लोक प्रशासन और निजी प्रशासन की समानता और असमानता, तुलना और अन्तर
लोक प्रशासन तथा निजी (व्यक्तिगत) प्रशासन की धारणा प्रशासन को सामान्य रूप से दो भागों में बाँटा जाता है-लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन या व्यक्तिगत प्रशासन। लोक प्रशासन का आशय है वे प्रशासन कार्य, जो जनहित की दृष्टि से सम्पादित किये जाते हैं तथा उन पर सरकार का नियन्त्रण रहता है। इसके विपरीत निजी (व्यक्तिगत) प्रशासन व्यक्तिगत हितों का सम्पादन करता है, लोकहित की भावना उससे नहीं होती। व्यक्तिगत प्रशासन एक व्यक्ति या व्यक्ति समुदाय के हितों की सुरक्षा अथवा लाभ का प्रयत्न किया जाता है। विद्वान लेखक साइमन ने लोक प्रशासन तथा व्यक्तिगत प्रशासन अन्तर को और अधिक स्पष्ट करते हुए लिखा है— “सामान्य कल्पना यह है कि सरकारी प्रशासन का संगठन ‘नौकरशाही’ के आधार पर होता है, किन्तु व्यक्तिगत प्रशासन की रचना का आधार व्यापारिक है। सरकारी प्रशासन का सम्बन्ध राजनीति से होता है, जबकि व्यक्तिगत प्रशासन राजनीति से परे होता है। सरकारी प्रशासन की मुख्य विशेषता लाल फीताशाही (Red Tapism) होती है, किन्तु व्यक्तिगत प्रशासन में यह नहीं पायी जाती है।”
लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन की तुलना
लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन के मध्य कोई स्पष्ट सीमा नहीं खींची जा सकती है, क्योंकि दोनों के मध्य किये जाने वाले भेद पूर्ण नहीं हैं। बड़े पैमाने की निजी व्यावसायिक संस्थाओं की विभिन्न सरकारी अभिकरणो की कार्यविधि व संगठन की समस्याएँ अधिकतर समान ही होती हैं। इनमें लिपिक वर्ग के कार्य आँकड़े रखना, फाइलें बनाने से लेकर बड़े प्रशासकीय अधिकारियों के नियन्त्रण व निर्देशन के कार्य भी सम्मिलित हैं। दोनों के कार्य को कुशलतापूर्वक चलाने के लिए संगठन की क्षमता आवश्यक है। लोक प्रशासन तथा व्यक्तिगत प्रशासन की अनौपचारिक समानता का प्रमाण यह भी है कि व्यक्तित व्यावसायिक एजेंसियाँ बहुधा रिटायर्ड सरकारी कर्मचारियों को अपने यहाँ रख लेती हैं तथा इसी प्रकार कभी-कभी सरकारी क्षेत्र में काम करने के लिए कुशल कर्मचारियों की सेवाएँ आमन्त्रित की जाती हैं। दोनों प्रकार के प्रशासनों की धारणा को और अधिक स्पष्ट करने के लिए दोनों की समानताओं एवं असमानताओं का आलोचनात्मक अध्ययन करना आवश्यक है।
लोक प्रशासन और निजी (व्यक्तिगत) प्रशासन में समानताएँ
1. विशिष्ट संगठन– निजी तथा सार्वजनिक दोनों ही प्रशासनों में उनके आकार के अनुरूप संगठन होता है। बड़े कार्यों के लिए बड़ा संगठन तथा छोटे कार्यों के लिए छोटा संगठन गठित किया जाता है। इन संगठनों की कार्यप्रणाली भी दोनों क्षेत्र में एक जैसी होती है। दोनों प्रकार के प्रशासनों में संगठन सम्बन्धी नियम एक जैसे ही होते हैं।
2. जन सम्पर्क एवं उत्तरदायित्व- लोक प्रशासन एवं व्यक्तिगत प्रशासन दोनों की सफलता बिना जन सम्पर्क के असम्भव है। आधुनिक युग में लोकतन्त्र शासन के अन्तर्गत सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी है। मन्त्रिमण्डल अपने प्रत्येक अनुचित कार्य के लिए व्यवस्थापिका सभा के प्रति उत्तरदायी होता है। व्यक्तिगत (निजी) प्रशासन में भी प्रबन्धक को अपने स्वामी के प्रति उत्तरदायी रहना पड़ता है। व्यक्तिगत प्रशासन में भी प्रबन्धक में भी जन सम्पर्क स्थापित करना पड़ता है।
3. विकास एवं प्रगति- विकास एवं प्रगति के बिना लोक प्रशासन अर्थहीन हो जाता। है। इस प्रकार व्यक्तिगत (निजी) प्रशासन की सफलता भी विकास और प्रगति पर ही निर्भर है, व्यक्तिगत प्रशासन में यदि विकास एवं प्रगति का अभाव रहा, तो प्रबन्धकों के आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो सकती है।
4. वित्तीय व्यवस्था- निजी तथा सार्वजनिक प्रशासन दोनों में वित्तीय व्यवस्था की आवश्यकता पड़ती है। वित्तीय आवश्यकता के साथ-साथ वित्त के व्यय को विस्तृत व्यवस्था करनी होती है। दोनों के आय-व्यय का बजट उसका लेखा-जोखा तथा उसका लेखा परीक्षण करना होता है।
5. अन्वेषण- नवीन सिद्धान्तों की खोज करना प्रत्येक प्रशासन की प्रगति का प्रतीक है, जितने नवीन सिद्धान्तों एवं उपकरणों की सहायता प्राप्त होगी, उसी अनुपात में प्रगति एवं विकास होगा। व्यक्तिगत एवं लोक प्रशासन भी इस नियम से बँधा है। नवीन सिद्धान्तों के जन्म से प्रशासन को बल मिलता है। वैज्ञानिक अन्वेषण से उसकी शक्ति बढ़ती है। अतएव अन्वेषण लोक प्रशासन एवं व्यक्तिगत प्रशासन दोनों के लिए अत्यन्त आवश्यक
6. तकनीक– लोक और निजी प्रशासन दोनों में प्रशासन के लिए समान तकनीक अपनायी जाती है। फाइलें व रिकार्ड रखना, उन पर टिप्पणी लगाना व उच्च पदाधिकारियों के आदेश होना, कार्य व रुपये-पैसे का हिसाब-किताब रखना आदि ऑफिस की तकनीकें किसी सरकारी विभाग व निजी संस्था में समान रूप से अपनायी जाती है। प्रशासन की प्रकृति व प्रणाली दोनों में विशेष अन्तर नहीं होता। इसलिए निजी प्रशासन के अधिकारियों के अनुभव व सुझावों का लाभ सरकार लेती है व सरकारी अधिकारी निजी प्रशासन में चले जाते हैं, विशेषकर सेवा से अवकाश ग्रहण के बाद और वहाँ वे असफल प्रशासक सिद्ध होते हैं।
उक्त वर्णन से स्पष्ट है कि विशिष्ट संगठन, जन सम्पर्क एवं उत्तरदायित्व, विकास एवं प्रगति, वित्तीय व्यवस्था, अन्वेषण व तकनीक ये ही सभी बातें लोक प्रशासन तथा निजी (व्यक्तिगत) प्रशासन दोनों के लिए ही आवश्यक है।
लोक प्रशासन तथा व्यक्तिगत प्रशासन में असमानताएँ (अन्तर)
लोक प्रशासन तथा व्यक्तिगत (निजी) प्रशासन में प्रमुख रूप से निम्नलिखित अन्तर पाए जाते हैं-
1. उद्देश्यों में विभिन्नता– लोक प्रशासन का एकमात्र उद्देश्य ‘लोकहित’ है, जबकि निजी प्रशासन का उद्देश्य व्यक्ति लाभ होता है।
2. प्रभावित करने वाले तत्त्वों में अन्तर- राजनीतिक तत्त्व लोक प्रशासन को प्रभावित करते हैं। जिस देश में जिस प्रकार की शासन प्रणाली होगी, उस देश का लोक प्रशासन भी उसी के अनुकूल होगा, किन्तु व्यक्तिगत प्रशासन में राजनीतिक तत्त्वों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। केवल प्रबन्धकों की इच्छा ही व्यक्तिगत प्रशासन में महत्त्वपूर्ण होती है।
3. सत्तात्मक विभिन्नता– लोक प्रशासन में सरकारी नियन्त्रण से ही सब कार्य सम्पन्न होते हैं। सरकार ही विभिन्न योजनाओं को कार्यान्वित करती है। व्यक्तिगत प्रशासन में प्रबन्धकर्ता कोई एक व्यक्ति या समिति या सत्ताधारी के रूप में कार्य करती है, उसी के आदेशानुसार सभी कार्य सम्पन्न किये जाते हैं।
4. क्षेत्रीय विभिन्नता- व्यक्तिगत प्रशासन में योजना केवल थोड़े-से व्यक्तियों के हित के लिए ही होती है, जबकि लोक प्रशासन में योजना की दृष्टि सारी जनता का हित होता है। इस दृष्टि से व्यक्तिगत प्रशासन तथा लोक प्रशासन का क्षेत्र व्यापक होता है।
5. उत्तरदायित्व में अन्तर- लोक प्रशासन जनता के प्रति उत्तरदायी होता है, किन्तु व्यक्तिगत प्रशासन में इस प्रकार के उत्तरदायित्व का अभाव पाया जाता है। व्यक्तिगत प्रशासन में उत्तरदायित्व केवल उन्हीं व्यक्तियों तक सीमित होता है, जो इस संस्था अथवा व्यवसाय से सम्बन्धित होते हैं।
6. कार्य प्रणाली के आधार में भेद– लोक प्रशासन में कार्य करने का आधार सहयोग की भावना होती है। सरकार के विभिन्न विभाग एक-दूसरे के साथ सहयोग की भावना से कार्य करते हैं, किन्तु व्यक्तिगत प्रशासन में ‘प्रतिस्पर्धा’, ‘ईर्ष्या’ तथा प्रतियोगिता की भावना के आधार पर कार्य करते हैं। इसके अतिरिक्त लोक प्रशासन में कार्य प्रणाली का आधार जनसेवा है, जबकि व्यक्तिगत प्रशासन में कार्य करने का आधार व्यक्ति का व्यक्तिगत लाभ है।
7. योजना के भविष्य में भेद–लोक प्रशासन में प्रत्येक योजना को सफल बनाने का भरसक प्रयत्न किया जाता है। उस योजना का अन्त नहीं किया जाता है, बल्कि उसका भविष्य उज्ज्वल बनाया जाता है, किन्तु व्यक्तिगत प्रशासन में, यदि किसी योजना का लाभ दिखायी नहीं देता, तो सुधार के स्थान पर, उस योजना का अन्त कर दिया जाता है।
8. विकास की गति में अन्तर- लोक प्रशासन का कार्य राज्य कर्मचारियों द्वारा चलाया जाता है, जिसमें व्यक्तिगत स्वार्थ के अभाव के कारण, लगन से कार्य करने न करने के कारण, लोक प्रशासन कार्यों की गतिशीलता मन्द पड़ जाती है, दूसरे घूँस लेने के लालच में लिपिक वर्ग कुछ कागजों को दबाये रखता है, जिससे विकास की गति मन्द हो जाती है, किन्तु इसके विपरीत व्यक्तिगत प्रशासन में जितनी रुचि और लगन से कर्मचारी वर्ग व्यवसाय में कार्य करता है, उतना ही उन्हें लाभ होता है। अतएव व्यक्तिगत प्रशासन लोक प्रशासन की अपेक्षा अधिक गतिशील होता है।
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