सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय का जीवन परिचय
भारतीय साहित्य के क्षितिज पर अनेक दैदीप्यमान साहित्यकार हुए है। उनमें से एक नाम हिंदी के प्रसिद्ध कवि, कहानीकार, उपन्यासकार आलोचक एवं यात्रा वृत्तांत लेखक अज्ञेय का भी है। इनका जन्म 6 मार्च, 1911 को देवरिया, उत्तर प्रदेश के कसिया नामक स्थान पर हुआ था। पुरातत्व के प्रसिद्ध विद्वान हीरानंद शास्त्री इनके पिता थे। अज्ञेय का संपूर्ण नाम सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन था। इन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया और इस कारण जेल भी जाना पड़ा। जेल में रहते हुए इन्होंने ‘अज्ञेय’ के नाम से कहानी लिखी। यह नाम आगे चलकर चर्चित हो गया तो इन्होंने अज्ञेय नाम अपना लिया।
जीवन परिचय बिंदु | अज्ञेय जीवन परिचय |
पूरा नाम | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन |
जन्म | 7 मार्च 1911 |
जन्म स्थान | कसया, उत्तर प्रदेश, भारत |
पहचान | लेखक, कवि |
अवधि/काल | आधुनिक काल में प्रगतिवाद |
यादगार कृतियाँ | आँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार |
अज्ञेय ने अपना बाल्यकाल कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार और मद्रास में व्यतीत किया। इन्होंने मद्रास व लाहौर में रहते हुए शिक्षा प्राप्त की।
जिस समय अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर कर रहे थे, उस समय ये क्रांतिकारी आंदोलन में भी कूद गए और फरार हो गए। 1930 में इन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। चार वर्ष पश्चात् जेल से रिहा करके चार वर्ष तक नजरबंद भी रखे गए। पूर्ण रिहाई के बाद कृषक आंदोलन में भागीदारी की और कुछ पत्रिकाओं का संपादन करने के पश्चात् ऑल इंडिया रेडियो और सेना में भी कार्य किया । कुछ समय तक जोधपुर विश्वविद्यालय में भारतीय साहित्य विभाग के अध्यक्ष पद पर भी रहे।
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन की रचनाएँ
अज्ञेय की ख्याति अंतर्मुखी कवि के रूप में है। इनकी विशिष्ट काव्य कृतियां रही हैं – ‘ हरी घास पर क्षण भर’, ‘आंगन के पार द्वार’, ‘चिंता’, ‘इत्यलम’, ‘बावरा अहेरी’, ‘इंद्रधनुष रौंदे हुए’, ‘अरी ओ करुणा प्रभामय’, ‘कितनी नावों में कितनी बार’, ‘सागर मुद्रा’, ‘महावृक्ष के नीचे’ तथा ‘शेखर एक जीवनी’, ‘नदी के द्वीप’ और ‘अपने अपने अजनबी’ इनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं। ‘कोठरी की बात’, ‘विपथगा’ व ‘शरणार्थी’ शीर्षक कहानी संग्रह हैं। ‘दिनमान’ समाचार साप्ताहिक के संपादन से अज्ञेय ने पत्रकारिता को नई ऊंचाइयां प्रदान कीं और ‘तार सप्तक’ के माध्यम से हिंदी कविता और हिंदी कवियों को नई पहचान दी तथा नया काव्यांदोलन खड़ा करने में मददगार बने । ‘अरे ओ यायावर रहेगा याद’ यात्रा वृत्तांत भी इनकी प्रसिद्ध रचना है। ‘त्रिशंकु’, ‘भवंती’ और ‘आलवाल’ स्फुट गद्य की मुख्य पुस्तकें हैं। अज्ञेय को भारतीय ज्ञानपीठ सहित अनेक राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इन्होंने प्रमुख विदेश यात्राएं भी कीं। 1987 में काल के हाथों ने इन्हें सृजन करने से रोक दिया।
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