भारत पाक युद्ध 1971 तथा शिमला समझौता
पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में असंतोष बढ़ने के कारण शेख मुजीब के नेतृत्व में बांग्लादेश में स्वायत्तता का आन्दोलन प्रारम्भ हो गया। पूर्वी पाकिस्तान पूर्णतया मुजीब के साथ था। याह्या खाँ ने बंगालियों पर अत्याचार करना प्रारम्भ कर दिया। पूर्वी बंगाल में घोर अत्याचारों से घबराकर बंगाली घरबार, सामान छोड़ जान बचाने हेतु भारत की सीमा में प्रवेश करने लगे। 10 हजार शरणार्थी प्रतिदिन भारत आने लगे। शरणार्थियों की संख्या भारत में एक करोड़ तक पहुँच गई। इसी समय 2 दिसम्बर, 1971 को पाकिस्तानी वायुयानों ने भारत के हवाई अड्डों पर भीषण बमबारी कर दी। 4 दिसम्बर, 1971 को भारतीय सेना ने जवाबी हमला किया। भारत के विमानों ने पाकिस्तान के महत्त्वपूर्ण हवाई अड्डों पर बम वर्षा की। 16 दिसम्बर, 1971 को ढाका में एक सैनिक समारोह में पाकिस्तानी जनरल नियाजी ने भारत के ले. जनरल जगजीत सिंह अरोरा के सम्मुख आत्म-समर्पण कर दिया। उनके साथ 93 हजार सैनिकों ने भी हथियार डाल दिये और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। बंग्लादेश स्वतंत्र हो गया तथा भारत ने एकतरफा युद्ध-विराम कर दिया। भारत ने इस युद्ध में पाकिस्तान की 6 हजार वर्ग मील भूमि पर अधिकार कर लिया। पाकिस्तान में जनरल याह्या खाँ के स्थान पर सत्ता जुल्फिकार अली भुट्टो के हाथ में आ गई। भुट्टो और श्रीमती गाँधी में पत्र-व्यवहार हुआ और 28 जून, 1972 को शिमला में दोनों देशों के मध्य वार्ता होना तय हुआ। 3 जुलाई, 1972 को दोनों देशों के बीच एक समझौता हो गया। इस समझौते के निम्नलिखित मुख्य उपबन्ध थे-
(1) दोनों सरकारों में यह निश्चय किया कि दोनों देश परस्पर संघर्ष को समाप्त करने हैं जिनसे दोनों देशों के सम्बन्धों में बिगाड़ उत्पन्न हुआ था। करेंगी।
(2) दोनों ही सरकारें अपनी सामर्थ्य के अनुसार एक-दूसरे के प्रति घृणित प्रचार नहीं
(3) आपसी सम्बन्धों में सामान्यता लाने की दृष्टि से (क) दोनों राष्ट्रों के बीच डाक तार सेवा, जल, थल, वायुमार्गों द्वारा पुनः संचार व्यवस्था स्थापित की जाएगी। (ख) एक-दूसरे देश के नागरिक और निकट आएं इसलिए नागरिकों को आने-जाने की सुविधाएँ दी जाएंगी। (ग) जहाँ तक सम्भव हो सके व्यापारिक एवं आर्थिक मामलों में सहयोग का सिलसिला जल्द-से जल्द शुरू हो। (घ) विज्ञान एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों में आदान-प्रदान बढ़ाया जायेगा।
(4) स्थायी शान्ति कायम करने की प्रक्रिया का सिलसिला आरम्भ करने के लिए दोनों सरकारें सहमत हैं कि (क) भारत और पाकिस्तान की सेनाएँ अपनी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा में लौट जाएंगी। (ख) दोनों देश बिना एक दूसरे की स्थिति को क्षति पहुँचाएं जम्मू-कश्मीर में 17 दिसम्बर, 1971 को हुए युद्ध-विराम के फलस्वरूप नियंत्रण रेखा को मान्य रखेंगे। (ग) सेनाओं की वापसी इस समझौते के लागू होने के 30 दिन के भीतर पूरी हो जाएगी।
(5) शिमला समझौते के क्रियान्वयन के लिए दोनों देशों के शासनाध्यक्ष परस्पर मिलते रहेंगे।
शिमला समझौते के आलोचकों का कहना है कि यह भारत का पाकिस्तान के समक्ष आत्म-समर्पण था। भारत के सैनिकों ने जिसे युद्ध के मैदान में जीता था, उसे भारत की कूटनीति ने शिमला में खो दिया।
इसे भी पढ़े…
- एशिया के नव-जागरण के कारण (Resurgence of Asia: Causes)
- एशियाई नव-जागरण की प्रमुख प्रवृत्तियाँ- सकारात्मक प्रवृत्तियाँ तथा नकारात्मक प्रवृत्तियाँ
- भारत पर 1962 के चीनी आक्रमण के कारण क्या थे? भारतीय विदेश नीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?
- गुटनिरपेक्षता की कमजोरियां | गुटनिरपेक्षता की विफलताएं | गुटनिरपेक्षता की आलोचना
- शीत युद्ध का अर्थ | शीत युद्ध की परिभाषा | शीत युद्ध के लिए उत्तरदायी कारण
- शीत युद्ध के बाद यूरोप की प्रकृति में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। इस कथन की विवेचना करो ?
- शीतयुद्ध को समाप्त करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
- शीत युद्ध में अमेरिका और सोवियत संघ की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- नवीन शीत युद्ध के स्वरूप एवं परिणामों की विवेचना करो?
- शीत युद्ध के विकास के प्रमुख कारणों की विवेचना करो।
- दितान्त अथवा तनाव शैथिल्य का अर्थ एवं परिभाषा | दितान्त के कारण
- अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर शीत युद्ध का प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- शीत युद्धोत्तर काल के एक ध्रुवीय विश्व की प्रमुख विशेषतायें का वर्णन कीजिए।
- शीतयुद्धोत्तर काल में निःशस्त्रीकरण हेतु किये गये प्रयास का वर्णन कीजिए।
- तनाव शैथिल्य का प्रभाव | अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक व्यवस्था पर दितान्त व्यवहार का प्रभाव
- द्वितीय शीत युद्ध के प्रमुख कारण | नवीन शीत युद्ध के प्रमुख कारण | उत्तर शीत युद्ध के शुरू होने के कारक