भाषा प्रयोगशाला क्या है? (Language Laboretories in Hindi)
पाठ्य पुस्तक के अतिरिक्त भाषा प्रयोगशाला भी शिक्षण का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। शिक्षण के क्षेत्र में भाषा प्रयोगशाला एक नई विधा है। इसके सम्बन्ध में विद्वानों ने अपने जो विचार दिए हैं, उनसे इसके महत्त्व और उपयोगिता पर प्रकाश पड़ता है। प्रो. एडविन पैकर ने लिखा है कि भाषा प्रयोगशाला विद्युतकीय साज-सज्जा से युक्त एक शिक्षण कक्ष होता है जिसका उपयोग भाषाओं में समूह शिक्षा के लिए किया जाता है। कम सज्जित प्रयोगशालाओं में हर एक छात्र के लिए एक-एक पीठिका होती है जो छात्रों को शोरगुल से अलग रखती है और हरेक पर शीर्ष ध्वनि यन्त्र रहते हैं जिनकी सहायता से वे बोलते हुए शिक्षक या टेप रिकार्डर या अध्यापक के नियन्त्रण में बजने वाले रिकार्ड सुनते हैं।
अधिक सज्जित प्रयोगशालाओं में लोगों के द्वारा पहने जाने वाले शीर्ष ध्वनि यन्त्र एक संलग्नक के साथ फिट रहते हैं, जो लोगों के मुख के सामने एक माइक्रोफोन साधे रहते हैं और विद्यार्थी के पास एक टेप रिकार्डर प्रायः दोहरे मार्ग और दोहरे रेकार्ड के पुनः चलाने वाले शीर्ष के साथ उसके नियन्त्रण में होता है। अध्यापक एक ऐसे स्थान पर बैठता है जो ऐसे ढंग से सज्जित होता है कि किसी छात्र के टेप रिकार्ड करने को सुन सके और अनुदेश दे सके तथा वह छात्रों के उच्चारण छात्र विशेष के द्वारा कहे सुने गये शब्दों को शुद्ध कर सके। इस कथन से स्पष्ट होता है कि भाषा प्रयोगशाला एक विशेष ढंग से तथा यन्त्रों के द्वारा सज्जित एक शिक्षण कक्ष होता है जहाँ भाषा की शिक्षा दी जाती है। विकसित भाषा प्रयोगशाला में छात्रों को अनुदेश पहले से टेप रिकार्ड किये गये भाषण- व्याख्यान द्वारा दिये जाते हैं, छात्र शीर्ष ध्वनि यन्त्रों के जरिए पढ़ी जाने वाली भाषा में कहे गये शब्द और वाक्य सुनते हैं और पुनः थोड़ी देर के लिए रुका जाता है जिससे छात्र बोलने वाले के शब्दों एवं वाक्यों को दो या तीन बार दुहरा सकें। बाद में प्रश्न और उत्तर के अभ्यास से पाठ पढ़ाए जाते हैं और चित्रों का प्रकाशन बड़े पर्दे पर किया जाता है जिसे कक्षा के सभी देख सकें। ऐसे प्रकाशन अभ्यास के लिए छात्र को शब्द-समूह की जाँच करने का अवसर देते हैं छात्र चित्रों का वर्णन करते हैं, चित्रों के बारे में पूछे गये प्रश्नों का उत्तर देते हैं। चित्रों या कविता का सौन्दर्य-निरूपण करते हैं। अभिनयात्मक उद्धरणों का पुनर्कथन करते हैं और इस प्रकार से भाषा का ज्ञान प्राप्त करते हैं। जो कुछ भी और जिस किसी ढंग से छात्र अभिव्यक्त करत हैं, उन्हें वे टेप लपेट पर फिर से चालू करते हैं और अपनी अभिव्यक्तियों को सुनते, समझते और सुधारते हैं था अपनी पीठिका से अध्यापक भी सुनता है और सुधारता भी है। इस प्रकार से भाषा प्रयोगशाला यन्त्रों की सहायता से भाषा सिखाने का एक सक्रिय, स्व-प्रयत्नपूर्ण, रोचक तथा उपयोगी आधुनिक शिक्षण अभिकरण कही जा सकती है।
आधुनिक युग में ज्ञानात्मक विकास वैज्ञानिक एवं यान्त्रिक साधनों से हो इसलिए भाषा के शिक्षण तथा हिन्दी के शिक्षण के लिए भी ऐसी सज्जित भाषा प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाए। यह सर्वविदित है कि भाषा का शिक्षण काफी पिछड़ा हुआ है और प्रयोगशाला एक उपयोगी साधन एवं माध्यम है जिससे गद्य, पद्य, नाटक, रचना एवं वैज्ञानिकता के साथ साहित्यिक एवं लोक भाषा का शुद्ध इस नवीन विधा के द्वारा देना सम्भव है विदेशी लोगों को भाषा सिखाने के लिए यह विधा अत्यन्त उपयोगी है, परन्तु सबसे बड़ी कठिनाई इस बात की है कि अपने देश में इस ओर शिक्षाविदों एवं भाषा शिक्षाशास्त्रियों का नहीं जा रहा है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि भारत के भाषा शिक्षण संस्थानों में कहीं भी हिन्दी भाषा की प्रयोगशाला नहीं है। हिन्दी शिक्षण की गतिविधियों में इसके कारण कितना पिछड़ापन आ गया है, इसकी कल्पना हम नहीं कर रहे हैं इसके साथ-साथ हिन्दी शिक्षण के क्षेत्र में शोधवृत्ति भी लुप्तप्राय है इसलिए भी कोई प्रयास हिन्दी भाषा की प्रयोगशाला के निर्माण का नहीं हो रहा है, लेकिन अन्य भाषाओं की प्रयोगशालाओं का प्रयोग हो रहा है।
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