वैज्ञानिक पद्धति में तथ्य संकलन की विवेचना कीजिए।
सामाजिक अनुसंधान और सर्वेक्षण वस्तुतः एक वैज्ञानिक तरीका है, जिसके द्वारा सामाजिक घटनाओं/समस्याओं के बारे में वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है और इसी के आधार पर कतिपय वैज्ञानिक निष्कर्षों पर पहुंचकर सामाजिक नियमों को ढूँढ़ने का प्रयास किया जाता है। इस प्रकार का वैज्ञानिक अध्ययन घर बैठे मात्र ख्याली-पुलाव पकाकर नहीं किया जा सकता, न ही काल्पनिक घोड़े दौड़ाकर किसी स्पष्ट निर्णय पर ही पहुंचा जा सकता है। किसी वैज्ञानिक निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए हमें वैज्ञानिक पद्धति’ (Scientific Method) का अनुसरण करना पड़ता है। तथ्यों की प्राप्ति/संकलन इसी वैज्ञानिक पद्धति का द्वितीय चरण है, जबकि परिकल्पना उपकल्पना का निर्माण प्रथम चरण होता है। स्पष्ट है कि वैज्ञानिक अध्ययन में परिकल्पना के निर्माण के बाद तथ्यों को ही संकलित किया जाता है।
वैज्ञानिक पद्धति में तथ्यों के संकलन का स्थान- वास्तव में सामाजिक घटनाओं का वैज्ञानिक अध्ययन, तभी वैज्ञानिक होता है, जबकि उसका अध्ययन वैज्ञानिक ढंग/ तरीके से किया जाये। वैज्ञानिक तरीका वह तरीका है, जिसके कुछ निश्चित चरण/स्तर होते हैं। प्रत्येक वैज्ञानिक को अपने अनुसंधान कार्य में उन चरणों/स्तरों में से होकर गुजरना पड़ता है। अतः आवश्यक है कि हम उन चरणों को भी समझ लें, क्योंकि तथ्यों की प्राप्ति/संकलन उन्हीं चरणों में से एक है।
जार्ज ए. लुण्डबर्ग ने वैज्ञानिक पद्धति के निम्नलिखित चरण चरणों का उल्लेख किया है-
1. कामचलाऊ उपकल्पना
2. तथ्यों का निरीक्षण एवं संकलन
3. संकलित तथ्यों का वर्गीकरण
4. सामान्य नियमों का प्रतिपादन या निष्कर्षीकरण
श्रीमती पी. वी. यंग ने भी वैज्ञानिक पद्धति के चार चरण बताये हैं-
1. कामचलाऊ उपकल्पना का निर्माण
2. तथ्यों का निरीक्षण, संकलन व लेखन
3. लिखित तथ्यों का श्रेणियों में वर्गीकरण
4. वैज्ञानिक निष्कर्षीकरण एवं नियमों का प्रतिपादन।
उपर्युक्त विभिन्न चरणों, स्तरों का विश्लेषण करने से स्पष्ट होता है कि वैज्ञानिक पद्धति के चारों चरण एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं और इन्हीं अन्तःसम्बन्धित एवं अन्तःनिर्भर चरणों में से गुजर कर ही हम वैज्ञानिक अध्ययन को पूर्ण कर सकते हैं। एक अध्ययन विषय के चुनावोपरांत हम अपन सामान्य ज्ञान, कल्पना ओर अनुभव के आधार पर अपने अध्ययन-विषय के सम्बन्ध एक कामचलाऊ उपकल्पना का निर्माण करते हैं, ताकि हमारा ध्यान कुछ निश्चित विषयों पर उपकल्पना के निर्माणोपरांत हम वैज्ञानिक अध्ययन के द्वितीय चरण पर पहँचते हैं, जिसे तथ्यों संकलन का चरण कहा जाता है। इस स्तर पर हम वास्तविक निरीक्षण और पूछ-ताछ, आदि के आधार पर अपने अध्ययन-विषय से सम्बन्धित वास्तविक तथ्यों को एकत्रित करते हैं। इस सन्दर्भ में हम मात्र उन्हीं तथ्यों को एकत्रित करते हैं, जो कि हमारे लिए विषय से सम्बन्धित हों तथा जो कि उपकल्पना की सत्यता को परख सकते हैं। स्पष्ट है कि वास्तविक तथ्यों के आधार पर ही उपकल्पना की सत्यता/असत्यता की परख की जा सकती है। किन्तु इस प्रकार से संकलित प्राप्त/एकत्रित किये गये तथ्यों में हमें कोई लाभ तब तक नहीं मिलता, जब तक कि उन तथ्यों को एक व्यवस्थित ढंग से वर्गीकृत नहीं किया जाता। तथ्यों का सिलसिलेवार वर्गीकरण वैज्ञानिक पद्धति का तृतीय चरण है, जिससे विभिन्न तथ्यों का पारस्परिक सम्बन्ध स्पष्ट होता है। इसके ही आधार पर हम किसी सामान्य निष्कर्ष पर पहुँचते हैं और हमारे लिए यह सम्भव हो जाता है कि हम कुछ निश्चित नियमों (Laws) का प्रतिपादन और उनकी व्याख्या कर सकें। स्पष्ट है कि किसी भी वैज्ञानिक अध्ययन में तथ्यों का संकलन एक अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य है।
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