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मानसिक मंदता का वर्गीकरण | Classification of Mental Retardation in Hindi

मानसिक मंदता का वर्गीकरण
मानसिक मंदता का वर्गीकरण

अनुक्रम (Contents)

मानसिक मंदता का वर्गीकरण (Classification of Mental Retardation)

मानसिक मंदता को चिकित्सकीय, मनोवैज्ञानिक एवं शैक्षिक आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।

चिकित्सकीय वर्गीकरण शैक्षिक वर्गीकरण मनोवैज्ञानिक वर्गीकरण
1. संक्रमण

 

2. मानसिक अथवा शारीरिक

3. उपापचयन या पोषण

4. मानसिक रोग (जन्मोत्तर)

5. जन्मपूर्व अज्ञात प्रभाव

6. क्रोमोजोम असामान्यता

7. गर्भधारण संबंधी

8. मनोविकार

9. पर्यावरणीय प्रभाव

10. अन्य प्रभाव

1. शिक्षणीय

 

2. प्रशिक्षणीय

3. अभिरक्षणीय

1. अल्प मानसिक मंदता

 

2. मध्यम मानसिक मंदता

3. गम्भीर मानसिक मंदता

4. अतिगम्भीर मानसिक मंदता

स्रोत : राष्ट्रीय मानसिक विकलांग संस्थान, 1989

चिकित्सकीय वर्गीकरण (Medical Classification) – संक्रमण एवं नशा (Infection and Intoxicant ) – संक्रमण प्रसवपूर्व प्रसव काल एवं प्रसवोत्तर काल में हो सकता है: (i) गर्भ धारण के प्रथम तीन महीने के दौरान गर्भवती माता को रूबेला और सिफलिस का संक्रमण होता है।

(ii) प्रसवकाल के दौरान यदि गर्भवती माता हर्पीस से संक्रमित हो जाए तो इससे नवजात शिशु के संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है।

(iii) नवजात शिशु के मस्तिष्क शोध इन्सेफलाइटिस आदि मस्तिष्क ज्वर से संक्रमित हो जाने से बच्चा के मानसिक मंद होने की संभावना बनी रहती है।

(iv) गर्भवती माता द्वारा शराब, तम्बाकू, औषधि आदि सेवन करते रहने से गर्भस्थ शिशु के मानसिक मंदताग्रस्त होने की संभावना बनी रहती है।

दुर्घटना ( Accident) – (i) बच्चे के अधिक ऊँचाई से गिरने अथवा किसी अन्य तरह की दुर्घटना के चलते मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो जाने से वे मानसिक मंदताग्रस्त हो जाते हैं। (ii) सांवेगिक रूप विकृत बच्चों के भी मानसिक मंद होने की संभावना रहती है।

उपापचय अथवा पोषण (Metabolism / Nutrition)- उपापचय या पोषण संबंधी गड़बड़ी के कारण यदि बच्चे के मस्तिष्क में किसी प्रकार का चोट अथवा हानि होती है तो भी बच्चे मंदबुद्धि के शिकार हो जाते हैं।

मस्तिष्क ज्वर (Brain Fever) – मेनिनजाइटिस और इन्सेफलाइटिस मस्तिष्क को प्रभावित करता है लिहाजा बच्चों में मानसिक मंदता के लक्षण विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

क्रोमोजोम संबंधी विकार (Chromosomal Abnormality) – (i) जायगोट में एक क्रोमोजोम की कमी अथवा वृद्धि के कारण (ii) क्रोमोजोम के किसी भाग के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण।

गर्भावस्था विकार (Gestational Disorder) – गर्भस्थ शिशु में यदि विकास संबंधी दोष हो तो भी उनके मानसिक मंदता पीड़ित होने की संभावना बनी रहती है।

2. शैक्षिक वर्गीकरण (Educational Classification) – शैक्षिक रूप से मानसिक मंद बच्चों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।

(i) शिक्षणीय, (ii) प्रशिक्षणीय, (iii) अभिरक्षणीय ।

(I) शिक्षणीय (Educable) : (i) शिक्षणीय बच्चे की बुद्धि (I. Q.) 50-70 होती है।

(ii) वह अकादमिक कार्यों को सीखने लायक होता है।

(iii) ऐसे कुछ बच्चे रोजगार करने में भी समर्थ होते हैं।

(iv) बोली सामान्य होता है।

(v) वैयक्तिक एवं सामाजिक कौशल सीखने लायक होता है।

(vi) चौथी कक्षा तक वह अकादमिक कार्यों को ठीक ढंग से निपटा लेता है।

(vii) उपयुक्त प्रशिक्षण के बाद वह मिलनसार बन जाता है।

(viii) उपयुक्त प्रशिक्षण के बाद वह प्रतियोगी माहौल में कार्य करने में समर्थ होता है।

(ix) सामान्यतः वह खतरे से अपनी सुरक्षा स्वयं करता है।

(x) 89 प्रतिशत बच्चे स्कूली शिक्षा हासिल करते हैं।

(II) प्रशिक्षणीय (Trainable) : (i) बुद्धि लब्धि 35 से 49 के बीच होती है।

(ii) वाक् एवं भाषा का विकास सीमित होता है।

(iii) कपड़े पहनने, पेशाब- पाखाना करने। खाने-पीने एवं सामाजिक समायोजन हेतु प्रशिक्षणीय होता है।

(iv) इन्हें द्वितीय कक्षा तक ही पढ़ाया जा सकता है।

(v) लोगों से समन्वय स्थापित करने समर्थ होता है।

(vi) सुरक्षित वातावरण में काम करना चाहता है।

(vii) स्वयं की सुरक्षा के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।

(viii) मानसिक मंदता के अतिरिक्त अन्य प्रकार की विकलांगता से त्रस्त होता है।

(ix) केवल 11 प्रतिशत बच्चे स्कूली शिक्षा तंत्र का लाभ उठा पाते हैं।

(x) 89 प्रतिशत बच्चे को प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।

(III) अभिरक्षणीय (Custodial) : (i) बुद्धि लब्धि (I.Q.) 0 से 34 के बीच होती है।

(ii) अधिकांश बच्चे बहुविकलांगता के शिकार होते हैं।

(iii) वे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में असमर्थ होते हैं।

(iv) दूसरे पर ही पूरी तरह निर्भर रहते हैं।

(v) दूसरे पर की निर्भरता को कम करने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।

(vi) वाक् एवं भाषाई विकास अत्यल्प होता है।

(vii) वे बातचीत के दौरान एकल शब्द का प्रयोग करते हैं।

(viii) खाने-पीने, कपड़े पहनने, पेशाब-पाखाना करने और यहाँ तक कि सामाजिक-आर्थिक समायोजन के लिए उन्हें दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है।

(ix) वे शैक्षिक कौशल सीखने में असमर्थ होते हैं।

(x) उनका ठीक तरह से सामाजिक विकास नहीं हो पाता है।

(xi) उन्हें खतरा से सुरक्षा की आवश्यकता पड़ती है।

(xii) अमूमन वे स्कूली शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।

3. मनोवैज्ञानिक वर्गीकरण (Psychological Classification) – बुद्धिलब्धि (I.Q.) के आधार पर मंदबुद्धि बालकों को (i) अल्प, (ii) मध्यम, (iii) गम्भीर एवं (iv) अतिगम्भीर मानसिक मंदताओं में वर्गीकृत किया जाता है।

श्रेणी बुद्धिलब्धि लक्षण
(i) अल्प मानसिक मंदता 50-70

(a) हम उम्र बच्चों की तुलना में धीमी गति से सीखना।

(b) दैनिक कार्य करने में धीमापन।

(c) जल्दी इनकी पहचान नहीं हो पाती है।

(d) दक्षता उपलब्धि के आकलन के क्रम में पहचान होना।

(ii) मध्यम मानसिक मंदता 35-50

(a) सुस्त रहना।

(b) से चलना-फिरना व उठना-बैठना।

(c) किसी कार्य को सीखने के लिए अत्यधिक अभ्यास की आवश्यकता।

(d) पुनरावृत्ति की आवश्यकता।

(iii) गंभीर मानसिक मंदता 20-35

(a) दैनिक जीवन की गतिविधियों को पूरा करने के लिए दूसरों पर निर्भर रहना।

(b) चलने-फिरने, खाने-पीने में दिक्कत।

(iv) अतिगम्भीर मानसिक 20 से कम

(a) दैनिक कार्यों को पूरा करने में भी सहायता की जरूरत।

(b) गति कौशल में कमी।

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