हावर्ड गार्डनर का बहुल बुद्धि सिद्धान्त (Howard Cardner Theory of Multiple Intelligence)
होवार्ड गार्डनर ने बहुल- बुद्धि सिद्धान्त (Multiple Intelligence Theory) का प्रतिपादन किया। इस सिद्धान्त के अनुसार मानव बुद्धि के सात पक्ष होते हैं जो एक-दूसरे में स्वतन्त्र होते हैं। गार्डनर के अनुसार बुद्धि के सात पक्ष निम्नवत् है-
(i) प्रथम प्रकार को भाषाई बुद्धि कहा जाता है। इस बुद्धि के अन्तर्गत शाब्दिक योग्यता के साथ ही कौशलों की गणना की जाती है।
(ii) द्वितीय प्रकार की बुद्धि को तार्किक गणितीय बुद्धि कहा जाता है जो वैज्ञानिकों, गणितज्ञों और तर्कशास्त्रियों में पायी जाती है।
(iii) तृतीय प्रकार की बुद्धि को आकाशीय बुद्धि कहा जाता है। यह एक ऐसी योग्यता है जो आस-पास के वातावरण के आकाशीय पक्षों के सम्बन्ध में यथार्थ रूप से चिन्तन करने में सहायता करती है।
(iv) चतुर्थ प्रकार की बुद्धि को संगीत बुद्धि कहा जाता है। इस बुद्धि की अभिव्यक्ति संगीतज्ञों, संगीतकारों में देखी जा सकती है।
(v) पंचम प्रकार की बुद्धि को शारीरिक गतिबोधक बुद्धि कहा जाता है। इसका अभिप्राय ऐसी बुद्धि से है जिसमें व्यक्ति अपने शरीर अथवा उसके अंगों के माध्यम से कुछ निर्मित करता है अथवा किसी समस्या का समाधान करता है।
(vi) छठे प्रकार की बुद्धि को अन्तर्वैयक्तिक बुद्धि कहा जाता है। इसका अभिप्राय ऐसी बुद्धि से है जो दूसरों की आवश्यकताओं, अभिप्रेरकों एवं व्यवहारों को समझने में सहायता करती है।
(vii) सातवें प्रकार की बुद्धि को अन्तः वैयक्तिक बुद्धि कहा जाता है। इसका अभिप्राय व्यक्ति की उस योग्यता से है जो व्यक्ति को अपनी आवश्यकताओं एवं क्षमताओं को यथार्थ रूप में समझने एवं प्रभावी रूप से अपने ज्ञान का उपयोग करने में सहायता करती है।
बहुल बुद्धि सिद्धान्त के गुण
बहुल बुद्धि सिद्धान्त के अनेक गुण हैं-
(i) बहुल बुद्धि सिद्धान्त बुद्धि के क्षेत्र में एक नवीनतम सिद्धान्त है। इस सिद्धान्त की तुलना स्टर्नबर्ग के त्रितत्त्व सिद्धान्त से की जा सकती है।
(ii) क्रूक्स ने इस सिद्धान्त के गुणों का उल्लेख करते हुए इसकी विविधता को एक अपूर्व गुण माना है।
(iii) बैरोन ने गार्डनर के सिद्धान्त का मूल्यांकन करते हुए कहा कि इस सिद्धान्त में बुद्धि के सैद्धान्तिक पक्षों के साथ-साथ इसके व्यावहारिक पक्षों पर भी समान रूप से बल दिया गया।
(iv) बहुल बुद्धि सिद्धान्त में बुद्धि की जो व्याख्या प्रस्तुत की गयी है उससे बुद्धि की परिभाषा अधिक वृहत् बन गयी है।
(v) इस सिद्धान्त का एक गुण यह है कि इसमें बुद्धि के सैद्धान्तिक पक्षों के साथ ही व्यावहारिक पक्षों को भी समान रूप से महत्त्वपूर्ण एवं सार्थक माना गया है। इसके द्वारा बताये गये बुद्धि के सात पक्षों अथवा प्रकारों में प्रथम तीन प्रकार अर्थात् भाषाई बुद्धि, तार्किक गणितीय बुद्धि और आकाशीय बुद्धि सैद्धान्तिक पक्ष हैं अन्य चार प्रकार-संगीत बुद्धि, शारीरिक गति बुद्धि, अन्तर्वैयक्तिक बुद्धि और अन्तः वैयक्तिक बुद्धि को व्यावहारिक पक्ष माना है।
बहुल बुद्धि सिद्धान्त की आलोचना
गार्डनर के बहुल बुद्धि सिद्धान्त की आलोचना करते हुए कहा गया कि यह सिद्धान्त इस बात की व्याख्या नहीं करता कि समान परिस्थिति में किशोरों एवं वयस्कों की अपेक्षा वृद्ध लोग वैज्ञानिक शोध, शतरंज आदि संज्ञानात्मक कार्यों में अधिक प्रवीण क्यों होते हैं। दूसरे शब्दों में आयु वृद्धि के साथ बुद्धि बढ़ती है अथवा घटती है, इसका उल्लेख इस सिद्धान्त में नहीं किया गया । इस सिद्धान्त की आलोचना इस आधार पर भी की गयी है कि इसमें इस बात का स्पष्ट उल्लेख नहीं है कि बुद्धि वंशानुगत है अथवा अर्जित अथवा दोनों ही। दूसरी ओर कैटैल एवं ब्लेटेस के धारा प्रवाह एवं क्रिस्टलीय सिद्धान्त से इन दोनों आपत्तियों का समाधान हो जाता है।
इन आलोचनाओं के बावजूद इस सिद्धान्त की मान्यता और शोध मूल्य बुद्धि के क्षेत्र में दूसरे सिद्धान्तों से अपेक्षाकृत अधिक है।
Important Links…
- ब्रूनर का खोज अधिगम सिद्धान्त
- गैने के सीखने के सिद्धान्त
- थार्नडाइक का प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धान्त
- अधिगम का गेस्टाल्ट सिद्धान्त
- उद्दीपक अनुक्रिया सिद्धान्त या S-R अधिगम सिद्धान्त
- स्किनर का सक्रिय अनुबन्धन का सिद्धान्त
- पैवलोव का सम्बद्ध अनुक्रिया सिद्धान्त
- थार्नडाइक द्वारा निर्मित अधिगम नियम
- सीखने की प्रक्रिया
- सीखने की प्रक्रिया में सहायक कारक
- अधिगम के क्षेत्र एवं व्यावहारिक परिणाम
- अधिगम के सिद्धांत
- अधिगम के प्रकार
- शिक्षण का अर्थ
- शिक्षण की परिभाषाएँ
- शिक्षण और अधिगम में सम्बन्ध