वाणिज्य / Commerce

मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ | मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं

मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ | मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ | मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं

मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ

मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ– जिस अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र व सार्वजनिक क्षेत्र का सह-अस्तित्व पाया जाता है, समिश्रित अर्थव्यवस्था कहलाती है। जिस प्रकार सम्पूर्ण वैश्विक परिदृश्य में दो प्रकार की अर्थव्यवस्थायें हैं प्रथम पूँजीवादी अर्थव्यवस्था एवं द्वितीय साम्यवादी अर्थव्यवस्था परन्तु मिश्रित अर्थव्यवस्था इन दोनों के बीच का मध्यम मार्ग है। इसमें पूँजीवादी अथवा निजी अर्थव्यवस्था एवं साम्यवादी अर्थव्यवस्था दोनों के ही अंश पाये जाते हैं। उदाहरण के लिए भारत की अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है।

इसे भी पढ़े…

मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं

(1) धन व शक्ति का केन्द्रीकरण न होना

मिश्रित अर्थव्यस्था की आधारिक विशेषता यह है कि इसमें धन व शक्ति का केन्द्रीकरण सम्भव नहीं हैं। धन व शक्ति के अनेक ध्रुव होते हैं।

(2) लाभ-उद्देश्य एवं कीमत तन्त्र

मिश्रित अर्थव्यवस्था में पूँजीवाद अर्थव्यवस्था के समान ही लाभ-उद्देश्य तथा कीमत-यन्त्र रहते हैं। परन्तु लाभ उद्देश्य को सरकार उस सीमा तक सफल होने देती है जिस सीमा तक सामाजिक लाभ में वृद्धि तथा आर्थिक विकास की सम्भावना रहती है। कीमतें सरकार द्वारा नियन्त्रित रहती हैं।

इसे भी पढ़े…

(3) धन के असमान वितरण पर रोक

सरकार एकाधिकारी प्रवृत्तियों को हतोत्साहित करती है। सरकार प्रगतिशाली कर लगाती है तथा इन करों से प्राप्त आय को कल्याणकारी योजनाओं पर व्यय किया जाता है ताकि धन के वितरण की असमानताओं की कम किया जा सकें।

(4) आर्थिक नियोजन

मिश्रित अर्थव्यवस्था में उद्योग-धन्धों का संचालन एक निश्चित योजना के आधार पर होता है। आर्थिक नियोजन के द्वारा इस देश का आर्थिक विकास सम्भव होता है। कौन सा उद्योग निजी में रखा जाये, कौन सा उद्योग राज्य क्षेत्र में रखा जाये एवं कौन सा उद्योग निजी और राज्य क्षेत्र की साझेदारी में रखा जाये, यह सब एक सुनिश्चित योजना पर आधारित होता है।

इसे भी पढ़े…

(5) सरकारी व गैर सरकारी क्षेत्र पर निर्भरता न होना

मिश्रित अर्थव्यवस्था सरकारी एवं गैर सरकारी क्षेत्र पर निर्भर नहीं होती। इसमें जिन क्षेत्रों पर सामान्य नागरिकों का स्थायित्व होना चाहिए उनका स्थायित्व होता है और जिन क्षेत्रों पर सरकारी नियन्त्रण होना चाहिए। उसका होता है।

(6) मुख्य उद्देश्य समाज के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाना

मिश्रित अर्थव्यवस्था का प्रधान उद्देश्य सभी के लिए कल्याणकारी योजनाओं का निर्माण करना। क्योंकि पूँजीवादी अर्थव्यवस्था समाज की स्वतन्त्रता पर आधारित होती है एवं विशिष्ट वर्ग के ही पक्ष में प्रतीत होती है। जबकि साम्यवादी अर्थव्यवस्था समाज की समानता पर आधारित होती है और समाज के निर्धन वर्ग के पक्ष में प्रतीत होती है जबकि मिश्रित अर्थव्यवस्था समाज के दोनों पक्षों को दृष्टिगत रखते हुए कार्य करती है।

इसे भी पढ़े…

(7) पूर्ण रूप से न तो आर्थिक स्वतन्त्रता और न ही आर्थिक परतन्त्रता

मिश्रित अर्थव्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह न तो पूर्णरूपेण आर्थिक स्वतन्त्रता को महत्त्व देती है और न ही पूर्णरूपेण आर्थिक परतन्त्रता को महत्त्व देती है। इसका आशय स्वतन्त्रता सहित निर्बन्धन लगाती है।

(8) राज्य द्वारा न्यूनतम हस्तक्षेप

मिश्रित अर्थव्यवस्था में राज्य द्वारा न्यूनतम हस्तक्षेप का अनुपालन किया जाता है। राज्य मात्र उतना ही हस्तक्षेप करता है जितना आवश्यक हो ।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer:Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment