जनसंचार का अर्थ तथा परिभाषा
जनसंचार का अर्थ तथा परिभाषा- अगर हम जनसंचार की कोई आसान-सी परिभाषा देना चाहते हैं तो यह दे सकते हैं-मशीनी या इलेक्ट्रॉनिक रूप से संचारित लोक संचार। इससे बड़ी संख्या में संदेश का संचार लाखों करोड़ों तक पहुँचता है। आप संचार को जनता तक पलक झपकते ही पहुँचा सकते हैं।
आप के दिल-ओ-दिमाग में यह सवाल उठना सहज है कि जनसंचार के ज़रिए संदेश आखिर भेजे कैसे जाते हैं? जनसंचार के एक नहीं, कई प्रकार हैं। इन प्रकारों में समाचारपत्र हैं, पत्रिकाएँ हैं, फ़िल्में हैं, रेडियो है, टेलीविजन है, मोबाइल है और इंटरनेट आदि भी हैं। मीडिया संचार के माध्यम का बहुवचन है। संचार के माध्यम को संचार के चैनल नाम से भी जान सकते हैं। इस तरह हम जन माध्यम को इन प्रश्नों से परिभाषित कर सकते हैं-जन माध्यम कौन है?, क्या कहता है? किस चैनल पर है और किस प्रभाव के साथ है। इस बात को यों समझा जा सकता है-
कौन : इसका अर्थ है कि कौन संचार भेज रहा है।
क्या कहता है : क्या का अर्थ संदेश है। क्या वही है जो संदेश भेजने वाले ने लिखा, बोला या दिखलाया है।
किस चैनल पर : किस चैनल का अर्थ है-माध्यम ‘अर्थात् समाचार पत्र, पत्रिका, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट मोबाइल आदि।
किससे : किससे का अर्थ है संदेश को प्राप्त करने वाला व्यक्ति।
किस प्रभाव के साथ : इसका अर्थ है मीडियम या चैनल का संदेश पर प्रभाव। मान लीजिए आप टेलीविजन पर सगोत्र विवाह पर कोई कार्यक्रम देख रहे हैं। उस कार्यक्रम को सुनकर आपका दृष्टिकोण बदल जाता है तो यह कहा जाएगा प्रभाव ।
संप्रेषक : संप्रेषक वे लोग कहलाते हैं जो फिल्म का निर्माण करते हैं, टेलीविजन रेडियो के कार्यक्रम तैयार करते हैं और समाचार पत्र में कार्य करते हैं। जैसे फ़िल्म दबंग के संप्रेषक मलायिका अरोड़ा के पति व सलमान के भाई अरबाज़ खान हैं।
चैनल : वे साधन जिनका उपयोग संप्रेषक अपना संदेश आप तक पहुँचाते हैं, उन्हें चैनल कहा जाता है। जैसे संप्रेषक ने अपना संदेश दबंग फिल्म से जनता तक पहुँचाया। यहाँ चैनल फिल्म है।
जनसंचार के कार्य
जनसंचार का काम जनता को सूचना देना : जनसंचार का काम है हमें सूचना देना। इसमें समाचारपत्र, पत्रिकाएँ, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट, आदि सभी साधन आ जाते हैं। इन माध्यमों से मिलने वाले संदेश या तो हमारा मनोरंजन करते हैं या फिर शिक्षित करते हैं। रेडियो टेलीविजन, इंटरनेट से मिलने वाली सूचनाएँ हमें शिक्षित करती हैं। फिल्में और टेजीविजन से प्रसारित होने वाले धारावाहिक और रियल्टी शो हमारा मनोरंजन करते हैं। कुछ रियल्टी शो मनोरंजन के साथ हमारा ज्ञान भी बढ़ाते हैं।
आप समाचार पत्र, पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ते होंगे। रेडियो सुनते होंगे और टेलीविजन देखते होंगे। प्रिंट मीडिया अर्थात् समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में काम करने पत्रकारों में एक वर्ग समाचार जुटाता है और दूसरा वर्ग संपादन कर समाचार पत्र तैयार करता है। इनका काम आपको संदेश पहुँचाना है। इसी प्रकार रेडियो पर पत्रकारों का एक वर्ग समाचार जुटाने व संपादन का काम करता है तो दूसरा वर्ग उन समाचारों को अपनी आवाज़ से आप तक पहुँचाता है। यही स्थिति दूरदर्शन व केबल के ज़रिए आने वाले विभिन्न चैनलों की है। कार्यक्रमों का निर्देशन करने वाले व कार्यक्रमों को तैयार करने वालों का प्रमुख कार्य आप तक समाचार प्रेषित करना है।
समाचारपत्र से सूचना प्रेषण: समाचारपत्र, रेडियो और टेलीविजन के न्यूज चैनल हमें कोई न कोई घटना से परिचित कराते हैं अथवा उस घटना का विश्लेषण करते हैं। घटना से अर्थ समाचार है।
कुछ उदाहरण देखिए-
‘नई दुनिया’ समाचारपत्र में दिनांक 26 जून, 2010 को कुछ प्रमुख समाचारों के शीर्षक इस प्रकार थे
1. आम आदमी की जेब पर डाका|
2. दृढ़ता से मुंबई हमले का मामला उठाया चिदंबरम ने
3. राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी पर प्रधानमंत्री चिंतित ।
4. भोपाल का कचरा पीथमपुर में जलाना खतरनाक ।
5. गर्दन बचाने के लिए पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा ।
6. निर्माणाधीन मकान की छत से श्रमिक गिरा ।
7. हत्या के बाद पेड़ पर लटकाया था सोनू का शव
8. मकान खाली करने की बजाय बुजुर्ग दंपति को बंधक बनाया!
9. बैट्री का तेजाब गिरने से सात झुलसे
10. भाजपा ने किया आंदोलन का एलान
11. भारत को चाहिए बीस मोस्टवांटेड आतंकी ।
12. कांग्रेस में भी रास्ता तलाशा था जसवंत सिंह ने
ऊपर दी गई सभी सुर्खियाँ हमें सूचित करती हैं। इनसे हमें किसी न किसी घटना की सूचना प्राप्त होती हैं। ये सूचनाएँ उन लोगों ‘द्वारा दी गई हैं जिन्हें हम संप्रेषक कहते हैं। समाचार पत्र की भाषा में इन्हें पत्रकार कहते हैं।
रेडियो-टेलीविजन से सूचना संप्रेषण : आप रेडियो से सूचना प्राप्त कर रहे हैं- कनाडा ने किया भारत से परमाणु करार। इससे हमें एक अहम सूचना प्राप्त हुई। इसी तरह टेलीविजन से ख़बर मिली -दो सौ साल पुराने इमली के पेड़ की टहनी टूटी, दबकर माँ-बेटी की मौत। ये काम भी संप्रेषक की ओर से किए गए हैं।
जनसंचार का काम शिक्षित करना : समाचारपत्र रेडियो और टेलीविजन हमें शिक्षित करते हैं। जैसे कोई डॉक्टर किसी समाचारपत्र में किसी रोग की जानकारी और उसकी रोकथाम के बारे में लिखकर हमें शिक्षित करता है। इसी प्रकार कोई उद्घोषक प्रमुख समाजसेवियों को साथ लेकर दहेज के मुकदमों का विश्लेषण करता है। हम इंटरनेट से किसी वैज्ञानिक उपकरण की जानकारी प्राप्त करते हैं। ये सब काम भी जनसंचार के अंतर्गत ही आते हैं।
जनसंचार का काम मनोरंजन करना : जनसंचार हमारी मनोरंजन की भूख भी शांत करता हैं। मेट्रो रंग, संडे रविवारी जनसत्ता, जैसे समाचार पत्रों की पत्रिकाएँ न केवल हमें शिक्षित करती हैं अपितु मनोरंजन भी करती हैं। इसके अतिरिक्त संचार माध्यमों से हम विज्ञापन के माध्यम से अनेक उत्पादों से परिचित होते हैं। अतः एव चैनल वह माध्यम है जिससे संदेश प्रेषित किया जाता है। ये माध्यम समाचारपत्र, रेडियो, टेलीविजन मोबाइल इंटरनेट आदि हो सकते हैं।
विज्ञापन से परिचित कराना : जनसंचार माध्यमों का पाठक श्रोता व दर्शक पर गहरा असर पड़ता है। समाचारपत्र, रेडियो या टेलीविजन पर प्रसारित विज्ञापन देखकर लोग उत्पाद खरीद लेते हैं। वस्तुतः जन माध्यमों में प्रकाशित होने वाले विज्ञापनों का मुख्य कार्य ही पाठकों, श्रोताओं व दर्शकों को उत्पाद खरीदने के लिए उत्साहित व प्रेरित करना है।
सरकार की ओर से जन माध्यम का उपयोग : सरकार भी जनता को शिक्षित करने के लिए जन माध्यमों का उपयोग करती है। पोलियो की खुराक के लिए सरकार जनता को इश्तिहारों, समाचारपत्रों, विज्ञापनों और टेलीविजन से शिक्षित करती है। इस संबंध में विज्ञापन प्रसारित करती है। इसी तरह जनगणना के लिए भारतीय जनता को शिक्षित करने के लिए हर जन संचार माध्यम पर विज्ञापन दिया गया। इससे स्पष्ट होता है की जनसंचार का काम जनता को घटना से परिचित कराना है, शिक्षित करना है और मनोरंजन करना है।
जनसंचार का उद्भव
जनसंचार मानवीय सभ्यता के आरंभ से:: जनसंचार की आवश्यकता व्यक्ति शुरू से अनुभव करता रहा। है। यह ठीक है कि आज जनसंचार का जो स्वरूप हमें दिखाई दे रहा है वह बीसवीं शताब्दी में विकसित हुआ है पर इसे हम मानवीय सभ्यता के आरंभ से पाते हैं।
पशु-पक्षियों व संवदिया माध्यम: पहले यह संदेश पक्षियों के सहारे पहुँचाया जाता था। फिर संवदिया के ज़रिए भी पहुँचाया जाने लगा। उद्धव संवदिया ही था। वह कृष्ण का संदेश लेकर गोपियों के पास आया था। युद्ध काल व शांतिकाल में संवदिया समाचार पहुँचाने के लिए दूर-दूर तक घुड़सवारी करते थे। महाकवि कालिदास ने मेघदूत गीतिकाव्य लिखा है। उसमें यक्ष मेघ के माध्यम से अपनी प्रेमिका को संदेश भेजता है। इसी प्रकार द्विवेदीयुगीन काव्य के प्रसिद्ध कवि पंडित अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ने खड़ी बोली के पहले महकाव्य ‘प्रियप्रवास’ में राधा का संदेश पवन के माध्यम से भेजा था।
टेलीग्राफ का आविष्कार : कागज व मुद्रण का आविष्कार हुआ। जनसंचार के साधन विकसित होने लगे। सन् 1835 में सैम्युअल एफ.बी. मोर्स ने टेलीग्राफ का आविष्कार किया। इसके माध्यम कूट संदेश प्रेषित किया गया और लंबी दूरी तक भेजा गया। बाद में, मानवीय आवाज़ से भी संदेश भेजा गया। यह काम सन् 1876 में किया गया। इसमें मानवीय आवाज़ का संचार कर लंबी दूरी तक तार भेजा गया। यह काम अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने किया।
रेडियो, टांजिस्टर टेलीविजन का आविष्कार : सन् 1901 में मारकोनी ने रेडियो का आविष्कार किया जिससे बिना तार के लंबी दूरी तक मानवीय आवाज़ का संचार किया गया। सन् 1947 में ट्रांजिस्टर की खोज हुई और यह बहुत लोकप्रिय माध्यम बना। सन् 1920 में टेलीविजन की खोज हुई। इसका आविष्कार बेयर्ड ने किया।
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