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सामाजिक परिवर्तन पर शिक्षा के प्रभाव | Effects of Education on Social Change in Hindi

सामाजिक परिवर्तन पर शिक्षा के प्रभाव | Effects of Education on Social Change in Hindi
सामाजिक परिवर्तन पर शिक्षा के प्रभाव | Effects of Education on Social Change in Hindi

सामाजिक परिवर्तन पर शिक्षा के प्रभाव 

सामाजिक परिवर्तन पर शिक्षा के प्रभाव एंव कार्य निम्नलिखित हैं-

(1) सनातन मूल्यों को स्थायी बनाना – समाज में कुछ सनातन या शाश्वत मूल्य होते हैं जिनके आधार पर समाज स्थायित्व प्राप्त करता है। प्रसिद्ध समाजशास्त्री “लिन्टन” ने कहा है कि जब कभी सामाजिक परिवर्तन होने से इन मूल्यों में गिरावट आती है तो शिक्षा के द्वारा ही इन मूल्यों की रक्षा होती है। शिक्षा ही इन मूल्यों को सामाजिक परिवर्तनों के बुरे प्रभाव से बचाती है तथा प्रयास करती है कि इन मूल्यों में लोगों का विश्वास बना रहे तथा साथ ही वे सामाजिक परिवर्तनों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखें। हमारे समाज में सत्य, अहिंसा, सहानुभूति, आपसी प्रेम, भाई-चारा, सहयोग आदि शाश्वत मूल्य पाये जाते हैं तथा शिक्षा इन सभी मूल्यों की रक्षा करने में सहायता करती है।

(2) परिवर्तन में सहायक – शिक्षा समाज में भौतिक व अभौतिक प्रविधियों का प्रचार व प्रसार करती है तथा लोगों को मानसिक रूप से तैयार करके इस प्रकार के वातावरण का निर्माण करती है कि लोग इन परिवर्तनों को ग्रहण कर सकें। जब तक लोगों को इन परिवर्तनों से होने वाले लाभों के बारे में ज्ञान नहीं होगा तब तक लोग इन परिवर्तनों का निर्माण करती है।

(3) परिवर्तनों की समीक्षा- हमारे समाज में अनेक परिवर्तन होते रहते हैं इन सभी परिवर्तनों के विषय में शिक्षित वर्ग यह समीक्षा करता है कि इनमें से कौन-से परिवर्तन समाज के लिए लाभदायक हैं या हानिकारक तथा इनका समाज पर क्या प्रभाव होगा ? इस प्रकार शिक्षा समाज में होने वाले परिवर्तनों की समीक्षा करके उनमें से वांछित परिवर्तनों को प्रोत्साहित करती है।

(4) नये परिवर्तनों में सहायक- शिक्षा समाज में होने वाले परिवर्तनों की समीक्षा करती है कि उनमें से कौन-सा परिवर्तन समाज के लिए लाभदायक है। शिक्षा से ही नये परिवर्तनों का विकास होता है तथा शिक्षा सामाजिक समस्याओं व बुराइयों को दूर करके नई विचारधाराओं, नये आन्दोलनों व नये सामाजिक परिवर्तन को जन्म देती है। हमारे समाज में बाल विवाह, विधवा विवाह, सती प्रथा, दहेज प्रथा आदि के सम्बन्ध में हुए अनेक आन्दोलनों के परिणामस्वरूप ही अनेक सामाजिक परिवर्तन हुए हैं।

(5) संस्कृति को भावी पीढ़ी का सौंपना- शिक्षा के द्वारा ही भावी पीढ़ी को संस्कृति का हस्तान्तरण होता है तथा इसी हस्तान्तरण से समाज में स्थायित्व व निरन्तरता आती है। शिक्षा के द्वारा समाज में अनेक प्रकार के परिवर्तन लाने में सहायक होती है इसलिए शिक्षा सामाजिक परिवर्तनों की जन्मदाता तथा उनकी प्रवर्तक है।

(6) समाज में एकता व भाईचारा बनाने में प्रमुख भूमिका- जब समाज के अन्दर विभिन्न वर्गों के बीच भाषा, धर्म, जाति, सम्प्रदाय या क्षेत्र के नाम पर संघर्ष होते हैं तथा समाज का वातावरण एक-दूसरे के प्रति वैमनस्यता से पूर्ण हो जाता है तो ऐसी परिस्थितियों में शिक्षा व्यक्तियों के बीच एक सेतु का कार्य करती है तथा उनमें एकता, प्रेम, भाई-चारे की भावना विकास करती है।

(7) मानवीय व सामाजिक सम्बन्धों को जीवित रखना- बढ़ते हुए औद्योगिकरण, नगरीकरण के कारण समाज में धन के प्रति लोलुपता में वृद्धि हुई है तथा समाज के लोगों में आपसी प्रेम तथा मानवीय संवेदनाएँ समाप्त होती जा रही हैं। सामाजिक सम्बन्धों में भी कटुता आई है तथा प्रत्येक व्यक्ति अपने निजी स्वार्थ को देखते हुए रिश्ते व सम्पर्क बनाने में लगा रहता है। इस प्रकार समाज का आपसी तानाबाना बिल्कुल छिन्न-भिन्न हो गया है। शिक्षा के द्वारा इस प्रकार के परिवर्तनों को कम करके समाज के सदस्यों के बीच मानवीय सम्बन्धों को बनाये रखने के लिए तथा सामाजिक आपसी सम्बन्धों की पुनः स्थापना करने के लिए प्रयास किये जाते हैं जिससे समाज अपने मूल गुणों को व अपनी भावना को न खोए तथा प्रेम, सहयोग की भावना बनी रहे।

(8) सामाजिक परिवर्तनों की शिक्षा- शिक्षा के माध्यम से लोगों में सामाजिक परिवर्तनों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का जन्म हुआ है। शिक्षा के द्वारा अनेक प्रयासों से व अनेक साधनों के प्रयोग से समाज को सामाजिक परिवर्तनों का ज्ञान होता है। जब समाज के लोगों को इन सामाजिक परिवर्तनों का ज्ञान हो जाता है तो वह सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया में सहयोग करते हैं। सामाजिक परिवर्तनों के आने में अनेक प्रकार की परेशानियाँ व रुकावटें भी आती हैं। शिक्षा इन सभी बधाओं को दूर करके सामाजिक परिवर्तनों का मार्ग प्रशस्त करती है।

(9) ज्ञान का विकास- शिक्षा के द्वारा ज्ञान का विकास होता है। ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा के द्वारा ही विकासोन्मुख कार्य सम्पादित किये जाते हैं। शिक्षा से ही प्रत्येक क्षेत्र में व्यक्ति नये-नये अनुसंधान करता है, नयी खोजें करता है तथा इस प्रकार के अन्वेषणात्मक कार्यों से ही संस्कृति के भौतिक व अभौतिक तत्त्वों में परिवर्तन होता है। इस प्रकार शिक्षा के द्वारा ही ज्ञान को विकसित करने में, सामाजिक परिवर्तनों को लाने में सहायता होती है तथा ज्ञान का विकास शिक्षा के द्वारा ही होता है।

(10) सामाजिक परिवर्तनों का नेतृत्व- शिक्षा के द्वारा मानव में मानसिक विकास तथा जनतन्त्रीय भावना को विकसित किया जाता है। शिक्षा के द्वारा ही मनुष्य के अन्दर इस प्रकार की शक्तियों का जन्म होता है जिनकी सहायता से वह समाज की बुराइयों व कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष करके उनमें यथोचित सुधार तथा परिवर्तन करता है तथा एक अच्छे जीवन को जीने की इच्छा रखता है। इस प्रकार शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का नेतृत्व करना सिखाती है यदि शिक्षा इस प्रकार का कार्य न करे तो समाज में नेताओं व सुधारकों का विकास रुक जायेगा जिसका प्रभाव अन्तोगत्वा सामाजिक परिवर्तनों पर ही होगा।

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