वाणिज्य / Commerce

प्रतिभूति का अर्थ | सरकारी प्रतिभूतियाँ | गैर-सरकारी प्रतिभूतियाँ | प्रतिभूतियों पर ब्याज का आशय

प्रतिभूति का अर्थ
प्रतिभूति का अर्थ

प्रतिभूति का अर्थ | Meaning of Securities in Hindi

प्रतिभूति का अर्थ (Meaning of Securities) – प्रतिभूति किसी ऋण लेने का कागजी साक्ष्य है जो देनदार द्वारा लेनदार के नाम से निर्गमित होता है। इसमें राशि, ब्याज दर समय आदि का उल्लेख होता है। यह देनदार द्वारा या उसकी ओर से अधिकृत व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किया हुआ होता है। वर्तमान युग में सरकार, कम्पनियाँ, निगम, बैंक, बीमा, कम्पनियाँ आदि जनता से विभिन्न ब्याज दरों पर ऋण प्राप्त करती है। इसके लिए (ऋण) जो प्रपत्र निर्गमित करती हैं, उन्हें प्रतिभूति कहते हैं। जैसे ऋणपत्र, बॉण्ड, प्रतिज्ञा पत्र आदि।

अंश को प्रतिभूति नहीं माना जाता, क्योंकि ये ऋण की स्वीकृति के सबूत नहीं होते। धारा 2 (28B) के अनुसार संस्थाओं द्वारा निर्गमित कुछ प्रतिभूति निम्नलिखित हैं- केन्द्रीय अथवा राज्य सरकारों द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियाँ केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकारें अपनी प्रतिभूतियों के विभिन्न नामों से जारी करती हैं- सरकारी ऋण, सरकारी पत्र, सरकारी नोट्स, सरकारी बॉण्ड्स, प्रतिज्ञा-पत्र, ट्रेजरी बिल, प्रमाण-पत्र, आदि। किसी स्थानीय सत्ता द्वारा निर्गमित ऋण एवं अन्य प्रतिभूतियाँ किसी कम्पनी द्वारा निर्गमित ऋणपत्र।

इसे भी पढ़े…

सरकारी प्रतिभूतियाँ (Government Securities in Hindi)

सरकारी प्रतिभूतियाँ केन्द्रीय अथवा राज्य सरकार द्वारा निर्गमित की जाती हैं। ऐसी प्रतिभूतियों पर मिलने वाले ब्याज को करदाता की आय में जोड़ा जाता है। सरकारी प्रतिभूतियाँ दो प्रकार की होती हैं-

1. कर मुक्त अथवा धारा 10 (15) के अन्तर्गत आने वाली सरकारी प्रतिभूतियाँ- यदि करदाता धारा 10 (15) के अन्तर्गत आने वाली किसी भी प्रतिभूति में विनियोग करता है तो ऐसी प्रतिभूतियों पर मिलने वाले ब्याज पर आयकर नहीं देना पड़ता क्योंकि ऐसी प्रतिभूतियाँ कर मुक्त होती हैं। इसलिए सम्पूर्ण ब्याज की राशि कर मुक्त होगी।

2. धारा 10 (15) के अतिरिक्त सरकारी प्रतिभूतियाँ- ऐसी प्रतिभूतियों के मुख पर कर मुक्त अथवा कर योग्य लिखा हो सकता है। ऐसी प्रतिभूतियों को भी केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार निर्गगित करती हैं। ऐसी प्रतिभूतियों के ब्याज को सकल नहीं बनाया जाता है। यदि इनका ब्याज कर योग्य है तो करदाता की आय में जोड़ दिया जायेगा। और यदि ब्याज कर मुक्त है तो भी करदाता की आय में शामिल किया जाता है, अन्तर सिर्फ इतना है कि कर स्रोत पर नहीं काटा जायेगा।

इसे भी पढ़े…

गैर-सरकारी प्रतिभूतियाँ (Non-Government Securities in Hindi)

ऐसी प्रतिभूतियाँ निजी संस्थाओं द्वारा या अर्द्ध-सरकारी संस्थाओं द्वारा जारी की जाती है। जैसे-म्यूनिसिपल बाण्ड, आदि। ऐसी प्रतिभूतियाँ निगम, ट्रस्ट आदि के द्वारा जारी होती है। गैर सरकारी प्रतिभूतियाँ सूचीयत या असूचीयत हो सकती हैं। किन्तु अर्द्ध-सरकारी प्रतिभूतियाँ स्पष्ट सूचना के अभाव में सदैव सूचीयत मानी जाती है।

यदि प्रश्न में सूचीयत होने की सूचना नहीं है तो गैर-सरकारी प्रतिभूतियों को असूचीयत मानते हैं। अर्द्ध-सरकारी प्रतिभूतियाँ सूचना न होने पर भी सूचीयत मानी जाती हैं।

गैर-सरकारी प्रतिभूतियाँ दो प्रकार की होती हैं-

1. कर मुक्त गैर सरकारी प्रतिभूतियाँ- वे प्रतिभूतियाँ जो किसी निगम, कम्पनी या स्थानीय सत्ता द्वारा निर्गमित की जाती हैं तथा उनके साथ कर मुक्त लिखा होता है, कर-मुक्त सरकारी प्रतिभूतियाँ कहलाती हैं। इनके ब्याज पर उद्गम स्थान पर कर की कटौती नहीं की जाती हैं। गैर कर को मुक्त करने का अधिकार किसी कम्पनी को नहीं होता है। केवल केन्द्रीय सरकार ही कर-मुक्त कर सकती है। ब्याज पर लगने वाले कर को प्रतिभूतियाँ निर्गमित करने वाली संस्था ही चुकाती है। प्रतिभूतियों पर दिये जाने वाले ब्याज में से आयकर की कटौती नहीं की जाती। कम्पनियाँ निर्धारित दर से कर की रकम को कोष में जमा कर देती हैं, ऐसा कर प्रतिभूति के धारक की ओर से चुकाया गया माना जाता है। कर-मुक्त गैर-सरकारी प्रतिभूतियों के ब्याज को सदैव सकल बनाया जाता है।

2. करयोग्य अथवा कर-मुक्त गैर सरकारी प्रतिभूतियाँ- जब तक साथ करमुक्त शब्द न दिया हो तब तक प्रतिभूतियों को कर-योग्य या कर-युक्त ही माना जायेगा। ऐसी प्रतिभूतियाँ कर-युक्त या कर-योग्य होने के साथ-साथ सूचीयत या असूचीयत हो सकती हैं।

कर-योग्य प्रतिभूतियों के सम्बन्ध में यदि प्राप्त ब्याज की रकम दी गयी है तो उसे सकल बनाकर कुल आय में शामिल करेंगे। यदि ऐसी प्रतिभूतियों के साथ ब्याज का प्रतिशत दिया हो तो उसे सकल नहीं बनाते बल्कि उसे करदाता की आय में जोड़ देते हैं। यदि कर योग्य गैर-सरकारी प्रतिभूतियों में ब्याज का प्रतिशत दिया हो, तो उसे सकल नहीं बनाते बल्कि करदाता की आय में जोड़ देते हैं।

प्रतिभूतियों पर ब्याज का आशय (Meaning of Interest on Securities)–

धारा 56(2) (id) के अनुसार प्रतिभूतियों पर ब्याज का आशय हैं

1. केन्द्रीय अथवा राज्य सरकार की किसी भी प्रतिभूति पर ब्याज,

2. स्थानीय सत्त द्वारा निर्गमित ऋणपत्रों या अन्य प्रतिभूतियों पर ब्याज,

3. एक भारतीय अथवा विदेशी कम्पनी द्वारा जारी किये गये ऋणपत्रों पर ब्याज,

4. एक विधान द्वारा निर्मित निगम द्वारा जारी ऋणपत्रों या अन्य प्रतिभूतियों पर ब्याज ।

इस प्रकार की प्रतिभूतियों पर निश्चित दर से प्राप्त होने वाला ब्याज, ब्याज की आय कहलाता है।

जब कोई करदाता अपने धन को निवेश करने के उद्देश्य से प्रतिभूतियों को क्रय करता है तो इन पर ब्याज अन्य साधनों की आय शीर्षकों में कर-योग्य होता है।

प्रतिभूतियों पर ब्याज में शामिल न होने वाला ब्याज (Interests not included in Interest on Securities) –

1. सहकारी समिति के ऋणपत्रों पर ब्याज,

2. विदेशी प्रतिभूतियों पर ब्याज

3. भूमि बन्धक बैंक के ऋणपत्रों पर ब्याज

4. यू.टी.आई. के यूनिटों पर लाभ,

5. व्यक्ति, हिन्दू अविभजित परिवार या फर्म द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियों पर ब्याज ।

धारा 10 (15) के अन्तर्गत प्रतिभूतियों, बॉण्ड्स एवं जमाओं पर पूर्णरूप से ब्याज कर मुक्त होता है ।

कुछ सरकारी प्रतिभूतियों पर ब्याज (Interest on some Government Securities) [ धारा 10 (15) | सरकार द्वारा निर्गमित कुछ प्रतिभूतियों, बॉण्ड्स प्रमाण-पत्रों का ब्याज कर-मुक्त होता है। अर्थात् कुल आय की गणना करते समय इन्हें आय मे शामिल नहीं किया जाता।

सभी करदाताओं के लिए (For all Types of Assessees)

(1) 10 वर्षीय ट्रेजरी सेविंग्स डिपॉजिट सर्टिफिकेट

(2) 5 वर्षीय नेशनल पोस्ट ऑफिस कैश सर्टिफिकेट

(3) 10 वर्षीय नेशनल प्लान सर्टिफिकेट

(4) 12 वर्षीय नेशनल प्लान सेविंग्स सर्टिफिकेट

(5) 12 वर्षीय या 7 वर्षीय पोस्ट ऑफिस नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट

(6) राष्ट्रीय रक्षा स्वर्ण बॉण्ड्स, 1980

(7) विशेष वाहक बॉण्ड्स, 1991

(8) डाक खाने का बचत खाता (रु. 3,500 तक व्यक्तिगत नाम में; 7,000 तक संयुक्त नाम में)

(9) डाक खाना संचयी सावधि जमा खाता

(10) डाक खाने का जन साधारण खाते का ब्याज (रु. 5,000 तक)

(11) विशेष जमा योजना, 1981

(12) अनिवासी रुपया जमा योजना।

एक व्यक्ति अथवा हिन्दू अविभाजित परिवार करदाता के लिये निम्न प्रतिभूतियों का ब्याज भी कर मुक्त है (In case of Individual or H.U.F. Assessee Recevied Interest on following Securities in also exempt ) [ धारा 10 (15) (iib) तथा (iic) ]

(1) 7% पूँजी विनियोग बॉण्ड्स (ये बॉण्ड्स 1-06-2002 से पूर्व जारी हों)

(2) राहत बॉण्ड्स पर ब्याज

कुछ अधिसूचित बाण्ड्स पर ब्याज का कर-मुक्त होना (Exempted Inter est of Some Notified Bonds ) – [ धारा 10 (15) iid) |

(i) ऐसे बाण्ड्स एक अनिवासी व्यक्ति (भारतीय) के पास हों।

(ii) अनिवासी व्यक्ति के उत्तराधिकारी के पास ऐसे बॉण्ड्स हों।

(iii) अनिवासी व्यक्ति को ऐसे बॉण्ड्स उपहार में दिये गये हों।

प्रतिभूति का ब्याज सहित एवं ब्याज रहित क्रय-विक्रय (Cum Interest and Ex-Interest Sale Purchase of Securities) –

1. ब्याज सहित क्रय विक्रय- प्रतिभूति ब्याज सहित का अर्थ है कि भूतिभूति खरीदने वाले को अगली तिथि पर प्रतिभूति पर ब्याज प्राप्त करने का अधिकार मिलना। ऐसे ब्याज को प्रतिभूति खरीदने वाले की आय में जोड़ा जाता है अस्पष्ट सूचना के अभाव में प्रतिभूति को ब्याज सहित माना जाता है।

2. ब्याज रहित क्रय-विक्रय- यदि प्रतिभूति का विक्रय ब्याज रहित किया गया है। तो इसका अर्थ है कि विक्रय होने के बाद प्रथम देय तिथि के ब्याज विक्रेता को मिलेगा न कि क्रेता को। यह ब्याज प्रतिभूति बेचने वाले को आय में ही शामिल होता है।

इसे भी पढ़े…

Disclaimer

Disclaimer:Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment