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मापन और मूल्यांकन में अंतर || मूल्यांकन और मापन में क्या अंतर है?

मापन और मूल्यांकन में अंतर
मापन और मूल्यांकन में अंतर

अनुक्रम (Contents)

मापन और मूल्यांकन में अन्तर

मापन और मूल्यांकन में अंतर- प्रायः ‘मापन’ और ‘मूल्यांकन’ को कभी-कभी एक दूसरे का पर्यावाची समझ लेने की भूल कर ली जाती है। परन्तु दोनों शब्द न तो समानार्थी हैं और न एक-दूसरे के पर्यायवाची हैं।

ब्रेडगीड तथा मरडोक ने अपनी पुस्तक ‘मेजरमेण्ट’ एण्ड इवैलुएशन इन एजूकेशन में इन दोनों शब्दों का अन्तर बतलाते हुए लिखा है कि “मापन की प्रक्रिया में किसी घटना तथा तथ्य के विभिन्न परिणामों के लिए प्रतीक निश्चित किये जाते हैं। जिससे उस घटना या तथ्य के बारे में यथार्थ का निश्चय किया जा सके। मूल्यांकन में किसी सामाजिक सांस्कृतिक या वैज्ञानिक प्रतिमान के सन्दर्भ में उस घटना या तथ्य का मूल्य ज्ञात किया जाता है।” वास्तव में मूल्यांकन एक व्यापक पद है जिसमें मापन के अतिरिक्त अनेक विधियों से एकत्रित आँकड़ों का प्रयोग किया जाता है। मापन का क्षेत्र मूल्यांकन की अपेक्षा काफी सीमित है। मापन और मूल्यांकन में निम्नलिखित दृष्टियों में अन्तर है-

मापन मूल्यांकन
1. मापन एक प्राचीन धारणा है। 1. मूल्यांकन एक नवीन धारणा है।
2. मापन एक साधारण शब्द है। 2. मूल्यांकन एक प्राविधिक शब्द है।
3. मापन का क्षेत्र अत्यन्त संकुचित है। 3. मूल्यांकन का क्षेत्र अधिक विस्तृत है।
4. मापन किसी व्यवहार, घटना या वस्तु को परिमाणात्मक अंक प्रदान करने की प्रक्रिया मात्र है। दूसरे शब्दों में मापन में अंक प्रदान किए जाते हैं। जैसे 10, 15, 20, 25, 30 अंक प्रदान करना मापन कहलाता है। 4. मूल्यांकन के अन्तर्गत छात्रों के व्यवहारों के गुणात्मक विवरण के साथ-साथ व्यवहारों के औचित्य के विषय में भी निर्णय दिये जाते हैं। दूसरे शब्दों में मूल्यांकन में अंक प्रदान करने के बाद अंकों का मूल्य निर्धारित किया जाता है।
5. मूल्यांकन के आधार पर हम निश्चित धारणा बनाने में सफल रहते हैं, इसका कारण यह है कि मूल्यांकन में सभी परीक्षाएँ सम्मिलित रहती हैं जिसके आधार पर किसी भी छात्र के सम्बन्ध में निश्चित धारणा बनाई जा सकती है। 5. मापन के आधार पर निश्चित घारणा नहीं बनाई जा सकती है। जैसे- यदि कोई विद्यार्थी गणित में सबसे अधिक अंक प्राप्त करता है। तो हम यह नहीं कह सकते हैं कि वह कक्षा का सबसे अच्छा छात्र है।
6. मूल्यांकन में गुणों की माप पूर्ण इकाई के रूप में की जाती है। 6. मापन में गुणों की माप अलग-अलग ईकाई के रूप में की जाती है।
7. मूल्यांकन में निर्धारित किए हुए शिक्षण उद्देश्यों के अनुसार विद्यार्थियों को कक्षा में दिये गये सीखने के अनुभवों की जाँच की जाती है। 7. मापन में पाठ्यवस्तु, कौशल तथा योग्यता की उपलब्धि की जाँच किसी उद्देश्य के आधार पर नहीं की जाती ।
8. मूल्यांकन मे व्यक्ति की योग्यताओं एवं व्यवहार का समग्र रूप में अध्ययन किया जाता है। 8. मापन में व्यक्ति की योग्यताओं एवं व्यवहार का कुछ अलग-अलग खण्डों का अध्यन किया जाता है।
9. मूल्यांकन के समय, धन तथा श्रम का अधिक आवश्यकता होती है क्योंकि इसमें कई परीक्षणों के अतिरिक्त विभिन्न मूल्यांकन पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है। 9. मापन में समय, धन तथा श्रम की कम आवश्यकता होती है क्योंकि इसमें परीक्षाएँ कम होती है।
10. मूल्यांकन का उद्देश्य व्यवहार में परिर्वन लाकर शिक्षा के कार्यक्रम में सुधार करना है। 10. मापन का उद्देश्य केवल मापन ही है।

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