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एल्टन मेयो के मानव सम्बन्ध उपागम | एल्टन मेयो मानव संबंध विचारधारा | संगठन का मानव संबंध सिद्धांत

एल्टन मेयो के मानव सम्बन्ध उपागम
एल्टन मेयो के मानव सम्बन्ध उपागम

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एल्टन मेयो के मानव सम्बन्ध उपागम

मानव सम्बन्धात्मक उपागमः एल्टन मेयो– मानव सम्बधात्मक सिद्धान्त के आधारभूत नियम अमेरिकन समाजशास्त्री एल्टन मेयो द्वारा 20वीं सदी के दूसरे दशक के अन्तिम तथा तीसरे दशक के प्रारम्भिक चरण में प्रतिपादित किए गए थे। औद्योगिक समाजशास्त्र और औद्योगिक मनोवैज्ञानिक पर उनके अध्ययन इतने गहन है कि उसे संगठन के मानव सम्बन्धात्मक उपागम के प्रवर्तकों में गिना जाता है। मेयो ने श्रमिकों के व्यवहार और उनकी उत्पादन क्षमता का गम्भीर अध्ययन किया। मेयो ने इस उपागम को एक ‘डॉक्टरी विधि’ (क्लिनिकल मेथड) कहा है। अपने शोध के आधार पर उन्होंने कुछ विद्वतापूर्ण लेख और कतिपय ग्रन्थ प्रकाशित किए।

वस्तुतः हॉथोर्न प्रयोगों के फलस्वरूप संगठन की यान्त्रिक विचारधारा की लोकप्रियता कम हो गयी और संगठन सम्बन्धी नवीन मानव सम्बन्ध का उदय हुआ। वे प्रयोग संयुक्त राज्य अमरीका के शिकागों नगर के समीप हॉथोर्न नगर स्थित वेस्टर्न इलेक्ट्रिक कम्पनी में एल्टन मेयो के नेतृत्व में किए गए थे। ये प्रयोग 1927 से 1932 के बीच हुए। इनमें निम्न प्रयोग सम्मिलित है—

(अ) प्रकाश प्रयोग

(ब) रिले युग्म जांच कक्ष

द्वितीय चरण रिले युग्म समूह एवं अभ्रक विदारक समूह प्रयोग

(स) साक्षात्कार कार्यक्रम (द) अवलोकन अध्ययन

प्रकाश प्रयोग में टेलीफोन रिले केन्द्र यन्त्र बनाने वाले दो कार्य समूहों को चुना गया। एक समूह के कार्य करने के लिए नियन्त्रित स्थायी प्रकाश रखा गया। दूसरे समूह के लिए कम से लेकर अधिकतम प्रकाश तक अलग-अलग स्थितियों में कार्यक्षमता को पापा गया। जिस समूह पर प्रयोग किया जा रहा था उसकी कार्यक्षमता प्रकाश तेज होने पर बढ़ती गई। आश्चर्य की बात यह थी कि नियन्त्रित प्रकाश समूह की कार्यक्षमता साथ-साथ बढ़ रही थी। प्रयोग समूह का प्रकाश इसके बाद कम कर दिया गया तब यह एक सुखद आश्चर्य था कि उत्पादन बढ़ा। इससे अध्ययनकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि प्रकाश का उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, चाहे उसे घटाया जाये या बढ़ाया जाये या स्थिर रखा जाये।

प्रकाश प्रयोग के अनुभवों के आधार पर एक पृथक जांच कक्ष की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य था कि प्रयोग हेतु स्वतन्त्र चर तत्वों पर अधिक नियन्त्रण रखा जा सके।

इस प्रयोग के लिए दो महिला युग्मकर्ता (Assemblesrs) को चुना गया तथा इन्हें यह अधिकार दिया गया कि अपनी पसंद की चार महिलाओं को और अपनी टीम में सम्मिलित कर लें। इस टीम को अलग वातावरण दिया गया। इस महिलाओं को समस्याओं पर विचार करने का अवसर दिया जाता था और कभी-कभी इन्हें सुविधानुसार कार्यप्रणाली में परिवर्तन करने की छूट थी। इस प्रकार उन्हें स्वतन्त्र वातावरण दिया गया तथा व्यक्तिगत रूप में मान्यता दी गई। इस प्रयोग से प्रत्येक जांच समय में उत्पादन बढ़ता रहा। जब महिलाओं को अपनी पुरानी अवस्था में ले आया गया तब भी उत्पादन बढ़ता रहा। अर्थात् विश्राम, कार्य-दिन, भुगतान विधि, आदि का उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं था। वह कुछ और ही कारण था जिससे उत्पादन में वृद्धि हुई।

बैंक वायरिंग रूप अध्ययन कर्मचारियों को पृथक कमरे में रखा गया किन्तु पूर्व अध्ययनों की भांति उनमें कार्यदशाओं, वातावरण, अभिव्यक्ति, आदि सम्बन्धी किसी प्रकार के प्रयोग नहीं किये गये। एक अवलोकनकर्ता रखा गया जो स्वयं समूह के साथ घुलमिल गया और कर्मचारी उसे भी अपने समूह का सदस्य ही समझने लगे। एक साक्षात्कारकर्ता को रखा गया जो बाहरी व्यक्ति की भांति ही व्यवहार करता था और स्वयं था भी बाहरी व्यक्ति इस अध्ययन के परिणाम ‘रिले कक्ष’ के अध्ययन के विपरीत थे। इस कार्य में किसी प्रकार की उत्पादकता में वृद्धि नहीं हुई। श्रमिकों ने यह तय कर लिया कि दो उपकरण तैयार करके अपने दिन भर के काम की पूर्णता उन्हें घोषित कर देनी चाहिए। अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला कि 2 इकाई उत्पादन का समूह प्रमाप एक नियन्त्रित उत्पादन था न कि उत्पादन क्षमता का माप।

इन प्रयोगों से निष्कर्ष कि संगठन एक सामाजिक प्रणाली है; काम करने वालों की सेवा की दशाओं पर निर्भर है। श्रमिक भी तो मनुष्य हैं, संगठन में उनकी अपेक्षा करना अनुचित है। संगठन की मानव सम्बन्ध विचारधारा का सार है कि संगठनात्मक व्यवहार काफी जटिल होता है और संगठनात्मक समस्याओं के विश्लेषण एवं समाधान के लिए बहुपक्षीय प्रकृति का ज्ञान परमावश्यक है। संगठन सम्बन्धी समस्याओं का समाधान करने के लिए मनुष्यों की प्रकृति का और इनके अनौपचारिक संगठनों का भी अध्ययन किया जाना चाहिए। कॉथोर्न कारखाने के कर्मचारियों के व्यवहार का अध्ययन करते हुए यह पाया गया कि कुछ कम वेतन पाने वाले कर्मचारी आपस में अनौपचारिक रूप से किन्हीं कारणों से निश्चय कर लेते थे कि वे काम बहुत तेजी से नहीं करेंगे। वे शीघ्र गति से काम करने वाले मजदूरों का मजाक उड़ाते थे। उन्हें मालिकों का खुशामदी कहकर इस दृष्टि से चिढ़ाते थे कि वे अधिक तेजी से काम न करें। फिर भी यदि वे न मानते तो उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता था। इस प्रकार मजदूर अनौपचारिक रीति से संगठित होकर कारखाने के उत्पादन पर नियन्त्रण करने लगे। इस रोचक अध्ययन से संयुक्त राज्य अमरीका में उद्योगों में ‘मानव सम्बन्धों के अनुसन्धान’ की प्रवृत्ति प्रबल हुई।

एल्टन मेयो के अध्ययन का निष्कर्ष यह था कि संगठन के मानवीय पक्ष को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। तकनीकी और आर्थिक पहलुओं पर ज्यादा बल देने की अपेक्षा प्रबन्धकों को मानवी। स्थितियों, प्रेरणा और श्रमिकों से सम्बन्ध स्थापित करने पर ध्यान देना चाहिए। मेयो का विचार था कि सहयोग प्राप्त करने के लिए सत्ता की अवधारणा विशेषज्ञता की अपेक्षा सामाजिक कौशल पर आधारित होनी चाहिए।

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