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राम मनोहर लोहिया का जीवन परिचय | Ram Manohar Lohiya Biography in Hindi

राम मनोहर लोहिया का जीवन परिचय
राम मनोहर लोहिया का जीवन परिचय

डॉक्टर राममनोहर लोहिया का जीवन परिचय- डॉक्टर राममनोहर लोहिया अप्रतिम प्रतिभा के धनी थे। आरंभ में कांग्रेस के सहयोगी थे, किंतु समाजवादी विचारों के कारण इनका मोहभंग हुआ और ये कांग्रेस से पृथक हो गए। समाजवाद के प्रति इनकी सोच गहरी थी। आज इनके दल के मुलायम सिंह यादव कांग्रेस की यू.पी.ए. सरकार को सफलता के साथ वेंटिलेटर पर रखे हुए हैं। ये राजनीतिज्ञ से ज्यादा राष्ट्रवादी थे।

समाजवादी आंदोलन के मसीहा और स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर राममनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च, 1910 को उत्तर प्रदेश में फैजाबाद जिले की अकबरपुर तहसील में हुआ था। इनके संपन्न पिता हीरालाल लोहिया गांधी जी के शिष्य थे। इनका प्रभाव राममनोहर लोहिया पर भी हुआ। वाराणसी और कोलकाता में शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् ये 1929 में उच्च अध्ययन के लिए यूरोप गए। 1932 में इन्होंने बर्लिन के हुंबोल्ड विश्वविद्यालय से राजनीति दर्शन में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। विदेशों में डॉक्टर लोहिया को मार्क्सवादी दर्शन की पढ़ाई का मौका प्राप्त हुआ, किंतु इनकी प्रवृत्ति ‘साम्यवादी’ विचारों की तरफ नहीं हुई और ये जब लौटे तो समाजवादी स्वरूप का इंसान इनमें सांस ले रहा था।

1933 के दौरान डॉक्टर लोहिया स्वदेश लौटे, तब देश में गांधी जी की अगुवाई में स्वतंत्रता संघर्ष किया जा रहा था। डॉक्टर लोहिया भी पूर्ण क्षमता के साथ आजादी के संघर्ष में साथ हो गए। ये कांग्रेस में समाजवादी सोच का प्रतिनिधित्व करनेवालों में से थे। 1934 में ‘कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी’ की स्थापना के प्रथम अधिवेशन में इन्होंने आचार्य नरेंद्र देव, जयप्रकाश नारायण और अशोक मेहता जैसे लोगों के साथ भाग लिया। पं. जवाहरलाल नेहरू जब कांग्रेस के अध्यक्ष बने तो इन्होंने डॉक्टर लोहिया को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के विदेश विभाग का सचिव बना दिया था।

द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू होने पर डॉक्टर लोहिया हिरासत में ले लिए गए और दिसंबर, 1941 में ही जेल से आजाद हुए। 1942 में ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव की मंजूरी के समय ये मुंबई में थे, ये भूमिगत हो गए और आंदोलन के संचालन में इनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही। एक बार बीच में गिरफ्तार हुए तो ‘आजाद दस्ते’ ने जयप्रकाश नारायण के साथ इन्हें भी रिहा करवा लिया था। फिर 1943 में लाहौर जेल में बंद हुए और भयानक यातनाएं सहन कीं। जेल से रिहा होने पर डॉक्टर लोहिया ने 1946 में ‘गोवा मुक्ति’ आंदोलन की अगुवाई की। 1948 में अपने समाजवादी साथियों सहित डॉक्टर लोहिया भी कांग्रेस से पृथक हो गए। 1952 में इन्होंने समाजवादी सम्मेलन की सदारत की।

1963 में इन्होंने लोकसभा के लिए चुनाव जीता। डॉक्टर लोहिया के क्रांतिकारी तेवर सदैव कायम रहे। इन्होंने अंग्रेजों की मूर्तियां हटाने की मुहिम भी चलाई। अंग्रेजी हटाओ सम्मेलन आयोजित किया, चित्रकूट में रामायण मेला शुरू कराया। ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ को देश विरोधी करार देकर विरोध किया। आजादी के पश्चात् भी विभिन्न कारणों से सात बार गिरफ्तार हुए। लोकसभा में इन्होंने नेहरू जी की नीतियों की मुखालफत करने का कार्य किया। डॉक्टर लोहिया ने कई पुस्तकों का सृजन किया। इनमें ‘फ्रेग्मेंट्स ऑफ दि वर्ल्ड माइंड’, ‘मार्क्स, गांधी एंड सोशलिज्म’, ‘विल टु पावर’, ‘इंडिया, चायना एंड नॉदर्न फ्रंटियर’, ‘इतिहास चक्र’ और ‘भाषा’ जैसी उत्तम कोटि की पुस्तकें हैं।

पौरुष ग्रंथि की शल्य चिकित्सा के पश्चात् 12 अक्टूबर, 1967 को दिल्ली के एक अस्पताल में डॉक्टर लोहिया का निधन 52 वर्ष की उम्र में हो गया।

रचनाएँ | Ram Manohar Lohiya Literature

डॉ. राम मनोहर लोहिया राजनेता के साथ साथ उत्कृष्ट लेखक भी थे. उनकी निम्नलिखित रचनाएँ है –

  • अंग्रेजी हटाओ
  • इतिहास चक्र
  • देश, विदेश नीति-कुछ पहलू
  • धर्म पर एक दृष्टि
  • भारतीय शिल्प
  • भारत विभाजन के गुनहगार
  • मार्क्सवाद और समाजवाद
  • राग, जिम्मेदारी की भावना, अनुपात की समझ
  • समलक्ष्य, समबोध
  • समदृष्टि
  • सच, कर्म, प्रतिकार और चरित्र निर्माण आह्‌वान
  • समाजवादी चिंतन
  • संसदीय आचरण
  • संपूर्ण और संभव बराबरी और दूसरे भाषण
  • हिंदू बनाम हिंदू

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