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बाधाओं को दूर करने के लिये सुझाव (Suggestions to Remove the Obstacles)

बाधाओं को दूर करने के लिये सुझाव (Suggestions to Remove the Obstacles)
बाधाओं को दूर करने के लिये सुझाव (Suggestions to Remove the Obstacles)

बाधाओं को दूर करने के लिये सुझाव (Suggestions to Remove the Obstacles)

हमारी सरकार के प्रयासों से ‘भावात्मक एकता समिति’ की स्थापना हुई तथा कांग्रेस के भावनगर अधिवेशन में ‘राष्ट्रीय एकता सम्मेलन’ बुलाया गया। इस सम्मेलन में दिये गये प्रमुख सुझाव इस प्रकार-

(क) भावात्मक एकता समिति के सुझाव (Suggestions of Emotional Integration Committee)

इस समिति के अध्यक्ष डॉ. सॅपूर्णानन्द थे। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से राष्ट्रीय एकता उत्पन्न करने की दृष्टि से निम्न सुझाव दिये-

1. बालकों में अपनी सांस्कृतिक विरासत व परम्पराओं को समझने की दृष्टि से उचित अभिरुचियों, दृष्टिकोणों व संवेगों का विकास करना।

2. पाठ्यक्रम में इतिहास को महत्त्वपूर्ण स्थान प्रदान करना।

3. इतिहास शिक्षण के लिये योग्य अध्यापकों की नियुक्ति करना।

4. इतिहास पढ़ते समय उन सांस्कृतिक तत्त्वों पर बल देना जिन्होंने हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों के समन्वय में सहायता दी है।

(ख) ‘राष्ट्रीय एकता सम्मेलन के सुझाव- (Suggestions of National Integration Conference) –

(i) राष्ट्रीय एकता के शिक्षा के उद्देश्य (Aims of Education for National Integration) – राष्ट्रीय एकता सम्मेलन ने शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य निर्धारित किये –

1. सभी छात्रों को देश का ज्ञान प्रदान किया जाये तथा उन्हें स्वाधीनता प्राप्ति के लिये किये गये संघर्ष की जानकारी दी जाये।

2. राष्ट्रीय एकता के विकास के लिये सभी जातियों, सम्प्रदायों एवं राज्यों में अधिक मेल उत्पन्न करने वाली पढ़ाई-लिखाई को प्रोत्साहित किया जाये।

(ii) राष्ट्रीय एकता के लिये शैक्षिक कार्यक्रमों का सुझाव (Suggestions for Educational Programmes for National Integration) -‘सम्मेलन’ ने शिक्षा के उपर्युक्त उद्देश्यों को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय एकता के विकास के लिये निम्नलिखित सुझाव दिये हैं

1. स्कूल और कॉलेजों में पढ़ाई जाने वाली पाठ्य पुस्तकों की जाँच की जाये तथा वही पाठ्य-पुस्तकें पढ़ाई जायें जिनसे राष्ट्रीय एकता के विकास में सहायता मिले।

2. सभी जातियों एवं धर्मों के व्यक्तियों द्वारा प्रसिद्ध मेलों व त्यौहारों में भाग लिया जाये।

3. साम्प्रदायिकता से बचाव के लिये लोगों को अध्ययन गोष्ठियों व नाटकों आदि के द्वारा सचेत करना चाहिए।

4. राष्ट्रीय एकता की भावना को प्रबल बनाने के लिये रेडियो, फिल्मों व समाचार पत्रों आदि का अधिक-से-अधिक प्रयोग करना चाहिये।

5. राष्ट्रीय एकता को क्षति करने वाली प्रवृत्तियों का विरोध करने के लिए संक्षिप्त व विशिष्ट फिल्में तैयार की जायें।

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