व्यवसाय एवं पेशे का अर्थ
व्यवसाय का अर्थ (Meaning of Business)- आयकर अधिनियम की धारा 2(13) के अनुसार, “व्यवसाय में व्यापार, वाणिज्य, उद्योग या निर्माण कार्य अथवा कोई साहस अथवा व्यापार, वाणिज्य या निर्माण कार्य की प्रकृति का कोई भी साहसिक कार्य शामिल है। “
पेशे का अर्थ (Meaning of Profession) – पेशे से आशय ऐसी क्रियाओं से है जिनमें मस्तिष्क की योग्यता एवं बौद्धिक कुशलता की आवश्कता होती है। ऐसी क्रियाओं को अध्ययन एंव प्रशिक्षण से प्राप्त किया जा सकता हैं।
जैसे-डॉक्टर, वकील, इन्जीनियर, अंकेक्षक आदि ।
धन्धे या वृत्ति की क्रियाएँ उन क्रियाओं को कहते हैं जो जीवन-यापन करने के लिये की जाती हैं। जैसे-पुस्तक लेखन, एजेन्सी सम्बन्धी कार्य, संगीत, नृत्य, चोरी की क्रियाएँ आदि धन्धे या वृत्ति (Vocation) की क्रियाएँ कहलाती है।
व्यवसाय या पेशे के लाभ शीर्षक के अन्तर्गत कर न देने योग्य आयें (Income not Taxable Under the Head Profits of Business or Profession)
1. मकान सम्पत्ति से आय (Income from House Property)– यदि मकान को किराये पर उठाने से कोई करदाता अपना जीवन-यापन करता है, तो ऐसी आय मकान सम्पत्ति की आय शीर्षक में कर योग्य होगी।
2. अंशों पर लाभांश से आय (Income from Dividend on Shares) – यदि अंशों पर प्राप्त लाभांश अन्य साधनों की आय शीर्षक में कर-योग्य है, तो ऐसी आय व्यापार एंव पेशे के लाभ शीर्षक के अन्तर्गत कर योग्य नहीं होगी।
व्यवसाय अथवा पेशे के लाभ शीर्षक के अन्तर्गत कर योग्य आयें (In come Taxable Under The Head Profits of Business or Profession)
1. व्यापार अथवा पेशे के लाभ (Profits of Business or Profession)- गत वर्ष में हुई आयगत प्राप्तियाँ जो व्यापार अथवा पेशे के संचालन से हुई हों, इस शीर्षक में कर-योग्य होती हैं।
(i) व्यापार में बिक्री से प्राप्त रकम
(ii) प्रदत्त सेवाओं के प्रतिफल में प्राप्त राशि
(iii) व्याज, बट्टा, कमीशन आदि से प्राप्त राशियाँ
(iv) कर्मचारियों को मकान किराये पर देने से प्राप्त राशि
(v) पेशे के सम्बन्ध में पेशेवर व्यक्ति को प्राप्त राशि
(vi) पेशेवर व्यक्तियों द्वारा प्राप्त उपहार एवं भेंट (ग्राहकों द्वारा)
2. व्यापारिक संघों की आय (Income of Trades or Professional Associations)- ऐसे संघ की आय जो अपने सदस्यों को विशिष्ट सेवाएँ प्रदान करने के प्रतिफल से प्राप्त हुई हो, इस शीर्षक में कर योग्य होगी।
3. पेशेवर खिलाड़ियों को प्राप्त पुरस्कार (Prizes received by professional players)- पेशेवर खिलाड़ियों को प्राप्त पुरस्कार उनकी आय मानी जाती है। इसलिए ऐसा पुरस्कार इस शीर्षक के अन्तर्गत कर योग्य है। गैर-पेशेवर खिलाड़ियों को प्राप्त पुरस्कार उपहार माना जाता है। अतः इस शीर्षक में कर योग्य नहीं होता है।
4. क्षतिपूर्ति की प्राप्त राशि- (Amount received as compensation)- क्षतिपूर्ति की राशि पूँजीगत प्राप्ति होती है। किन्तु इसे आयकर अधिनियम के अन्तर्गत माना जाता है। जब व्यवसाय में शर्तों का परिवर्तन होता है या एजेन्सी को समाप्त किया जाता है, तो क्षतिपूर्ति की राशि प्राप्त होती है।
5. विनियोगों के क्रय-विक्रय से लाभ (Profits from Sale and Purchase of Investment)- यदि प्रतिभूति एवं अंश बेचना तथा खरीदना करदाता काव्यापार है, तो ऐसे लाभ व्यापार तथा पेशे के लाभ शीर्षक में कर योग्य होते हैं।
6. अभिगोपन कमीशन (Underwriting Commission)- यदि अभिगोपक स्वयं कोई अंश लेता है तथा उस पर कोई कमीशन प्राप्त करता है तो ऐसा कमीशन कर योग्य नहीं होगा। किन्तु जब अभिगोपक किसी कम्पनी के अंश खरीदता एवं बेचता है तो उस पर प्राप्त ‘कमीशन इस शीर्षक में कर योग्य होगा।
7. साझेदारों को प्राप्त वेतन, बोनस, कमीशन तथा ब्याज (Salaries, Bonus, Commission and Interest received by Partners)- साझेदारी फर्म से जब किसी साझेदार को कोई वेतन, बोनस कमीशन तथा ब्याज प्राप्त होती है, तो इस शीर्षक में कर योग्य होगी। यदि इनमें से कोई भी भुगतान फर्म की आय में से कटौती के रूप में स्वीकार नहीं किया है, तो उसे साझेदार की आय में नहीं जोड़ेंगे।
8. कानूनी तथा गैर कानूनी व्यवसाय या पेशों के लाभ (Profits from Legal and IIlegal Business and Profession)- व्यवसाय या पेशे के लाभ इस शीर्षक मेंकर योग्य होंगे चाहे व्यवसाय या पेशा कानूनी हो अथवा गैर-कानूनी कानूनी व्यवसाय तथा पेशे की हानि को कानूनी व्यवसाय तथा पेशे के लाभों में से घटाया जा सकता है। इसके सम्बन्ध में अर्थदण्ड कटौती योग्य होते हैं। किन्तु गैर-कानूनी व्यवसाय या पेशे की हानि को नहीं घटाया जा सकता। इसके सम्बन्ध में अर्थदण्ड कटौती योग्य होते हैं। किन्तु गैर-कानूनी व्यवसाय या पेशे की हानि को नहीं घटाया जा सकता और न ही इसके सम्बन्ध में अर्थदण्ड कटौती योग्य होंगे।
9. सट्टे के व्यापर के लाभ (Profits from Business of Speculation)- के लेन-देन भी, व्यापार के लेन-देन की प्रकृति के होते हैं, किन्तु इन्हें वैध व्यापार से अलग समझा जाता है। सट्टे के व्यापार के लाभ इस शीर्षक में कर योग्य होते हैं। सट्टे के व्यापार से हुई हानि को केवल सट्टे के व्यापार से ही पूरा किया जा सकता है।
10. वैधानिक या लाभकारी स्वामित्व (Legal or Beneficial Owner ship)– व्यवसाय एवं पेशे के लाभों पर आयकर लगाने के उद्देश्य से व्यापारी का कानूनी स्वामित्व ही होना आवश्यक नहीं है, बल्कि लाभकारी स्वामित्व भी होना आवश्यक है।
11. पिछले गत वर्षों में स्वीकृत कटौती के सम्बन्ध में प्राप्ति (Deduction) Allowed in Last Previous Years)- यदि करदाता को पिछले वर्षों के लाभों में किसी प्रकार की हानि अथवा व्यय के सम्बन्ध में कटौती स्वीकृत हो चुकी है तथा गत् वर्ष में वह राशि वसूल की जा चुकी है तो ऐसी राशि इस शीर्षक में कर-योग्य होगी।
12. व्यवसाय अथवा पेशे के अन्तर्गत प्राप्त अनुलाभ (Perquisities received under Business or Profession)- किसी व्यवसाय या पेशे के अन्तर्गत प्राप्त अनुलाभ इस शीर्षक में कर-योग्य होंगे जैसे-वकील को उसके ग्राहक (मुवक्किल) द्वारा दी गई मुफ्त मकान की सुविधा।
13. भूमि को मकान निर्माण हेतु प्लॉट्स के रूप में बेचने से प्राप्त आय (Income from selling for the Construction of House Constructed)– यदि भूमि को मकान निर्माण हेतु प्लॉट्स के रूप में बेचने पर आय प्राप्त होती है, तो इस प्रकार के भूखण्डों की आय इस शीर्ष में कर योग्य होगी ।
14. कीमैन बीमा पॉलिसी के अन्तर्गत प्राप्त धन (Amount received under Keyman Insurance Policy ) 1.10.96 से कीमैन बीमा पॉलिसी के अन्तर्गत प्राप्त धन तथा बोनस इस शीर्षक में कर योग्य होगा। कीमैन बीमा पॉलिसी ऐसी पॉलिसी होती है जो कम्पनियों द्वारा अपने कर्मचारियों की दुर्घटना के लिए ली जाती है।
15. आयात-निर्यात सम्बन्धी आयें (Income from Import and Export)– (i) एक आयात करने वाले को आयात अनुज्ञा पत्र के विक्रय से लाभ; (ii) किसी निर्यात करने वाले को उत्पाद शुल्क या सीमा शुल्क की रकम की वापसी; (iii) निर्यात प्रोत्साहन के लिये किसी व्यक्ति को भारत सरकार से प्राप्त नकद सहायता की राशि |
16. 35AD में प्राप्त सम्पत्ति को बेचने से होने वाली प्राप्ति (Receivings from sale of Assets received is 35 AD) इस धारा के अन्तर्गत आने वाली सम्पत्तियों के बेचने या समाप्त करने से प्राप्त होने वाली राशि कर-योग्य होगी।
17. कुछ अप्रदर्शित आयों ( धारा 68, 69, 69A69B, 69C, या 69D के अन्तर्गत हो ) पर 30% की विशेष दर से कर लगाया जायेगा। । धारा 1115BBE] w.e.f. A.Y. 2013-14 यदि करदाता की आय में धारा 68,69, 69A, 69B, 69C, या 69D से सम्बन्धित आय शामिल हो तो ऐसी आयों पर 30% की दर से कर लगाया जायेगा तथा ऐसी आयों में से किसी प्रकार के व्यय या भत्ते की कटौते नहीं मिलेगी।
18. किसी व्यापार या पेशे के सम्बन्ध में कोई क्रिया-कलाप न करने के अनुबन्ध से आय (कर-निर्धारण वर्ष 2017-18 से प्रभावी)
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