विशेष अधिगम समस्याएँ और उनके शैक्षिक प्रावधान का वर्णन करें।
विशेष अधिगम समस्याएँ और उनके शैक्षिक प्रावधान निम्न हैं-
1. सोचने-समझने व तर्क करने की योग्यता- सोचने-समझने व तर्क शक्ति का विकास छात्रों को उचित मार्गदर्शन प्रदान करके किया जा सकता है। इस मार्गदर्शन के लिए हमें छात्रों से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के आँकड़े इकट्ठे करने पड़ते हैं ये आँकड़े हम पढ़कर, सुनकर या अवलोकन द्वारा इकट्ठे कर सकते हैं और फिर आँकड़ों का समानता व विभिन्नता के आधार पर विश्लेषण करते हैं। अध्यापक द्वारा छात्रों की विभेदीकरण सम्बन्धी कार्य में एक सहायक के रूप में कार्य किया जाता है। तब छात्रों को आँकड़ों को विभिन्न वर्गों में बाँटने के लिए कहा जाता है तथा विभिन्न वर्गों के ऊपर लेबल लगाने को कहा जाता है। इस प्रक्रिया को जितनी बार हो सके, दोहराया जाता है। इस प्रकार लगातार आँकड़ों का व्यवस्थित करना निश्चय ही छात्रों के दिमाग में नई सूचनाओं व नये अनुभवों का समावेश करेगा।
2. पाठन सम्बन्धी समस्या (Reading Problem) – बहुत से अधिगम असमर्थ बच्चों में अनुचित उच्चारण सम्बन्धी समस्या पायी जाती है। इस प्रकार के बच्चों को ध्वनि विज्ञान सम्बन्धी मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए। जो बच्चे गलत पाठन समस्या से ग्रसित होते हैं उन्हें पाठन सम्बन्धी अनुभवी अनुदेशन प्रदान किया जाना चाहिए । इस उद्देश्य के लिए कुछ रिकॉर्डिंग उपकरणों का प्रयोग किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार की कहानियाँ, अपने अनुभव बाँटकर, आवश्यक मल्टीमीडिया सुविधाएँ प्रदान करके इन छात्रों की पाठन सम्बन्धी समस्या को दूर किया जा सकता है।
3. भाषा (Language) – अधिगम असमर्थ बालकों को भाषा को अभिव्यक्त करने व दोहराने में कठिनाई होती है। उनकी भाषा योग्यता को विकसित करने तथा उन्हें भाषा सम्बन्धी कठिनाइयों से उबारने के लिए निम्न सिद्धांत दिये गये हैं-
(i) सामान्य भाषा विकास के क्रम को अपनाकर।
(ii) भाषा विकास के लिए आपसी सम्पर्क का प्रयोग करके।
(iii) उद्देश्यपूर्ण सन्दर्भ में भाषा को पढ़ाना।
(iv) भाषा को समझने की परख व उत्पादकता के लिए पढ़ाना।
4. वर्तनी (Spelling) – अधिगम असमर्थ बच्चों द्वारा शब्दों की वर्तनी में अधिक गलतियाँ की जाती हैं। इन बच्चों की वर्तनी में सुधार करने के लिए उन शब्दों की सूची बनायी जाती है जो शब्द इनके द्वारा हमेशा गलत किये जाते हैं।
एक और तकनीक प्रयोग की जा सकती है। शब्द को सही वर्तनी के साथ चॉकबोर्ड पर लिखो और बच्चों को यह शब्द अपनी नोटबुक में लिखने के लिए कहो । तब बच्चे को अपनी वर्तनी व बोर्ड पर लिखी वर्तनी में तुलना करने के लिए कहो और सही वर्तनी के साथ उच्चारण करने के लिए कहो। उन्हें इसका उच्चारण दोहराने के लिए कहिए । अब सही वर्तनी शब्द को ढक दीजिए और अब बच्चों को अपनी-अपनी कॉपियों में लिखने के लिए कहिये अब दोबारा बच्चों को चॉकबोर्ड पर लिखे शब्द से तुलना करने के लिए कहिये इस प्रकार बार-बार लिखने से उसकी वर्तनी सही हो जाती है। इस विधि को बार-बार दोहराने से शिक्षण अधिगम सम्बन्धी सही वर्तनी का अभ्यास हो जाता है जो कि शिक्षण के लिए आवश्यक है ।
5. सुलेख सम्बन्धी समस्या- पेपर और पेंसिल से लिखने से पहले बच्चों को चॉकबोर्ड पर अभ्यास करवाया जाना चाहिए। बच्चे में लिखने सम्बन्धी सही आदत का विकास करने के लिए आवश्यक सहायता की जानी चाहिए। लिखने के लिए पेंसिल हाथ के अँगूठे व बीच की उँगली के बीच होनी चाहिए। तर्जनी उँगली से पेंसिल पर दबाव डालना चाहिए। कई बार सुलेख सम्बन्धी समस्याएँ कमजोर शारीरिक नियंत्रण के कारण भी होती हैं। ऐसे बच्चों की माँसपेशियों को शक्तिशाली बनाने के लिए इच्छानुसार अभ्यास कराये जा सकते हैं, जैसे- किसी वस्तु को काटना, मिट्टी की आकृति या वस्तु बनाना आदि। विशिष्ट रूप से कठिनाई का अनुभव करने वाले बालकों की शिक्षा के लिए ग्राफ पेपर का प्रयोग पर्याप्त रूप से उपयोगी होता है।
6. अवधान सम्बन्धी समस्या (Attention Problem) – इन बच्चों की अवधान सम्बन्धी समस्याओं का निवारण करने के लिए एक उच्चस्तरीय अधिगम वातावरण प्रदान किया जा सकता है जो प्रत्यक्ष निर्देश प्रदान करे।
(i) उचित, त्रुटिहीन व विशिष्ट निर्देशन देकर।
(ii) पुरस्कार, पुनर्बलन तथा प्रशंसा के प्रयोग पर जोर देकर।
(iii) बच्चों को आत्म-नियंत्रण सम्बन्धी अभ्यास सिखाकर तथा अपने कुण्ठित व्यवहार से बाहर निकालकर।
(iv) अधिगम से विचलित बच्चों को मध्य मेजों पर बैठने की आज्ञा देकर।
(v) उनके माता-पिता के साथ सम्बन्ध बनाकर।
7. प्रत्यक्षीकरण की समस्या- इस प्रकार के बच्चे श्रव्य प्रत्यक्षीकरण में उसी तरह की कठिनाई महसूस करते हैं, जैसे दृश्य प्रत्यक्षीकरण में करते हैं। इनकी प्रत्यक्षीकरण योग्यताओं को बढ़ाने के लिए निम्न साधनों द्वारा अभ्यास कराया जा सकता है-
(a) तुकांत कविता (Rhymes ) द्वारा अभ्यास कराना भी सहायक हो सकता है।
(b) अधिगम असमर्थ बच्चों को मौखिक निर्देश दोहराने के लिए कहकर।
(c) बच्चों को चॉकबोर्ड से चित्र कॉपी करने के लिए कहकर।
(d) चित्रों सहित कहानी बताकर और फिर चित्रों को मिलाकर बच्चों को कहानी बताने के लिए कहना।
(e) बच्चों को उनके नाम, वर्ग और वर्गीकरण के बारे में बताकर।
(f) ज्यामिति (Geometric) डिजाइन को मिलाने सम्बन्धी अभ्यास कराकर।
अतः हम कह सकते हैं कि अधिगम असमर्थता कम व्यापक व कम विशिष्ट है तथा अधिगम समस्याएँ बहुत हैं। अधिगम असमर्थ बच्चों को नियमित अध्यापक द्वारा देखभाल व ध्यान में रखकर नियमित कक्षाकक्ष में ही समन्वित किया जा सकता है। स्रोत अध्यापक के सहयोग द्वारा ये छात्र नियमित कक्षा व्यवस्था में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
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