वैश्वीकरण एवं साम्राज्यवाद के बीच सम्बन्ध
वैश्वीकरण एवं साम्राज्यवाद में सम्बन्धों की व्याख्या के लिये यह आवश्यकता है कि इनके बीच समानताओं और असमानताओं को समझा जाये-
1. वैश्वीकरण और साम्राज्यवाद में समानतायें (Similarities between Imperialism and Globalization)
वैश्वीकरण को साम्राज्यवाद का ही नया रूप माना जाता है। इन दोनों में हमें निम्न समानतायें देखने को मिलती हैं
(i) विकसित देशों का प्रभुत्व- वैश्वीकरण में भी साम्राज्यवाद के समान विकसित देशों का प्रभुत्व देखने को मिलता है। साम्राज्यवाद में यह प्रभुत्व ब्रिटेन, फ्रांस, पुर्तगाल आदि देशों का था तो वैश्वीकरण में यह प्रभुत्व अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, कनाडा आदि देशों का है।
(ii) समान आर्थिक प्रकृति- यद्यपि वैश्वीकरण और साम्राज्यवाद जीवन के प्रत्येक पक्ष पर अपना प्रभाव डालते हैं लेकिन इसके बावजूद दोनों की प्रकृति आर्थिक ही है। वैश्वीकरण भी साम्राज्यवाद के समान मुक्त व्यापार एवं वाणिज्य, पूँजी के मुक्त निवेश, मुक्त आयात निर्यात व्यवस्था को प्राथमिकता देता है।
(iii) शोषणकारी चरित्र – मानवीय मूल्यों की स्थापना और विकास की आड़ में दोनों का चरित्र शोषणकारी है। दोनों में विकसित और सम्पन्न देशों के द्वारा तृतीय विश्व के देशों का शोषण किया जाता है। राबर्टसन ने वैश्वीकरण और साम्राज्यवाद को एक मानते हुए कहा है कि, “वैश्वीकरण साम्राज्यवाद का उत्तर है।”
(iv) छोटे देशों पर नियंत्रण- वैश्वीकरण में भी साम्राज्यवाद के समान छोटे देशों को नीतियाँ अपनाने के लिए बाध्य किया जाता है जिससे विकसित देशों में बहुराष्ट्रीय निगमों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो । साम्राज्यवाद में ईस्ट इण्डिया कम्पनी थी तो आधुनिक समय में फोर्ड फाउंडेशन का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है।
2. वैश्वीकरण और साम्राज्यवाद में असमानतायें (Dissimilarities be tween Globalization and Imperialism)
यद्यपि वैश्वीकरण और साम्राज्यवाद में अनेक समानतायें दिखाई देती हैं लेकिन साम्राज्यवाद एक भूतकाल है और वैश्वीकरण एक वर्तमान यथार्थ है। भूत और वर्तमान की परिस्थितियों में व्यापक अन्तर होता है। इन बदलती हुई परिस्थितियों ने वैश्वीकरण और साम्राज्यवाद में अनेक असमानताओं को जन्म दिया है। इनका वर्णन निम्न प्रकार से है
(i) साधनों के आधार पर अन्तर- साम्राज्यवाद के साधन आर्थिक सहायता के नाम पर विश्व व्यापार संघ (W.T.O.) विश्व बैंक (World Bank) तथा अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष आदि हैं। (ii) राजनीतिक प्रभुत्व के आधार पर अन्तर- साम्राज्यवाद में हमें साम्राज्यवादी देशों द्वारा साम्राज्यवाद के शिकार देशों का शासन व्यवस्थाओं पर प्रत्यक्ष राजनीतिक नियंत्रण एवं प्रभुत्व देखने को मिलता था, लेकिन वैश्वीकरण लोकतान्त्रिक मूल्यों और आत्म-नियंत्रण के अधिकार को मान्यता देता है तथा राजनीतिक नियंत्रण को स्वीकार नहीं करता है।
(iii) स्वीकृति के आधार पर अन्तर- साम्राज्यवाद को साम्राज्यवादी देशों के अतिरिक्त अधिकांश देश स्वीकार नहीं करते जबकि वैश्वीकरण को अधिकांश देशों के द्वारा स्वीकार करके इसमें सहयोग किया गया है।
(iv) तकनीक के आधार पर अन्तर- साम्राज्यवाद अपनी स्थापना और उद्देश्य प्राप्ति के लिये नयी तकनीक के प्रयोग को अपनाना था जबकि वैश्वीकरण में नयी तकनीक के तृतीय विश्व देशों को हस्तांतरित करने पर बल दिया जाता है।
(v) सामाजिक पक्ष के आधार पर अन्तर- साम्राज्यवाद का केवल आर्थिक और राजनीतिक पक्ष था लेकिन वैश्वीकरण का सशक्त सामाजिक पक्ष है। वैश्वीकरण अपने सामाजिक पक्ष में नारीवाद, पर्यावरण संतुलन, बाल कल्याण, मानव अधिकार, आर्थिक विकास, गरीबी उन्मूलन आदि पर बल देता है।
इस प्रकार से हम देखते हैं कि वैश्वीकरण और साम्राज्यवाद में अनेक समानतायें एवं विभिन्नतायें पाई जाती हैं लेकिन वैश्वीकरण को साम्राज्यवाद का नया रूप कहना इसका सही आकलन नहीं माना जायेगा।
- भूमंडलीकरण का अर्थ या वैश्वीकरण का अर्थ | वैश्वीकरण की विशेषतायें | वैश्वीकरण का प्रभाव
- वैश्वीकरण के लाभ और हानि | Vaishvikaran Ke Labh Aur Hani
- वैश्वीकरण के विषय में तर्क तथा इसे मानवीय एवं ग्राह्य बनाने के लिए सुझाव
- भारत में वैश्वीकरण अपनाने के लिए क्या-क्या प्रयास किये हैं।
- भूमण्डलीय विकासशील देशों पर पड़ रहे प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
इसे भी पढ़े…
- निःशस्त्रीकरण का अर्थ और परिभाषा | निःशस्त्रीकरण की आवश्यकता | निःशस्त्रीकरण के विपक्ष में तर्क
- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि | CTBT Full Form in Hindi
- परमाणु अप्रसार संधि- Non Proliferation Treaty (NPT) in Hindi
- एशिया के नव-जागरण के कारण (Resurgence of Asia: Causes)
- एशियाई नव-जागरण की प्रमुख प्रवृत्तियाँ- सकारात्मक प्रवृत्तियाँ तथा नकारात्मक प्रवृत्तियाँ
- भारत पर 1962 के चीनी आक्रमण के कारण क्या थे? भारतीय विदेश नीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?
- गुटनिरपेक्षता की कमजोरियां | गुटनिरपेक्षता की विफलताएं | गुटनिरपेक्षता की आलोचना
- शीत युद्ध का अर्थ | शीत युद्ध की परिभाषा | शीत युद्ध के लिए उत्तरदायी कारण
- शीत युद्ध के बाद यूरोप की प्रकृति में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। इस कथन की विवेचना करो ?
- शीतयुद्ध को समाप्त करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
- शीत युद्ध में अमेरिका और सोवियत संघ की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- शीत युद्धोत्तर काल के एक ध्रुवीय विश्व की प्रमुख विशेषतायें का वर्णन कीजिए।
- शीतयुद्धोत्तर काल में निःशस्त्रीकरण हेतु किये गये प्रयास का वर्णन कीजिए।
- तनाव शैथिल्य का प्रभाव | अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक व्यवस्था पर दितान्त व्यवहार का प्रभाव
- द्वितीय शीत युद्ध के प्रमुख कारण | नवीन शीत युद्ध के प्रमुख कारण | उत्तर शीत युद्ध के शुरू होने के कारक