गुलज़ार का जीवन परिचय- Gulzar Biography in Hindi- गुलजार का जन्म कालरा अरोड़ा सिख परिवार में 18 अगस्त, 1934 को दिना पाकिस्तान में हुआ, जो झेलम जिले में आता था। इनके पिता का नाम माखन सिंह कालरा एवं माता का नाम सुजान कौर था।
जीवन परिचय | |
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वास्तविक नाम | संपूर्ण सिंह कालरा |
उपनाम | गुलजार दिनवी (बाद में सिर्फ “गुलज़ार”) |
व्यवसाय | कवि, गीतकार और फिल्म निर्देशक |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 168 मी०- 1.68 फीट इन्च- 5’ 6” |
वजन/भार (लगभग) | 65 कि० ग्रा० |
आँखों का रंग | गहरा भूरा |
बालों का रंग | श्वेत |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 18 अगस्त 1934 |
आयु (2017 के अनुसार ) | 81 वर्ष |
जन्मस्थान | दीना, पंजाब, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान में) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राशि | सिंह |
हस्ताक्षर | |
गृहनगर | मुंबई, भारत |
स्कूल/विद्यालय | ज्ञात नहीं |
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | ज्ञात नहीं |
शैक्षिक योग्यता | ज्ञात नहीं |
डेब्यू | एक गीतकार के रूप में : फिल्म – बंदिनी (1963) एक फिल्म निर्देशक के रूप में : फिल्म – मेरे अपने (1971) एक टीवी निर्देशक के रूप में : मिर्जा ग़ालिब (1988) |
परिवार | पिता : मक्खन सिंह कालरा माता : सुजान कौर भाई : ज्ञात नहीं बहन : ज्ञात नहीं |
धर्म | सिख |
पता | पंचशील सोसाइटी, नरगिस दत्त रोड, पाली हिल रोड, बांद्रा वेस्ट, मुंबई – 400050 |
शौक | किताबें पढ़ना और लिखना, यात्रा करना |
पुरस्कार/सम्मान | वर्ष 1972: फिल्म कोशिश के लिए सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1975 : फिल्म आंधी के लिए सर्वश्रेष्ठ मूवी के रूप में फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 1976 : फिल्म मौसम के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के रूप में फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 1978 : फिल्म घरोंदा के गीत “दो दीवाने शहर में” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1980 : फिल्म गोलमाल के गीत “आनेवाला पल जाने वाला है” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1981 : फिल्म थोड़ी सी बेवफ़ाई के गीत “हज़ार राहें मुड़ के देखी” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 1984 : फिल्म मासूम के गीत “तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1988 : फिल्म इजाजत के गीत “मेरा कुछ सामान” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1990 : सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र उस्ताद अमजद अली खान के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 1991: फिल्म लेकिन… के गीत “यारा सिली सिली” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1992 : फिल्म लेकिन… के गीत “यारा सिली सिली” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1996 : फिल्म माचिस के लिए सर्वश्रेष्ठ मनोरंजन प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म के रूप में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1999 : फिल्म दिल से .. के गीत “छैय्याँ छैय्याँ” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2002 : उर्दू फिल्म “धुआं” के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2003 : फिल्म साथिया के गीत “साथिया” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 2004 : में, पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2006 : फिल्म बंटी और बबली के गीत “कजरा रे” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2008 : फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर के गीत “जय हो” के लिए सर्वश्रेष्ठ मूल गीत के रूप में अकादमी (ऑस्कर) पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2010 : फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर के गीत “जय हो” के लिए एक मोशन पिक्चर, टेलीविज़न या अन्य विज़ुअल मीडिया के लिए लिखित सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए ग्रैमी अवार्ड्स से सम्मानित किया गया। वर्ष 2011 : फिल्म इश्किया के गीत “दिल तो बच्चा है जी” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 2013 : फिल्म जब तक है जान के गीत “छल्ला” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2013 : कवि, गीतकार और फिल्म निर्देशक के रूप में फिल्म उद्योग में अहम योगदान देने के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। |
कला के साधकों की दुनिया कभी भी आसान नहीं रही है। गुलज़ार का नाम भी कला के ऐसे ही साधकों में लिया जाता रहा है। विपरीत स्थितियों के रहते भी इन्होंने अपनी कलात्मक प्रतिभा को सही दिशा देने में सफलता पाई।
आज भारतीय फिल्म जगत में गुलज़ार का नाम बेहद आदर के साथ लिया जाता है। इन्होंने एक मिस्त्री के रूप में जिंदगी आरंभ की, लेकिन इनके अंदर के कलाकार ने इनके जीवन को नई दिशा दी। आज ये एक संवेदनशील कवि- गीतकार, फिल्म-निर्देशक और पटकथा-लेखक हैं तथा कई पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं। फिल्मों के अलावा साहित्यकार के रूप में भी इनकी एक विशिष्ट पहचान बन चुकी है। फिल्म अभिनेत्री राखी के साथ इनका विवाह हुआ था, जो सफल नहीं रहा। इनकी पुत्री का नाम बोस्की है।
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