प्रक्षेपण-परीक्षण विधि का मूल्यांकन कीजिए।
प्रक्षेपण-परीक्षण विधि में WAT, IBT तथा TAT का उपयोग मनोवैज्ञानिक शोध में अधिक किया जाता है। इनमें से प्रत्येक परीक्षण के अपने-अपने गुण तथा दोष हैं।
प्रक्षेपण-परीक्षण विधि के गुण या लाभ (Merits or Advantages)
शोध के दृष्टिकोण से प्रक्षेपण-परीक्षण या प्रक्षेपण-विधि के कई गुण या लाभ हैं-.
(i) प्रक्षेपण-परीक्षण के आधार पर व्यक्तित्व के अचेतन पक्ष की जानकारी बहुत आसानी से हो जाती है। अतः यदि अचेतन व्यक्तित्व का मापन करना हो तो इसके लिए इस परीक्षण का उपयोग आवश्यक होगा।
(ii) प्रक्षेपण-परीक्षण से व्यक्तित्व का मापन अप्रत्यक्ष रूप से करना संभव होता है। इसलिए यह परीक्षण अवांछनीय शीलगुणों को मापने में अधिक उपयोगी है।
(iii) प्रक्षेपण-परीक्षण के द्वारा संघर्षों, संवेगों, मनोग्रंथियों आदि का मापन अधिक सही होता है। कारण यह है कि व्यक्तित्व के इन पक्षों की अभिव्यक्ति अस्पष्ट परिस्थितियों में अधिक होती है।
(iv) प्रक्षेपण-परीक्षणों के आधार पर सामान्य व्यक्तियों के साथ-साथ असामान्य व्यक्तियों के व्यक्तित्व को मापना भी संभव होता है। सामान्य व्यक्तित्व को मापने में TAT, SCT आदि अधिक उपयोगी है। लेकिन असामान्य व्यक्तित्व को मापन में PFT, IBT आदि अधिक सफल हैं।
(v) प्रक्षेपण-विधियों के आधार पर व्यक्तित्व के घटकों तथा संगठन को मापन संभव होता है । गिलमर (1970) के अनुसार TAT तथा IBT से क्रमश: व्यक्तित्व के घटकों तथा `व्यक्तित्व के संगठन को मापना संभव होता है।
प्रक्षेपण-परीक्षण विधि के अवगुण या हानियाँ (Demerits or Disadvantages)
कई गुणों के होते हुए भी प्रक्षेपण-परीक्षण का शोध-मूल्य सीमित है, क्योंकि इसमें कई तरह के अवगुण हैं-
(i) प्रक्षेपण-परीक्षण वस्तुतः आत्मनिष्ठ परीक्षण है। इसलिए व्यक्तित्व का समुचित मापन संदिग्ध बना रहता है।
(ii) प्रक्षेपण-परीक्षण द्वारा व्यक्तित्व का मापन अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। कोरचिन (2003) ने कहा है कि प्रत्यक्ष विधियों की अपेक्षा अप्रत्यक्ष विधि कम विश्वसनीय। होती है।
(iii) प्रक्षेपण विधि में वस्तुनिष्ठता काफी सीमित होती है। इसमें आत्मनिष्ठता अधिक होने के कारण इसकी वस्तुनिष्ठता घट जाती है।
(iv) प्रक्षेपण के उपयोग करने के लिए निपुण तथा अनुभवी शोधकर्त्ता की आवश्यकता होती है। ऐसे शोधकर्त्ता के अभाव में व्यक्तित्व का सही मापन कठिन बन जाता है।
(v) प्रक्षेपण-परीक्षणों के साथ एक कठिनाई यह है कि इसकी अंकन-विधि निश्चित नहीं है या बहुत कठिन है । TAT के लिए कोई निश्चित अंकन विधि नहीं है। IBT के लिए अंकन विधि बहुत जटिल है।
(vi) कोरचिन (2003) के अनुसार प्रक्षेपण-विधियों या परीक्षणों की विश्वसनीयता तथा बहुत सीमित है। कारण यह कि इस पर कई तरह के कारकों का प्रभाव पड़ता है। वैधता जिससे इनकी विश्वसनीयता या वैधता स्थिर नहीं रह पाती है। इसलिए कुछ अध्ययनों में उच्च विश्वसनीयता एवं वैधता का उल्लेख मिलता है तो कुछ दूसरे अध्ययनों में निम्न विश्वसनीयता एवं वैधता का उल्लेख मिलता है।
स्पष्ट हुआ कि प्रक्षेपण-विधियों या परीक्षणों के कई गुण तथा दोष हैं। इसलिए मनोवैज्ञानिक या शोधकर्त्ता को चाहिए कि इनका उपयोग केवल ऐसी परिस्थिति में करें जहाँ इनकी आवश्यकता हो।
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