बंधुओ द्वारा अपने मंदिरो मे जाकर विशेष ध्यान और प्रार्थना की जाती है। इस दिन हर जैन मंदिर मे अपनी शक्ति अनुसार गरीबो मे दान दक्षिणा का विशेष महत्व है. भारत मे गुजरात, राजेस्थान, बिहार और कोलकाता मे उपस्थित प्रसिध्द मंदिरो मे यह उत्सव विशेष रूप से मनाया जाता है।
भगवान महावीर के प्रमुख ग्यारह गणधर
- श्री इंद्र्भूती जी
- श्री अग्निभूति जी
- श्री वायुभूति जी
- श्री व्यक्त स्वामीजी
- श्री सुधर्मा स्वामीजी
- श्री मंडितपुत्रजी
- श्री मौर्यपुत्र जी
- श्री अकम्पित जी
- श्री अचलभ्राता जी
- श्री मोतार्यजी
- श्री प्रभासजी
जैन धर्म के पर्व
पर्व | तिथी | |
1 | वर्षीतप प्रारंभ दिवस | चैत्र कृष्ण 8 |
2 | भगवान महावीर का जन्म दिवस | चैत्र शुक्ल 13 |
3 | अक्षय तृतीया | वैशाख शुक्ल 3 |
4 | भगवान महावीर केवलज्ञान दिवस | वैशाख शुक्ल 10 |
5 | भगवान महावीर च्यवन दिवस | वैशाख शुक्ल 10 |
6 | पर्युषन पर्व प्रारंभ दिवस | आषाढ़ कृष्ण 12/13 |
7 | संवत्सरी महापर्व | भद्रपद शुक्ल 4/5 |
8 | भगवान महावीर निर्वाण दिवस | कार्तिक कृष्ण 30 (दीपावली) |
9 | भगवान महावीर दीक्षा दिवस | मार्गशीर्ष कृष्ण 10 |
10 | भगवान पार्श्वनाथ जन्म दिवस | पौष कृष्ण 10 |
FAQ
Ans : 21 अप्रैल
Ans : 599 BCE
Ans : 72 साल
Ans : यशोदा
Ans : जैनिज्म
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