बुद्धि मापने की विधियाँ (Methods of Measuring Intelligence)
बुद्धि मापन की विधियों को जानने के हेतु दो बातों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है-
(i) मानसिक आयु (Mental Age),
(ii) बुद्धिलब्धि (Intelligence Quotient)।
(1) मानसिक आयु- मानसिक आयु व्यक्ति के बौद्धिक स्तर की सूचक है। मानसिक आयु की धारणा का प्रारम्भ बिने और साइमन ने किया। इसका निर्धारण करने के लिए उन्होंने विभिन्न आयु के हेतु विभिन्न प्रकार की बुद्धि परीक्षाओं का निर्माण किया। मानसिक आयु इन बुद्धि परीक्षाओं के माध्यम से ज्ञात की जा सकती है। उदाहरण के लिए यदि किसी बुद्धि परीक्षा में दस वर्ष के बच्चों हेतु निर्धारित औसतमान (Average Scope) 75 हो तो जिस बालक का इस परीक्षा का औसत मान 75 आया उसकी आयु दस वर्ष मानी जायेगी। चाहे वह आठ वर्ष का ही क्यों न हो। किसी बालक की वास्तविक आयु तथा मानसिक आयु में कोई निश्चित सम्बन्ध नहीं होता। दस वर्ष की मानसिक आयु आठ वर्ष के बालक की हो सकती है। मानसिक आयु जानने के लिए वास्तविक आयु का जानना आवश्यक होता है।
(2) बुद्धि लब्धि- व्यक्ति की मानसिक आयु जान लेने से यह नहीं पता लग सकता कि वह तीव्र बुद्धि का है अथवा सामान्य अथवा मन्द बुद्धि का। बुद्धि को मापने के लिए बुद्धि लब्धि (I. Q.) का आविष्कार प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक टरमैन द्वारा किया गया। बुद्धि लब्धि क्या है ? इसे जानने के लिए पहले वास्तविक आयु (Chronological Age) तथा मानसिक आयु (Mental Age) का पता लगाया जाता है, तत्पश्चात् निम्न सूत्र की सहायता से बुद्धि-लब्धि ज्ञात की जाती है
बुद्धि-लब्धि = मानसिक आयु/वास्तविक आयु × 100
यदि किसी बालक की मानसिक आयु 15 वर्ष और वास्तविक आयु 12 वर्ष है तो उसकी बुद्धि-लब्धि इस प्रकार ज्ञात की जायेगी-
बुद्धि लब्धि= 15/25 x 100 = 125
125 की बुद्धि-लब्धि का तात्पर्य यह है कि बालक प्रखर बुद्धि का है। साधारणतः जिसकी बुद्धिलब्धि 100 के आस-पास होती है उसे सामान्य बुद्धि का माना जाता है।
विभिन्न मनोवैज्ञानकों ने बुद्धिलब्धि के आधार पर व्यक्ति की बुद्धि को निम्न वर्गों में विभाजित किया है-
बुद्धि लब्धि (I. Q.) | बुद्धि |
1. 140 से ऊपर | प्रतिभाशाली ( Genius ) |
2. 120 से 140 तक | प्रखर बुद्धि (Very Superior) |
3. 110 से 120 तक | उत्कृष्ट बुद्धि (Superior) |
4. 90 से 110 तक | सामान्य बुद्धि (Average) |
5. 80 से 90 तक | मन्द बुद्धि (Dull) |
6. 70 से 80 तक | निर्बल बुद्धि (Feeble Minded) |
7. 50 से 70 तक | मूर्ख (Moron) |
8. 25 से 50 तक | मूढ़ (Imbecile) |
9. 25 से कम | जड़ (Idiot) |
बुद्धि परीक्षाओं की उपयोगिता (Utility of Intelligence Tests )
शिक्षा के क्षेत्र में बुद्धि परीक्षाओं की विशेष उपयोगिता है। आधुनिक युग में बालक को केन्द्र मानकर शिक्षा प्रदान की जाती है। इस हेतु बालक की बुद्धि एवं योग्यता को ध्यान में रखते हुए शिक्षा प्रदान करना आवश्यक हो जाता है। फलस्वरूप बुद्धि परीक्षाएँ शिक्षा का महत्त्वपूर्ण साधन बन गयी हैं।
इनकी उपयोगिता निम्नलिखित दृष्टियों से है-
(1) छात्रों के चयन में सहायता- बुद्धि परीक्षणों के माध्यम से उपयुक्त छात्रों को उपयुक्त कक्षाओं में प्रवेश देने में सहायता प्राप्त होती है। छात्रों का चयन आसान हो जाता है. और अनुपयुक्त छात्रों को छाँट दिया जाता है।
(2) बालकों के मनोवैज्ञानिक वर्गीकरण में सहायता – बुद्धि परीक्षाओं के माध्यम से बालकों को विभिन्न वर्गों में बाँट दिया जाता है; यथा तीव्र बुद्धि, सामान्य बुद्धि और मन्द बुद्धि। विभिन्न प्रकार की बुद्धि वाले छात्रों को अलग-अलग वर्गों में बाँटकर उनकी योग्यतानुसार शिक्षा प्रदान की जा सकती है।
(3) विशिष्ट योग्यता की माप में सहायता- बुद्धि परीक्षाओं द्वारा विद्यालय में सर्वोत्तम बालकों का चुनाव सम्भव है, जो बालक जिस क्षेत्र में विशिष्ट योग्यता रखते हैं उनसे उसी प्रकार के कार्य कराये जाते हैं।
(4) समस्यात्मक बालकों से व्यवहार करने में सहायता- बुद्धि परीक्षाओं द्वारा छात्रों की बुद्धिलब्धि का पता चलता है। यह भी ज्ञान प्राप्त होता है कि उनके व्यवहार का कारण बुद्धि की कमी है अथवा अन्य कोई कारण बुद्धि परीक्षा द्वारा छात्रों के असामान्य व्यवहार के कारणों की जानकारी प्राप्त करके उनका उपचार एवं सुधार किया जा सकता है।
(5) बालकों की क्षमता के अनुसार कार्य देने में सहायता- बुद्धि परीक्षा द्वारा छात्रों की बुद्धि लब्धि का ज्ञान प्राप्त हो जाने पर उन्हें उनकी क्षमतानुसार कार्य देने में सहायता प्राप्त होती है।
(6) पाठ्य-विषयों के चयन में सहायता-बुद्धि परीक्षाओं के आधार पर यह भी जाना जा सकता है कि किसी बालक के लिए कौन-कौन से विषयों का अध्ययन करना उपयुक्त होगा।
(7) बालक के भविष्य की ओर संकेत- डगलस एवं हालैण्ड का विचार है, “बुद्धि परीक्षायें छात्रों की भावी सफलताओं की ओर संकेत करती हैं। इन परीक्षाओं द्वारा उनकी भावी सम्भावनाओं का पता लगाया जा सकता है।”
(8) वार्षिक परीक्षाओं के समय सहायता- इन परीक्षाओं के आधार पर वार्षिक परीक्षाओं में भी सहायता प्राप्त होती है। यदि कोई कुशाग्र बुद्धि का बालक वार्षिक परीक्षा में कम अंक प्राप्त करता है तो उसे आगे की कक्षा में बढ़ाया जा सकता है।
(9) अध्यापकों को शिक्षण कार्य में सहायता- बुद्धि परीक्षणों द्वारा तीव्र बुद्धि, सामान्य बुद्धि, मन्दबुद्धि के बालकों को अलग-अलग वर्गों में रखा जाता है। इस प्रकार की कक्षा में जिसमें एक स्तर की बुद्धि के बालक होते हैं, शिक्षकों को पढ़ाने में सुविधा प्राप्त होती है और बालक भी ध्यान लगाकर पढ़ते हैं।
(10) विद्यार्थियों की प्रगति का ज्ञान- बुद्धिलब्धि का प्रयोग करके शिक्षक यह ज्ञात कर सकता है कि विद्यार्थी अपनी योग्यतानुसार विभिन्न विषयों में प्रगति कर रहा है अथवा नहीं। इस तरह की परीक्षाओं में विद्यार्थियों द्वारा किए गए परिश्रम की जाँच की जा सकती है।
(11) शिक्षक के कार्य की जाँच- बुद्धि परीक्षणों की सहायता से इस बात की जानकारी प्राप्त की जा सकती है कि अध्यापक छात्र को संतोषजनक ढंग से पढ़ा रहा है अथवा नहीं।
(12) छात्रवृत्ति देने के निर्णय करने में सहायता- इन परीक्षाओं से बुद्धि का परीक्षण करके योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति देने में सहायता प्राप्त की जाती है।
(13) व्यवसाय सम्बन्धी मार्गदर्शन में सहायता- बुद्धि परीक्षाओं का उपयोग करके बालकों की व्यावसायिक योग्यता का अनुमान लगाया जा सकता है, उन्हें व्यवसाय के चुनाव में सहायता प्रदान की जा सकती है।
(14) मानसिक अस्वस्थता का निदान- बुद्धि परीक्षाओं के माध्यम से बालकों की मानसिक अस्वस्थता का पता लगाकर उसका उपचार करने में सहायता प्राप्त होती है।
(15) शिक्षा में अपव्यय का निराकरण- यह देखा जाता है कि विद्यालयों में अनेक छात्र परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण होने पर पढ़ाई छोड़ देते हैं इसलिए अपव्यय को दूर करने के लिए बुद्धि परीक्षाओं द्वारा बालकों की योग्यता का ज्ञान प्राप्त करके उन्हें विषयों का चुनाव करने में सहायता प्रदान की जाती है, जिनका अध्ययन वे कर सकें।
(16) व्यक्तियों के विशिष्ट वर्गों के अध्ययन में सहायता- बुद्धि परीक्षाओं के द्वारा विशिष्ट वर्गों, जैसे अन्धे, गूँगे, बहरे तथा अन्य जातीय समुदायों के बौद्धिक स्तर का सर्वेक्षण करने में सहायता प्राप्त होती है।
(17) उद्योग एवं व्यावसायिक क्षेत्र में उपयोगिता – बुद्धि परीक्षाओं द्वारा सरकारी एवं गैर-सरकारी सेवाओं के हेतु अधिकारियों, कर्मचारियों के चुनाव में भी सहायता प्राप्त होती है।
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