श्रवण अक्षमता के कारण (Causes of Hearing Impairment)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (1980) ने भारत में श्रवण अक्षमता के तीन कारण बताए हैं- (i) संक्रमण, (ii) उपेक्षा/तिरस्कार और (iii) अज्ञानता।
इसके अलावा निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य सुविधा का अभाव एवं कुपोषण आदि कुछ अन्य कारण भी हैं जिसके चलते लोगों के श्रवण अक्षमता पीड़ित होने की संभावना बनी रहती है। लेकिन सुविधा की दृष्टि से हमने श्रवण अक्षमता के कारणों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया। ये कारण हैं- 1. जन्म- पूर्व, 2. जन्म के समय एवं 3. जन्म के बाद।
1. जन्म पूर्व (Pre-natal): (i) गर्भावस्था के दौरान टॉर्च संक्रमण के कारण गर्भस्थ शिशु के श्रवण अक्षमता ग्रस्त होने की संभावना अधिक रहती है। यहाँ TORCH का अर्थ T = Toxoplasmosis, O = Syphilis, bacteria meningitis, R = Rubella, C= Cytomegalo virus और H = Herpes है। (ii) गर्भावस्था के दौरान माता के कुपोषण के शिकार हो जाने के चलते भी गर्भस्थ शिशु के श्रवण अक्षमता होने की संभावना बढ़ जाती है साथ ही गर्भिनी माता का।
(iii) रक्त संबंधी दोष अथवा आर. एच. विषमता को श्रवण अक्षमता का कारण माना जाता है।
2. जन्म के वक्त (Natal): (i) बैक्ट्रियल मेनिन्जाइटिस का संक्रमण (ii) समय से पूर्व बच्चे का जन्म (iii) प्रसव के दौरान ऑक्जीन की अपर्याप्त आपूर्ति (iv) बच्चे का वजन सामान्य से कम होना (v) माँ का मधुमेह या उच्च रक्तचाप से पीड़ित होना।
3. जन्म के बाद (Post natal): (i) मीजल्स, चिकेन पॉक्स, मेनिन्जाइटिस, एन्सेफलाइटिस, डिप्थेरिया, टिटनस, कुककुर खाँसी, निमोनिया अथवा मध्य कर्ण का संक्रमण।
(ii) बच्चे को जॉन्डिस या अत्यधिक बुखार होना।
(iii) बच्चे के नाक, कान और गले में खराबी आ जाना।
(iv) लम्बे समय तक एन्टीबॉयटिक दवाओं का सेवन करना।
(v) उच्च ध्वनियों से अपना बचाव नहीं करना।
(vi) कान में पानी घुस जाना।
(vii) किसी दुर्घटना का शिकार होना।
क्र.सं. | श्रेणी श्रवण अक्षमता | वाक् एवं श्रवण व्यवहार | शैक्षिक प्रयास |
1. | मिनिमल 00-25 dB |
वाक् एवं श्रवण व्यवहार सामान्य |
किसी तरह के शैक्षिक पुनर्वास की कोई आवश्यकता नहीं |
2. | माइल्ड 26-40 dB |
(a) अस्पष्ट वाक् एवं श्रवण व्यवहार (b) वाक् एवं भाषा विकास सामान्य (c) कभी-कभी शैक्षिक पुनर्वास की आवश्यकता |
(a) कक्षा में पहली बेंच पर बैठाना (b) श्रवण यंत्र उपलब्ध कराना (c) शिक्षक-अभिभावक के विशेष ध्यान की आवश्यकता |
3. | मॉडरेट 41-55 dB |
(a) वाक् एवं भाषायी विकास प्रभावित (b) लेकिन वाणी की गुणवता सामान्य (c) पठन और लेखन क्षमता देर स विकसित (d) स्कूल में प्रवेश के अलावे शब्दकोश प्रशिक्षण, पठन एवं लेखन प्रशिक्षण आवश्यक |
(a) श्रवण एवं उच्चारण प्रशिक्षण (b) श्रवण यंत्र उपलब्ध कराना (c) अभिभावक परामर्श (d) विशेष बैठक की व्यवस्था (e) समेकित शिक्षण |
4. | मॉडरेटली 56-70 dB सीवियर |
(a) व्याकरण, शब्दार्थ और वाणी दोष (b) ऊँची आवाज की समझ (c) श्रवण यंत्र भी नाकाम (d) पठन-लेखन दोष (e) व्यक्तिनिष्ठ शिक्षण की आवश्यकता |
(a) विशेष स्कूल में दाखिला (b) विद्यालय पूर्व वाक् एवं भाषायी प्रशिक्षण |
5. | सीवियर 71-90 dB |
(a) वाक् एवं भाषायी विकास अवरुद्ध (b) एक फीट या कान के नजदीक से ऊँची आवाज की पहचान (c) ऊँची आवाज में बोलना |
(a) शैक्षिक रूप से बधिर (b) श्रवण यंत्र के जरिए वाक् एवं भाषायी प्रशिक्षण (c) विशेष स्कूल में दाखिला (d) वाणी प्रशिक्षण |
6. | प्रोफाउंड 90 dB से ऊपर |
(a) संवाद संप्रेषण के दौरान सुने गये बातों पर विश्वास नहीं (b) कभी-कभी उनका या विस्फोट जैसी आवाज सुनना (c) सामान्य आवाज के प्रति असंवेदनशील (d) वाक् भाषायी विकास न के बराबर (e) हाव-भाव या संकेत के जरिये संवाद संप्रेषण (f) विशेष स्कूल में दाखिल की आवश्यकता |
(a) विशेष स्कूल में दाखिला (b) व्यवसावसायिक प्रशिक्षण (c) सामान्य स्कूल में दाखिले से कोई विशेष बदलाव नहीं |
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