एजूसेट का अर्थ | Edusat in Hindi | Use of Edusat
एजूसेट का अर्थ – परिचय- एजूसेट (Edusat) एक शैक्षणिक उपग्रह है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ने सितम्बर 2004 में एजूसेट को एक कृत्रिम उपग्रह के रूप में स्थापित किया था। यह पूर्णतः शिक्षण सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से छोड़ा गया है। इससे दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
एजूसेट में पाँच 5 केयू (Ku) बैण्ड ट्रन्सिपांडर तथा 6 विस्तारित-सी बैण्ड (Extended C Band Transponders) ट्रान्सपॉन्डर लगे हैं। विषुवत रेखा से इसका झुकाव 19.2 डिग्री है। एजुसैट को श्री कोटा में सतीश धवन अन्तरिक्ष यान (Spaceset) द्वारा सफलतापूर्वक् प्रक्षेपित किया गया था। 414 टन का 49 मी. लम्बा GSLV 1950 किलोग्राम के एजूसेट को ले जाते हुए श्री हरिकोटा से सायं 4.01 बजे छोड़ा गया था। लगभग 17 मिनट बाद, एजूसेट को सफलतापूर्वक GTO (Geosynchronous Transfer Orbit) में स्थापित कर दिया गया।
शिक्षण अधिगम के क्षेत्र में व्यावहारिक उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु व प्रभावी निर्देशन हेतु तथा शिक्षण व्यवस्था के व्यवस्थित रूप से संचालन हेतु शिक्षा तकनीकी का प्रयोग किया जाता है। राष्ट्रीय संशोधित शिक्षानीति 1992 में, भारत में मीडिया व शिक्षा तकनीकी के महत्त्व को समझते हुए कहा गया था कि प्राचीन काल की अपेक्षा वर्तमान समय में आधुनिक संचार तकनीकियों के उपयोग द्वारा शिक्षण अधिगम को प्रभावी व आसानी से प्रबन्धन योग्य बनाया जा सकता है। संरचनात्मक दोहराव से बचने हेतु आधुनिक शैक्षिक तकनीकी की पहुँच सुदूर क्षेत्रों व वंचित वर्ग के लोगों तक भी होनी चाहिए तथा जिन क्षेत्रों में तुलनात्मक रूप से शैक्षिक सुविधाओं का अभाव है वहाँ भी इनकी आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए। इस शिक्षा के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने में तथा अन्तर्निहित क्षेत्रों में किया जायेगा।
इसका सर्वाधिक उपयोग उपलब्ध ढाँचागत संसाधनों के अनुरूप किया जायेगा। आज हमारे देश में लगभग 10 लाख विद्यालयों में 20,025 लाख बच्चों को शिक्षित करने हेतु लगभग 55 लाख शिक्षक नियुक्त हैं। (स्रोत NCT-2005 पृष्ठ 1)। यदि हम देश में शिक्षक शिक्षा संगठनों की वृद्धि का आकलन करें तो यह पता चलता है कि इन संस्थानों की संख्या जो 31 मार्च, 2000 में 2051 थी, 31 मार्च, 2005 को 4550 तक पहुँच गयी थी। (स्रोत NCTE एनअल रिपोर्ट 2000, 2001, 2004-05)। इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों व शिक्षक प्रशिक्षकों हेतु नियमित ओरिएन्टेशन प्रोग्राम की व्यवस्था अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। इन सभी शिक्षक प्रशिक्षकों हेतु प्रत्यक्ष ओरिएन्टेशन कार्यक्रमों की व्यवस्था करना आसान नहीं था। अतः इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों व शिक्षक प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण और स्कूली शिक्षकों हेतु समूह निर्देशन कार्यक्रम आदि कार्य किसी विशेष रणनीति के तहत ही सम्भव हो सकते थे। अतः इस सम्बन्ध में भी एजूसेट की सहायता ली गई।
एजूसेट (Edusat-Educational Satellite) की उपयोगिता के बारे में यदि विचार किया जाये तो NCERT तथा एजूसेट नेटवर्क के जरिए देश के हजारों शिक्षकों व शिक्षक प्रशिक्षकों हेतु वीडियो कान्फ्रेंसिंग की योजना बनाकर इसे संगठित किया गया है जिससे हजारों व लाखों शिक्षक एक समान रूप से इस प्रशिक्षण का लाभ उठा सकते हैं।
चूँकि भारत एक नई सहस्राब्दि में प्रविष्ट हो चुका है अतः यह आवश्यक है कि इतनी तेजी से हो रहे परिवर्तन की आवश्यकता व तकनीकी को ध्यान में रखते हुए एजूसेट जैसे प्रयास होते रहने चाहिए। इसमें चुनौतियाँ भी सम्भव हैं। परन्तु
इसके अर्थपूर्ण प्रयोग द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में बहुत सी सुविधाएँ व सम्भावनाएँ तलाशी जा सकती हैं। इस सैटेलाइट के सफलतापूर्ण उपयोग हेतु मिल-जुलकर काम करने व श्रेष्ठ नियोजन द्वारा इसकी सहायता से शिक्षा के उद्देश्यों को भी प्राप्त जा किया सकता है क्योंकि इससे पूर्व में बहुत बड़ी संख्या में शिक्षक प्रशिक्षकों हेतु एक विशेष रणनीति द्वारा अर्थात् त्रिआयामी रणनीति (रिसोर्स पर्सन का प्रशिक्षण राज्य, जिला, ब्लाक व क्लस्टर स्तर पर प्रशिक्षकों की व्यवस्था तथा बड़ी संख्या में शिक्षकों व शिक्षक प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण व पुनः प्रशिक्षण व प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों का विशेष प्रशिक्षण व स्कूली शिक्षकों हेतु समूह निर्देशन कार्यक्रम) की व्यवस्था किये जाने पर भी वांछित परिणाम नहीं मिले थे। अतः शिक्षकों को एजूसेट के माध्यम से व दूरस्थ साधनों (वीडियो व ऑडियो कान्फ्रेंसिंग से व दूरस्थ साधनों (वीडियो व ऑडियो कान्फ्रेंसिंग (Video and Audio Conferencing) द्वारा प्रशिक्षण देना ही बेहतर विकल्प माना गया।
शैक्षिक कार्यक्रमों में इन्सेट की लाभदायकता को ध्यान में रखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अक्टूबर 2002 में एजूसेट की संकल्पना पर विचार किया गया तथा इस सेटेलाइट 20 सितम्बर, 2004 को प्रक्षेपित किया गया। एजूसेट पहला भारतीय सैटेलाइट जिसे है शैक्षिक क्षेत्र में सेवा हेतु विशेष रूप से तैयार किया गया है तथा जो देश में शैक्षिक सैटेलाइट के अन्तर्गत दूरस्थ शिक्षा व्यवस्था हेतु कार्य करता है। इसे विशेष रूप से दृश्य-श्रव्य साधनों (Audio Visual Aids) से युक्त किया गया है जो डिजिटल शैक्षिक कक्षा व मल्टीमीडिया प्रणालियों पर आधारित है।
दूरस्थ शिक्षा क्षेत्र में उच्चतम तकनीकी द्वारा गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने हेतु भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा 20 सितम्बर, 2004 को ‘सतीश धवन अन्तरिक्ष ‘केन्द्र श्री हरिकोटा’ द्वारा प्रक्षेपित किया गया जो इस समय पृथ्वी के चारों ओर (समीपस्थ बिन्दु 180 किमी. दूरस्थ 359 किमी) भूमध्य रेखा से 19.2 अक्षांश के झुकाव पर अपनी धुरी पर 10.5 घंटे में अपनी कक्षा का एक चक्कर पूरा करता है।
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