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टेलीविजन कार्यक्रम निर्माण में काम करने वाले सदस्यों की भूमिका का वर्णन कीजिए।

टेलीविजन कार्यक्रम निर्माण में काम करने वाले सदस्यों की भूमिका
टेलीविजन कार्यक्रम निर्माण में काम करने वाले सदस्यों की भूमिका

टेलीविजन कार्यक्रम निर्माण में काम करने वाले सदस्यों की भूमिका

जिस प्रकार किसी काम को कोई आदमी अकेले पूरा नहीं कर सकता। उसे उस काम में कुछ अन्य लोगों का सहयोग लेना पड़ता है उसी प्रकार टेलीविजन कार्यक्रम के निर्माण करने वाले व्यक्ति को निर्माण के लिए समस्त और समुचित सामग्री एकत्र करने के उपरांत भी कुछ व्यावसायिक लोगों की आवश्यकता पड़ती है। इससे यह कहा जा सकता है। कि टेलीविजन के लिए कार्यक्रम ‘का निर्माण एक व्यक्ति का प्रयास न होकर कई व्यक्तियों का सामूहिक प्रयास है। यह एक टीम वर्क है। इसके प्रमुख सदस्यों में रचनाधर्मी और अन्य स्टाफ कर्मचारी भी होते हैं। यह भी हो सकता है कि सदस्य एक से अधिक काम करने का बीड़ा उठाएँ। लेकिन यह संगठन पर निर्भर है कि एक काम को एक व्यक्ति करेगा या उसके साथ अन्य व्यक्तियों को भी सहयोगी के रूप में उतारना होगा। इस प्रकार कार्यक्रम निर्माण में विभिन्न सदस्य अपने कार्य के अतिरिक्त अन्य कार्य भी करते हैं। जो कार्य होता है वह सभी का एक संयुक्त प्रयास होता है। जिस तरह क्रिकेट टीम में बेटिंग करने वाले खिलाड़ी से लेकर फिल्डिंग करने वाला खिलाड़ी तक महत्त्वपूर्ण होता है, उसी प्रकार कार्यक्रम निर्माण में कलाकार से लेकर लाइट लगाने वाला, यहाँ तक कि दरी बिछाने वाला तक ज़रूरी होता है। कहना यह चाहिए कि निर्माण में हर शामिल व्यक्ति निर्णायक कहलाता है।

कार्यक्रम: निर्माता की टीम में जो लोग शामिल होते हैं। उनके बारे में संक्षेप में जानकारी इस तरह दी जा सकती है

निर्माता: टेलीविजन कार्यक्रम का जो व्यक्ति निर्माण करता है, उसे निर्माता कहा जाता है। यह व्यक्ति संपूर्ण निर्माण का प्रभारी होता है। यह कार्यक्रम के लिए बजट की व्यवस्था करता है। यही विज्ञापन एजेंसियों, अदाकारों व लेखकों के बीच संपर्क साधता है। यह कार्यक्रम निर्माण में लगे सभी व्यक्तियों और तकनीकी व गैरतकनीकी लोगों के बीच समन्वय कायम न करता है और यही सभी परिणामों का उत्तरदायी होता है। वे चाहे अच्छे हों या फिर बुरे ।

निर्देशकः इसे डायरेक्टर या निदेशक भी कहा जाता है। यह तकनीकी कार्यों, कलाकारों के निर्देशन का प्रभारी होता है। निर्देशक ही स्क्रिप्ट को प्रभावी ऑडियो व विडियो संदेश में ढालने के लिए आखिरी तौर पर जिम्मेदार होता है। वही कैमरामेन को निर्देश देता है कि कैमरा कहाँ रखा जाना है और किस एंगल पर रखा जाना है। किस प्रकार के दृश्यांकन को फिल्माना है। वही यह बताता है कि दृश्य में कहाँ अभिनेता खड़े होंगे और कहाँ अभिनेत्रियाँ । उनको आवश्यक एक्शन भी वही बताएगा।

निर्माण सहायक (प्रोडक्शन असिस्टेंट ): निर्माण सहायक कार्यक्रम उचित रूप से पूरा होने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराता है। इसे एक प्रकार से निर्माता व निर्देशक के बीच की कड़ी कहा जा सकता है।

स्क्रिप्ट राइटर : टेलीविजन के लिए कार्यक्रम निर्माण की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता स्क्रिप्ट है। स्क्रिप्ट में कार्यक्रम के सभी तत्त्वों का समावेश होता है। इसमें संवाद होते हैं, अभिनेताओं की सूची होती है, कास्ट्यूम यानी वस्त्रों की सूची होती है। प्रत्येक दृश्य में सर्जित होने वाले माहौल का उल्लेख होता है और लोकेशन की विस्तार से जानकारी दी जाती है। स्क्रिप्टराइटर वह व्यक्ति होता है जो कार्यक्रम के लिए स्क्रिप्ट लिखता है। अगर छोटे स्तर का निर्माण कार्य होता है तो तब यह काम निर्देशक कर लेता है। अगर आवश्यकता पड़ती है तो स्क्रिप्टराइटर को तनख्वाह पर रखा जाता है।

अभिनेता-अभिनेत्रियाँ: अभिनेता या अभिनेत्रियाँ वे कलाकार हैं जो स्क्रिप्ट के अनुसार अपनी अदायगी से कार्यक्रम तैयार करते हैं।

एंकर: टेलीविजन पर जो औपचारिक रूप से कार्यक्रम प्रस्तुत करता है, उसे एंकर कहा जाता है। यद्यपि एंकर का प्रमुख कार्य टीवी पर समाचार प्रस्तुत करना है पर ऐसे एंकर भी होते हैं जो रियलिटी शो प्रस्तुत करते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य मनोरंजक कार्यक्रम भी ये प्रस्तुत करते हैं। हमारी पसंदीदा एंकर साक्षी तंवर है। यह आजकल टीवी पर बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करा रही है।

कैमरा पर्सन: जो व्यक्ति कैमरा संचालित करता है उसे कैमरा पर्सन कहा जाता है। लघु स्तर के कार्यक्रमों में ये लाइटिंग की व्यवस्था करते हैं। इनका एक नाम विडियोग्राफर भी है।

साउंड रिकॉर्डिस्टः साउंड रिकॉर्डिस्ट वह व्यक्ति कहलाता है जो सांउड रिकॉर्ड का काम करता है। यही कार्यक्रम के साथ बजने वाले पार्श्वसंगीत के रिकॉर्डिंग के लिए भी ज़िम्मेदार होता है।

कला निर्देशकः कलानिर्देशक कार्यक्रम निर्माण में रचनात्मक डिजाइनिंग का निर्देशक होता है। वह इसी काम के लिए जिम्मेदार होता है। वही सेट का डिजाइन करता है, लोकेशन डिजाइन करता है और शो ग्राफिक करता है।

प्रापर्टी मैनेजर: वह व्यक्ति जो विभिन्न सेट के निर्माण में काम आने वाली चीज़ों की देख-भाल करता है, उनकी व्यवस्था करता है, वह प्रापर्टी मैनेजर कहलाता है। प्रापर्टी मैनेजर की आवश्यकता तब पड़ती है जब निर्माण कार्यक्रम बड़ी मात्रा में होता है अन्यथा इस काम की ज़िम्मेदारी फ्लोर मैनेजर को सौंप दी जाती है। फ्लोर मैनेजर को स्टेज मैनेजर भी कहा जाता है।

वस्त्र सज्जाकार (कास्ट्यूम डिजाइनर ) : वस्त्र सज्जाकार वह व्यक्ति होता है जो शो के लिए वस्त्रों का डिजाइन करता है। वह इन वस्त्रों को तैयार भी करता है।

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