श्रवण अक्षमता क्या है? इसकी व्यापकता पर प्रकाश डालें। (What is hearing Impairment? Throw light on its prevalence.)
व्यक्ति विशेष की वैसी अक्षमता जो उस व्यक्ति में सुनने की बाधा उत्पन्न करती है श्रवण अक्षमता कहलाती है। इसमें श्रवण-बाधित व्यक्ति अपनी श्रवण शक्ति को अंशतः या पूर्णतः गँवा देता है तथा उसे सांकेतिक भाषा पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे बच्चों को सामान्य स्कूलों में पढ़ाना कठिन होता है। ऐसे बच्चे किसी आवाज या ध्वनि के प्रति न तो संवेदनशील हो पाता है और न ही कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। बच्चों के कान की श्रवण शक्ति के ह्रास होने के कारण ऐसा होता है। कभी-कभी बच्चों की श्रवण क्षमता आंशिक रूप से प्रभावित होती है। इस प्रकार के बहरेपन से पीड़ित बच्चे लगभग 5 फीट की दूरी पर हो रही बातचीत को सुन पाने में कठिनाई महसूस करते हैं। यदि इस प्रकार का बहरापन अधिक आयु में हो तो भाषा के विकास पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। श्रवण अक्षमता को विभिन्न विद्वानों ने विभिन्न प्रकार से परिभाषित करने का प्रयास किया है।
‘कांफ्रेंस ऑफ एक्जक्यूटिव्स ऑफ अमेरिकन स्कूल फॉर द डेफ’ ने श्रवण अक्षमता को परिभाषित करते हुए कहा कि-“एक बधिर व्यक्ति वह है जिनकी श्रवण बाधिता 70 डेसीबेल हो और श्रवण यंत्र की सहायता से या उसके बगैर वह ध्वनियों को समझ नहीं पाता हो।”
वहीं यूनेस्को की विशेषज्ञ कमेटी (1985) ने श्रवण अक्षमता को परिभाषित करते हुए कहा कि-“बधिर बच्चे वैसे बच्चे होते हैं जिनमें अत्यधिक श्रवण अक्षमता ह्रास के चलते स्वाभाविक वाणी और भाषा का विकास अत्यंत या पूर्णतः नहीं हुआ हो।”
क्विगली एवं क्रिश्मर (1982) के अनुसार – “एक बधिर बच्चा या व्यक्ति वह है जिसमें 91 डेसीवेल या अधिक मात्रा में श्रवण क्षमता का सेन्सरी-न्यूरल ह्रास हुआ हो।”
मूर्स (1987) ने श्रवण अक्षमता को परिभाषित करते हुए कहा कि ” श्रवण अक्षमा व्यक्ति के श्रवण क्षमता में मामूली से संयत ह्रास है।”
पाउल और क्विगली (1990) के अनुसार ‘श्रवण अक्षमता का मतलब श्रवण क्षमता में संयत से अत्यधिक हानि है।
निःशक्त व्यक्ति अधिनियम (1995) की धारा 2 (ड) के मुताबिक श्रवण शक्ति का ह्रास से अभिप्रेत है संवाद संबंधी रेंज की आवृत्ति में बेहतर कर्ण में साठ डेसीबेल या अधिक की हानि।
श्रवण अक्षमता जन्मजात भी होता है और जन्म के बाद जिन्दगी के किसी काल में भी। दोनों समूह के बीच वाणी और भाषा संप्रेषण में अंतर होता है ।
व्यापकता (Prevalence)- राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) द्वारा वर्ष 2002 में कराए गए सर्वेक्षण के अनुसार देश में विकलांग व्यक्तियों की अनुमानित संख्या 1.85 करोड़ है जिसमें 30.62 लाख श्रवण विकलांग तथा 21.55 लाख मूक व्यक्ति हैं। जबकि संगठन के 1991 के सर्वेक्षण के मुताबिक श्रवण अक्षमताग्रस्त व्यक्तियों की संख्या 32.42 लाख थी।
मानव कर्ण का मुख्य काम है सुनना। यह ध्वनि तरंगों को ग्रहण कर मस्तिष्क तक पहुँचाता है और मस्तिष्क के आदेश से हमें ध्वनि का अर्थ समझ में आता है। वास्तव में ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है। किसी वस्तु को कंपन कराया जाता है तो उससे ध्वनि निकलता है। ध्वनि एक जगह से दूसरे जगह तरंग के रूप में गमन करता है। जिस तरह से एक शांत तालाब में एक पत्थर फेंक देने से जल तरंग सभी दिशा में फैल जाता है ठीक उसी तरह ध्वनि तरंग भी अपने स्रोत चारों तरह फैल जाता है। स्रोत से दूरी बढ़ने पर ध्वनि तरंग भी कम सुनायी पड़ता है।
वैसे भी ध्वनि संदेश आदान-प्रदान एवं मनोरंजन का एक साधन रहा है। लेकिन यदि ध्वनि का स्तर तीव्र हो तो उसे हमारा कान आसानी से सहन नहीं कर पाता है बल्कि कई मौकों पर तो हमें कान में ऊँगली डालने को विवश होना पड़ता है। विवाह-शादी, पर्व-त्योहार, जागकरण, म्यूजिकल प्रोग्राम तथा अन्य सामाजिक सम्मेलनों के अवसर पर प्रयुक्त होने वाले लाउडस्पीकर की कान फाडू आवाज कभी-कभी मानव कर्ण के लिए समस्या का कारण बन जाती है। इससे न केवल वयस्क व्यक्तियों में बल्कि बच्चों में भी श्रवण विकृतियाँ उत्पन्न होने लगती हैं खासकर वैसे बच्चे अक्सरहाँ स्कूल जाते वक्त ट्रैफिक जाम में फँस जाते हैं और मोटर वाहनों के कोलाहल में धीरे-धीरे सुनने की क्षमता गंवा बैठते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मानव कर्ण के लिए दिन में 45 डेसीबेल या ध्वनि तीव्रता मापने की इकाई है तथा अलेक्जेंडर ग्राम बेल के नाम पर इसका नामकरण किया गया है) और रात्रि में 35 डेसीबेल अनुकूलतम स्तर है। अधिकांश राष्ट्रों में शोर की अधिकतम सीमा 75-80 डेसीबेल निश्चित की गई है। कुछ ध्वनि तीव्रता के स्तर निम्नलिखित हैं :
ध्वनि स्रोत | ध्वनि तीव्रता का स्तर |
साँस लेना सूखे पत्तों का झड़ना अनवरत बातचीत घड़ी की टिक-टिक शांत गली में स्थित मकान शांत कार्यालय कक्ष रेडियो संगीत जोड़ से बातचीत बच्चों का खेल गतिशील बस लोडेड ट्रक/साइलेंसरविहिन टेम्पो ट्रैक्टर/ठनका वायुयान बम विस्फोट/ जेट इंजन खगोलयान जाँच |
10 डेसीबेल 20 डेसीबेल 25 डेसीबेल 30 डेसीबेल 35 डेसीबेल 50 डेसीबेल 55 डेसीबेल 60-65 डेसीबेल 70 डेसीबेल 80-85 डेसीबेल 90-100 डेसीबेल 110 डेसीबेल 120 डेसीबेल 140 डेसीबेल 140-170 डेसीबेल |
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