गृहविज्ञान

वैयक्तिक अध्ययन के स्रोत तथा वैयक्तिक अध्ययन के संयंत्र

वैयक्तिक अध्ययन के स्रोत
वैयक्तिक अध्ययन के स्रोत

वैयक्तिक अध्ययन के स्रोत तथा वैयक्तिक अध्ययन के संयंत्र

वैयक्तिक अध्ययन विषय के सम्बन्ध में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने की पद्धति है। इसके अन्तर्गत न केवल व्यक्ति के प्रकट व्यवहार का अध्ययन किया जाता है, बल्कि उसके व्यवहार को प्रेरित करने वाले अमूर्त कारकों का ज्ञान प्राप्त करने की भी चेष्टा की जाती है। मानव प्रायः अपने अन्तरंग प्रेरक विश्वासों तथा भावनाओं के कारण सार्वजनिक रूप से प्रकट करने में संकोच करता है। अतः केवल साक्षात्कार करके व्यक्ति के जीवन का वास्तविक चित्र नहीं देखा जा सकता। व्यक्तिगत भावनाओं, विचारों, विश्वासों और मान्यताओं का सूक्ष्म तथा गहन अध्ययन करने के लिये इस पद्धति में निम्नलिखित यंत्रों तथा प्रणालियों का उपयोग किया जाता है-

1. डायरी- डायरी वैयक्तिक अध्ययन का एक प्रमुख यंत्र है। डायरी में प्रायः व्यक्ति के जीवन की महत्वपूर्ण सामग्री काल समय क्रम के अनुसार व्यवस्थित रहती है। व्यक्तिगत सामग्री का सर्वाधिक प्रमुख स्रोत डायरी ही है, जिसमें गोपनीय समझे जाने वाले तथ्य भी मिल जाते हैं। व्यक्ति के सामान्य अनुभव तथा सामाजिक सम्पर्क का क्षेत्र जानने के लिये डायरी अत्यन्त उपयोगी साधन है। मनुष्य की आन्तरिक भावनाओं, गुप्त क्रियाओं, प्रतिक्रियाओं, संकल्पों, इच्छाओं, सफलताओं और असफलताओं की अभिव्यक्ति स्वयं उसी के द्वारा केवल डायरी में ही मिल सकती है। गुणात्मक व्यवहार तथा मानसिक झुकाव का अनुमान करना भी डायरी में लिखित सामग्री से ही सम्भव है। अतः वैयक्तिक अध्ययन प्रणाली में डायरी को अत्यन्त उपयोगी संयंत्र माना गया है।

2. पत्र – निबंध यदि विचारों की अभिव्यक्ति है, तो पत्र मनुष्य की भावनाओं का चित्रण है। पत्रों में व्यक्ति के सामाजिक सम्बन्धों पर आधारित तथ्य छिपे रहते हैं। मित्रता, वैमनस्य, घृणा, प्रेम, श्रद्धा, तिरस्कार, विश्वास, मूल्य तथा दृष्टिकोण आदि मानव मन की अन्तस्थ भावना पत्रों की पंक्तियों में अभिनय करती हैं। राग-द्वेष, संयोग-वियोग, हर्ष-विवाद की घटनायें तथा उन घटनाओं को जन्म देने वाले कारकों का स्पष्ट या अप्रत्यक्ष ज्ञान पत्रों में निहित सामग्री से हो जाता है। जीवन की कटु अनुभूतियों तथा मधुर-स्थितियों की वास्तविकता भी इन पत्रों से ही प्रकट होती है। इस प्रकार पत्र भी वैयक्तिक अध्ययन पद्धति का प्रमुख अध्ययन स्रोत है।

डायरी, पत्र, लेख आदि स्रोत व्यक्तिगत प्रलेख (Personnel Documents) कहलाते हैं। इन व्यक्तिगत प्रलेखों का वैयक्तिक अध्ययन में बहुत महत्व है क्योंकि वे मनुष्य की मानसिक अवस्थाओं, विचारों और भावनाओं की यथार्थ जानकारी देने में अत्यन्त उपयोगी होती हैं। श्रीमती पी. वी. यंग का कथन है, “व्यक्तिगत प्रलेख अनुभव की निरंतरता प्रकट करते हैं जो निष्पक्ष वास्तविकता तथा आत्म-विवेचन में अभिव्यक्त लेखक के व्यक्तित्व, सामाजिक सम्बन्धों तथा जीवन दर्शन पर प्रकाश डालने में सहायक होते हैं।”

आलपोर्ट के शब्दों, “वे स्वयं प्रकाशित होते हैं जो जान-बूझकर अथवा अनायास ही लेखक के मानसिक जीवन की रचना अथवा गतिशीलता का वर्णन करते हैं”।

3. जीवन इतिहास या जीवनी- वैयक्तिक अध्ययन में सबसे महत्वपूर्ण साधन जीवन- इतिहास है। जीवन इतिहास स्वयं व्यक्ति के द्वारा अपनी ही भाषा में अपने जीवन से सम्बन्धित सारभूत घटनाओं तथा अनुभवों का वर्णन है। जीवन का चित्र जीवन – इतिहास में उपलब्ध होता है। जीवन इतिहास जीवन का मूर्तिमान स्वरूप है। जीवन के क्रमिक विकास तथा व्यक्तित्व के निर्धारक कारकों का विश्लेषण करना जीवन इतिहास का उद्देश्य होता है। एक जीवन इतिहास में प्रायः निम्नलिखित बातें सम्मिलित होती है-

(i) पारिवारिक पृष्ठभूमि- इकाई के वंश सम्बन्धित सूचनायें जीवन – इतिहास में मिलती हैं। पैतृकता मानव-व्यक्तित्व को निर्धारित करने वाला प्रभावक तत्व है। पूर्वजों, माता- पिता, भाई-बहन तथा अन्य सगे-सम्बन्धियों की जानकारी के आधार पर व्यक्ति के व्यक्तित्व की मौलिक क्षमताओं और विशेषताओं का ज्ञान होता है।

(ii) प्रभावक पारिवारिक घटनायें- पारिवारिक जीवन के अनुभव कई बार मनुष्य के जीवन की दिशा को ही परिवर्तित कर देते हैं। मानसिक तनाव पारिवारिक परिस्थितियों का परिणाम होता है। जीवन-इतिहास में वर्णिते पारिवारिक घटनाओं से मनुष्य के जीवन में वास्तविक प्रभावक कारकों का अनुमान हो सकता है।

(iii) प्रतिक्रियायें- भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में व्यक्ति किस प्रकार व्यवहार करता है, इसका विश्लेषण भी जीवन-इतिहास में होता है। अतः परिस्थितियों के प्रति मनुष्य का दृष्टिकोण तथा उसके अनुरूप उसकी प्रतिक्रियाओं का ज्ञान जीवन- इतिहास से होता है।

(iv) महत्वपूर्ण प्रभावक घटनायें- जीवन को प्रभावित करने वाली समस्त महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन जीवन इतिहास का प्रमुख भाग होता है। ये घटनायें व्यक्तित्व के आधारभूत गुणों को विकसित करने में सहायता देती है। जीवन की इन प्रभावक घटनाओं में से निकल व्यक्तित्व निखरता है।

(v) सम्पूर्ण जीवन के अनुभव- केवल घटनाएँ ही नहीं, अपितु भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यक्तिगत अनुभवों का वर्णन तथा सामाजिक प्रभाव भी जीवन-इतिहास का अंग हैं। (vi) जीवन को प्रभावित करने वाले व्यक्ति-जीवन को स्वयं के अनुभवों तथा घटनाओं और परिस्थितियों के अतिरिक्त महत्वपूर्ण व्यक्ति भी प्रभावित करते हैं। व्यक्ति चाहे महान हो या तुच्छ, संत हो या लपट, सभी से जीवन की दिशा प्रभावित हो सकती है। अतः जीवन को प्रभावित करने वाले व्यक्तियों का जीवन-इतिहास में बहुत महत्व रखता है।

(vii) विचार, आशायें तथा दृष्टिकोण- जीवन-इतिहास का गम्भीर पक्ष, व्यक्ति के जीवन भर के अनुभवों के आधार पर निर्मित उसके मौलिक विचार, वर्तमान तथा अतीत की परिस्थितियों पर निर्मित उसके मन में स्थित भविष्य का चित्र, आशायें, निराशायें, जीवन तथा समाज के प्रति उसका दृष्टिकोण आदि से सम्बन्धित होता है।

संक्षेप में जीवन इतिहास सामाजिक ढाँचे के अन्तर्गत व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन के ऐतिहासिक विकास की कहानी है। वैयक्तिक अध्ययन में जीवन इतिहास का बहुत महत्व है। इन जीवन- इतिहासों के द्वारा ही वैयक्तिक अध्ययन में सामाजिक व्यवहारों के बारे में पर्याप्त जानकारी मिल जाती है। एक प्रकार से वैयक्तिक अध्ययन स्वयं एक जीवन इतिहास है, जो व्यक्ति के जीवन का समाजशास्त्रीय विवेचन है।

4. संकलित सामग्री (Collected Material) – व्यक्तिगत प्रलेखों के अतिरिक्त कुछ ऐसी पुस्तकें तथा विवरण भी उपलब्ध होते हैं, जिनसे इकाई के जीवन से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य प्राप्त किये जा सकते हैं। सामाजिक कार्यकर्त्ताओं, प्रोबेशन अधिकारियों, बीमा कम्पनियों, जनगणना रिकार्डों आदि से भी पर्याप्त आवश्यक जानकारी मिलती है। सामग्री का संकलन दो प्रकार से किया जाता है। उपरोक्त रिकार्डों, अथवा प्राप्त लिखित स्रोतों से तथा अनुसंधानकर्त्ता के द्वारा साक्षात्कार तथा अवलोकन के द्वारा सूचनायें एकत्र करने से। संकलित सामग्री प्रायः निम्नलिखित स्रोतों से उपलब्ध होती है-

(i) सरकारी विभागों के रिकार्डों के अंश (Official Records) – (ii) वंशावली, (iii) जीवन घटनाओं की सूची, (iv) स्कूल, जेल, पुलिस, न्यायालय आदि के रिकार्ड, (v) प्रमाण पत्र तथा प्रशंसा पत्र, (vi) जनगणना का रिकार्ड, (vii) इकाई से व्यक्तिगत साक्षात्कार, (viii) इकाई के मित्रों, सम्बन्धियों तथा परिचितों से साक्षात्कार, (ix) फोटो एलबम, (x) प्रकाशित साहित्यिक रचनायें तथा संस्मरण आदि।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment