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एजूसेट के उपयोग तथा एजूसेट का शिक्षकों एवं प्रशिक्षकों पर प्रभाव बताइए।

एजूसेट के उपयोग तथा एजूसेट का शिक्षकों एवं प्रशिक्षकों पर प्रभाव
एजूसेट के उपयोग तथा एजूसेट का शिक्षकों एवं प्रशिक्षकों पर प्रभाव

एजूसेट के उपयोग का वर्णन कीजिए।

एजूसेट के उपयोग- धरती पर केन्द्र व सेटेलाइट के बीच तरंगों के माध्यम से स्थापित संचार को ‘अपलिकिंग’ कहा जाता है। एजूसेट उपग्रह इसी तकनीकी का इस्तेमाल करते हैं। अतः एजूसेट उपग्रह को इसी तकनीक का प्रयोग करके दूरस्थ शिक्षा को प्रभावी व सुगम बनाने हेतु अन्तरिक्ष में स्थापित किया गया है। इसमें प्रसारण तथा प्राप्ति की सुविधा की दृष्टि से राष्ट्रीय हब (धुरी) व राज्य हब का प्रावधान है। राष्ट्रीय हब (धुरी) से पूरे राष्ट्र के प्रयोगार्थ विभिन्न से क्षेत्रीय प्रादेशिक भाषाओं अंग्रेजी हिन्दी भाषा में कार्यक्रम प्रसारित किये जाते हैं जबकि राज्य हब से सम्बन्धित राज्य के पाठ्यक्रम व स्थानीयता के आधार पर राज्य की भाषा में कार्यक्रम प्रसारित किये जाते हैं। राज्य हब का निर्माण कई समभाषी राज्यों को मिलाकर किया जाता है। ये सभी कार्यक्रम टी.वी. के माध्यम से प्राप्त (रिसीव) किये जाते हैं।

76 सैटेलाइटों के माध्यम से शैक्षिक कार्यक्रमों की शुरुआत का प्रदर्शन भारत में 1975 में सैटलाइट इन्स्ट्रक्शन टेलीविजन प्रयोग – SITL- (Sattelite Instruction Television) द्वारा अमेरिकन एप्लीकेशन तकनीकी सैटेलाइट ( AT36) का प्रयोग करते हुए किया गया। इस अलौकिक प्रयोग के दौरान, जिसे सबसे बड़े सामाजिक प्रयोग के रूप में पूरे संसार में स्वास्थ्य व परिवार नियोजन कार्यक्रमों हेतु किया जा सकता था, को 6 राज्यों के 2400 भारतीय गाँवों में प्रत्यक्षतः प्रसारित (Tele Cast) किया गया। बाद में 1983 में INSAT प्रणाली की शुरुआत की गई जिससे कई शैक्षिक कार्यक्रम संचालित किये जाने लगे। नब्बे के दशक में झाबुआ विकास संचार परियोजना (JDPS) व प्रशिक्षण विकास संचार चैनल (TDCC) ने आगे चलकर टेली शिक्षा की शक्ति का प्रदर्शन किया। यहाँ तक कि टेली-SOFT कार्यक्रम के तहत 1996-97 में मध्य प्रदेश व कर्नाटक के शिक्षकों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा प्रशिक्षित किया गया। इसमें शिक्षा के क्षेत्र में सैटेलाइट संचार के महत्त्व को समर्थन मिला। एजूसेट का प्रयोग निम्न क्षेत्रों में किया जा सकता है।

1. पारम्परिक रेडियो व दूरदर्शन प्रसारण।

2. शैक्षिक रेडियो व दूरदर्शन।

3. आँकड़ों के आदान-प्रदान में

4. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग व कम्प्यूटर कॉन्फ्रेंसिंग में वेब आधारित शिक्षा में।

एजूसेट का शिक्षकों एवं प्रशिक्षकों पर प्रभाव बताइए।

एजूसेट (Edusat) के नेटवर्क के प्रयोग द्वारा NCERT ने शिक्षकों व शिक्षक प्रशिक्षकों के लिए निम्न कार्यक्रम संगठित किये हैं।

1. केन्द्रीय विद्यालयों / जवाहर नवोदय विद्यालयों व (CBSC) से सम्बद्ध विद्यालयों के शिक्षकों का राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना खण्ड के आलोक में विकसित नई पाठ्यपुस्तकों पर निर्देशन |

2. राष्ट्रीय पाठ्यवस्तु संरचना पर आधारित पाठ्यपुस्तकों के स्तर के विषय पर (KVS) विद्यालयों के प्रधानाचार्यों हेतु निर्देशन

3. ललित कला व संगीत के शिक्षकों हेतु निर्देशन |

4. राष्ट्रीय पाठ्यक्रम परिचर्या (NCF-2005) पर आधारित पाठ्यवस्तु के अनुसार SCERT, DIET, CTE व IASE के शिक्षक प्रशिक्षकों हेतु निर्देशन |

5. शिक्षा में लिंग आधारित पहलुओं पर शिक्षकों का निर्देशन | 

6. मूल्यांकन की नवीन प्रवृत्तियों के संदर्भ में शिक्षकों व शिक्षक प्रशिक्षकों का निर्देशन |

7. निर्देशन व परामर्श को प्रभावी बनाना ।

8. नियमित कॉलेज पाठ्यक्रमों का प्रसारण।

9. AITEE (All India Test for Engineering Exam) के लिए कोचिंग कक्षा चलाना।

10. मृदु कौशलों का प्रशिक्षण |

उपर्युक्त कार्यों के लिए एजूसेट द्वारा नवाचार विधि का प्रयोग करते हुए शिक्षा विभाग चुने हुए विशेषज्ञों को प्रशिक्षण देकर व्याख्यान कराये जाते हैं। उन्हें न केवल कैमरे का सामना करना सिखाया जाता है बल्कि शिक्षा में ICT का प्रयोग भी सिखाया जाता है।

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