गृहविज्ञान

व्यक्ति अध्ययन विधि में ध्यान रखने योग्य सावधानियां

व्यक्ति अध्ययन विधि में ध्यान रखने योग्य सावधानियां
व्यक्ति अध्ययन विधि में ध्यान रखने योग्य सावधानियां

व्यक्ति अध्ययन विधि में ध्यान रखने योग्य सावधानियां

व्यक्ति अध्ययन विधि की सफलता निम्नलिखित सावधानियों पर ध्यान देने पर निर्भर करती हैं-

1. व्यक्तिगत स्थिति का अध्ययन सामाजिक पृष्ठभूमि में ही होना चाहिए, अन्यथा उसके बारे में वास्तविक जानकारी नहीं प्राप्त होगी, क्योंकि व्यक्ति सामाजिक पृष्ठभूमि की क्रिया-प्रतिक्रिया के फलतः ही अपने जीवन-क्रम को ढाल लेता है। यदि अध्ययन किसी संस्था या समुदाय से सम्बन्धित है, तब भी सामाजिक परिस्थितियों और पृष्ठभूमि, आदि को अध्ययन पृथक नहीं रखना चाहिए, क्योंकि कोई भी संस्था या समुदाय तत्कालीन सामाजिक परिस्थिति होता है। स्पष्ट है व्यक्तिगत स्थितियों का अध्ययन करते हुए सामाजिक पृष्ठभूमि के अन्तःक्रियात्मक व सामाजिक पृष्ठभूमि से अलग-अलग नहीं रहता, बल्कि उनसे प्रभावित और अन्तःप्रभावित सम्बन्धों की विश्लेषणात्मक व्याख्या कर लेना अत्यावश्यक है।

2. व्यक्तिगत स्थितियों के जीवन में अन्य प्राथमिक समूहों के महत्व को विस्मृत नहीं किया जाना चाहिए। वैयक्तिक जीवन अध्ययन चाहे व्यक्ति का हो अथवा समुदाय  का, दोनों को ही परिवार व अन्य प्राथमिक समूह प्रभावित करते हैं। परिवार समुदाय पर समाज की मूल इकाई है, जो व्यक्ति के जीवन-क्रम की दिशा का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। परिवार की परिस्थिति, घटनाएं, अनुभवादि व्यक्ति को बाल्यावस्था से ही प्रभावित करते रहते हैं। विभिन्न परिवारों से ही समुदाय निर्मित होता है। प्राथमिक समूह व्यक्ति के क्रिया-कलाप, गतिविधियों, आस्थाओं, व्यवस्थाओं को प्रभावित करता है। अतः व्यक्तिगत स्थितियों के गहन एवं पूर्ण अध्ययन में परिवार तथा अन्य प्राथमिक समूहों के महत्व को पृथक-पृथक करना उचित न होगा।

3. व्यक्तिगत स्थितियों के विषय में ऐसे तथ्यों को जानने का प्रयास किया जाए, जिनसे सम्पूर्ण जीवन के बारे में वर्णन किया जा सके। वैयक्तिक जीवन अध्ययन विधि में सम्पूर्ण जीवन के बारे में सूचनाएं संकलित करनी होती हैं; सम्बन्धित समस्या के सभी पहलुओं के बारे में सूचनाओं को एकत्रित करना पड़ता है, ताकि अध्ययन की पूर्णता हेतु कोई भी पहलू छूट न सके। स्पष्ट है कि व्यक्तिगत स्थितियों के विषय में यथार्थ और समस्त सूचनाओं को पाने का प्रयत्न किया जाना आवश्यक है।

4. व्यक्तिगत स्थितियों के जीवन की घटनाएं यथार्थ रूप में चित्रित की जानी चाहिए। व्यक्ति के सामुदायिक जीवन से सम्बन्धित घटनाओं के बारे में सर्वथा मौलिक एवं स्वाभाविक सूचनाएं ही प्राप्त करने का प्रयत्न करना उचित है। ऐसा करने पर ही घटनाओं का स्वाभाविक रूप प्रकट होगा। घटनाओं के यथार्थ स्वरूप क्रम को जानने पर आन्तरिक व गहन अध्ययनों में समुचित सफलता मिल सकती है।

5. सम्बन्धित भौगोलिक क्षेत्र से ही वैयक्तिक विषय को अध्ययन हेतु चयन किया जाना चाहिए। किसी विशिष्ट घटना/समस्या का अध्ययन करने के लिए, जो एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र से सम्बन्धित हो, वैयक्तिक विषयों अर्थात् व्यक्ति, परिवार, संस्था, समूह आदि का चयन उसी विशेष क्षेत्र से ही किया जाना उचित होता है, ताकि सामाजिक इकाइयों का क्षेत्र विशेष से सम्बन्ध कायम रहे। सम्बन्धित क्षेत्र से चयनित वैयक्तिक विषयों के अध्ययन से जो भी निष्कर्ष निकाले जाते हैं, उन्हें सम्पूर्ण सम्बन्धित क्षेत्र पर लागू किया जा सकता है।

6. वैयक्तिक अध्ययनों का इंचार्ज सर्वथा प्रशिक्षित व्यक्ति को बनाया जाना चाहिए। चूँकि यह पद्धति वैयक्तिक विषयों के गहन और पूर्ण अध्ययन करने पर जोर देती है तथा ऐसा अध्ययन सरल कार्य नहीं होता, अतः अनुसंधानकर्ता को सभी प्रकार के स्रोतों से सूचनाएं संकलित करनी पड़ती हैं। यह कार्य सर्वथा प्रशिक्षित अनुसंधानकर्ता के ही वश की बात है, सामान्य व्यक्ति के वश की नहीं।

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