बुद्धि परीक्षण का अभिप्राय (Meaning of Intelligence Test)
बुद्धि परीक्षण में शिक्षा मनोविज्ञान का सर्वोच्च योगदान है। बुद्धि परीक्षण बुद्धि के मान के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले उपकरण हैं। बुद्धि के मापन का क्या अर्थ है ? क्या बुद्धि का मापन किया जा सकता है ? क्या बुद्धि मापन के यन्त्र विश्वसनीय हैं ? आधुनिक समय में इन प्रश्नों का उत्तर दिया जा सकता है। अब यह कहा जा सकता है कि यह बताना कठिन है कि बुद्धि क्या है, परन्तु बुद्धि का मापन करना सरल है। जब बालक की मानसिक योग्यता का मापन किया जाता है तो इस बात की जानकारी की जाती है कि बालक में कौन-कौन-सी मानसिक योग्यताएँ हैं और वे योग्यताएँ या क्षमताएँ कितनी है। इस कार्य को ही बुद्धि का मापन कहते है। प्रत्येक व्यक्ति में कुछ जन्मजात योग्यताएँ होती है। बुद्धि परीक्षा द्वारा इन्हीं योग्यताओं का मापन किया जाता है। इस प्रकार यह ज्ञात हो जाता है कि व्यक्ति किसी कार्य को करने की क्षमता रखता है अथवा नहीं। इससे व्यक्ति का सही-सही मार्गदर्शन किया जा सकता है।
बुद्धि परीक्षा के अर्थ को स्पष्ट करते हुए ड्रेवर ने इस प्रकार लिखा है- “बुद्धि परीक्षा किसी प्रकार का कार्य या समस्या होती है जिसकी सहायता से एक व्यक्ति के मानसिक विकास के स्तर का अनुमान लगाया जाता है या मापन किया जाता है।”
बुद्धि परीक्षण के प्रकार (Type of Intelligence Test)
बुद्धि का मापन बुद्धि परीक्षण द्वारा किया जाता है। ये परीक्षण इस प्रकार के होते हैं-
(1) व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण
इस प्रकार का परीक्षण एक समय में केवल एक व्यक्ति पर ही किया जा सकता है। इस प्रकार से परीक्षण करने में अधिक समय लगता है परन्तु यह परीक्षण अधिक विश्वसनीय होता है। जो व्यक्ति परीक्षण करता है, वह प्रयोज्य के घनिष्ठ सम्पर्क में आ जाता है। इस प्रकार व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण के द्वारा किसी व्यक्ति की बुद्धि का वास्तविक मापन हो जाता है।
व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण के गुण
व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण के कुछ गुण इस प्रकार हैं-
(i) इस प्रकार के परीक्षण में प्रयोज्य के व्यवहार का अध्ययन किया जा सकता है।
(ii) चूँकि इस प्रकार के परीक्षण में प्रयोज्य से निकट का सम्पर्क स्थापित हो जाता है, अतः प्रयोज्य को सही सूचनाएँ देती हैं।
(iii) इस प्रकार के परीक्षणों के द्वारा बालक की बुद्धि का मापन करने से उसे शैक्षिक और व्यावसायिक निर्देशन देना सम्भव हो जाता है।
व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण के दोष
व्यक्तिगत परीक्षणों के कुछ दोष इस प्रकार हैं-
(i) प्रत्येक व्यक्ति इस प्रकार से बुद्धि का परीक्षण नहीं कर सकता। इसके लिए व्यक्ति को प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता होती है।
(ii) इस प्रकार के परीक्षण में समय और धन अधिक लगता है।
(iii) व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षणों के द्वारा बालक की विशेष योग्यताओं का मापन करना सम्भव नहीं है।
(2) सामूहिक बुद्धि परीक्षण
सामूहिक बुद्धि परीक्षण के द्वारा एक समय में अनेक व्यक्तियों की बुद्धि का मापन किया जा सकता है। द्वितीय महायुद्ध के समय अमेरिकन सरकार को अनेक सैनिकों की भर्ती की आवश्यकता पड़ी, परन्तु अल्प समय में एक बड़ी संख्या में सैनिकों की भर्ती करना सरल कार्य नहीं था। इस कठिनाई से निबटने के लिए सरकार ने कुछ मनोवैज्ञानिकों को इस उद्देश्य से चुना कि वे भर्ती के लिए आने वाले सैनिकों की बुद्धि का मापन करें। इस प्रकार इन मनोवैज्ञानिकों ने एक साथ हजारों व्यक्तियों की बुद्धि का मापन किया। एक साथ अनेक व्यक्तियों की बुद्धि का मापन करने के कारण इस प्रकार के परीक्षण को सामूहिक बुद्धि परीक्षण कहते हैं। अमेरिकन मनोवैज्ञानिकों के द्वारा दो प्रकार के परीक्षण तैयार किये गये। प्रथम प्रकार के परीक्षण उन व्यक्तियों के लिए तैयार किये गये थे जो शिक्षित तथा भाषा जानने वाले थे। इस प्रकार के परीक्षण का नाम ‘आर्मी अल्फा टेस्ट’ रखा गया। दूसरे प्रकार के परीक्षण उन व्यक्तियों के लिए बनाये गये जो अशिक्षित थे या जिन्हें भाषा का ज्ञान न था। इस प्रकार के परीक्षण का नाम ‘आर्मी बीटा टेस्ट’ रखा गया।
कुछ अन्य सामूहिक प्रसिद्ध परीक्षण इस प्रकार हैं-
(i) A.GC.T.
(ii) N. GC.T.
(iii) California Mental Maturity Test और
(iv) Terman McNimar Mental Ability Test.
सामूहिक बुद्धि परीक्षण के गुण
सामूहिक बुद्धि परीक्षण के कुछ गुण इस प्रकार हैं-
(i) इस प्रकार से बुद्धि के मापन के लिए किसी प्रशिक्षित व्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती।
(ii) एक ही समय में अनेक व्यक्तियों की बुद्धि का मापन किया जा सकता है।
(iii) ऐसे परीक्षणों में धन तथा समय की बचत होती है।
(iv) इस परीक्षण के द्वारा प्रत्येक प्रकार के व्यक्तियों की बुद्धि का मापन किया जा सकता है।
सामूहिक बुद्धि परीक्षण के दोष
सामूहिक बुद्धि परीक्षणों के कुछ दोष इस प्रकार हैं-
(i) इस प्रकार के परीक्षण में व्यक्तियों के व्यवहार का अध्ययन नहीं किया जा सकता।
(ii) इस प्रकार के परीक्षण की विश्वसनीयता में सन्देह है।
(3) निष्पादन- परीक्षण
इस प्रकार के परीक्षण को क्रियात्मक परीक्षण (Non Language या Performance Test) भी कहते हैं। ऐसे परीक्षणों से प्रायः अशिक्षित व्यक्तियों की बुद्धि का मापन किया जाता है। निष्पादन परीक्षण का निर्माण हीली (Healy ) नामक विद्वान ने किया।
निष्पादन परीक्षण क्या है, इस विषय में फ्रीमैन ने इस प्रकार लिखा है- “क्रियात्मक । है। सूचनाएँ परीक्षण वे परीक्षण हैं जिनमें भाषा का प्रयोग केवल सूचना देने के लिए किया जाता है। केवल संकेत द्वारा ही दी जाती हैं।”
इस प्रकार के परीक्षण में व्यक्ति को किसी प्रश्न का उत्तर देने के स्थान पर कुछ करना होता है। इसमें परीक्षार्थियों को कुछ समस्यापूर्ण कार्य करने को कहा जाता है। इस परीक्षा कार्य विधि में केवल वास्तविक वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। क्रियात्मक परीक्षण का सर्वप्रथम, निर्माण फ्रांस में सन् 1848 में सैग्यून ने किया था। हीली ने शाब्दिक बुद्धि परीक्षणों के साथ ही क्रियात्मक बुद्धि परीक्षणों का भी प्रयोग किया।
निष्पादन परीक्षण के गुण
निष्पादन परीक्षण के कुछ गुण इस प्रकार हैं-
(i) इस प्रकार के परीक्षण मानसिक समस्याओं को हल करने के लिए उपयुक्त माने जाते है।
(ii) इस प्रकार के परीक्षणों से भाषा न जानने वाले व्यक्तियों, गूँगे और बहरे लोगों की बुद्धि का मापन किया जा सकता है।
(iii) व्यक्ति के गुणात्मक व्यवहार के अध्ययन के लिए इस प्रकार के परीक्षण उपयुक्त माने जाते हैं।
(iv) अशिक्षित व्यक्तियों की बुद्धि के मापन के लिए केवल इस प्रकार के परीक्षण ही प्रयोग में लाये जाते हैं।
(v) क्रो तथा क्रो का कथन है, “कुछ मनोवैज्ञानिकों के अनुसार भाषात्मक परीक्षाओं की अपेक्षा क्रियात्मक परीक्षाओं से मानसिक योग्यताओं का मापन अच्छा हो सकता है।”
निष्पादन परीक्षण के दोष
निष्पादन परीक्षण के कुछ दोष इस प्रकार हैं-
(i) इस प्रकार के परीक्षण से बुद्धि का सही मापन नहीं किया जा सकता क्योंकि इस प्रकार के परीक्षणों में अभ्यास का प्रभाव पड़ता है।
(ii) साधारण योग्यता वाले व्यक्तियों की बुद्धि का मापन इन परीक्षणों द्वारा नहीं किया जा सकता है।
शिक्षक के लिए बुद्धि परीक्षा की उपयोगिता (Utility of Intellegence Test for a Teacher)
एक शिक्षक की बुद्धि परीक्षाओं की उपयोगिता इस प्रकार है-
(i) शिक्षक मन्द बुद्धि वाले बालकों का पता लगाकर उनके लिए उपयुक्त शिक्षण विधियों का प्रयोग कर सकता है।
(ii) शिक्षक बालकों के बौद्धिक स्तर के अनुसार उसका वर्गीकरण कर सकता है।
(iii) बुद्धि-परीक्षणों के आधार पर बालकों का उचित मार्ग-प्रदर्शन किया जा सकता है।
(iv) बुद्धि परीक्षाओं के आधार पर बालकों को शैक्षिक-निर्देशन दिया जा सकता है।
(v) बुद्धि परीक्षाएँ शिक्षक को बाल अपराधियों से उपयुक्त व्यवहार करने में सहायता पहुँचाती हैं।
(vi) बुद्धि परीक्षाएँ व्यक्तियों के कुछ विशिष्ट वर्गों के लिए अत्यन्त उपयोगी होती हैं।
(vii) शिक्षक बुद्धि-परीक्षणों द्वारा इस बात की जानकारी कर लेता है कि छात्र की प्रगति में कमी का कारण उसकी मानसिक योग्यता में कमी है अथवा कोई अन्य कारण है।
(viii) शिक्षकों को बुद्धि परीक्षाओं के आधार पर यह ज्ञात हो जाता है कि उनके बालक कौन-सा विषय पढ़ने के लिए अधिक उपयुक्त हैं।
(ix) अध्यापक के आगे आने वाली समस्याओं के हल में बुद्धि परीक्षाएँ विशेष सहायक होती हैं ।
(x) उद्योगों में अधिकारियों तथा विशेषज्ञों के चयन में बुद्धि- परीक्षाएँ विशेष सहायता देती हैं।
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