शैक्षिक टेलीविजन के उद्देश्य (Objectives of E.T.V.) –
टेलीविजन के शैक्षिक उद्देश्यों के सम्बन्ध में सन् 1980 में एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। उस कार्यशाला में शैक्षिक टी.वी. के विभिन्न रूपों के विषय में विस्तृत चर्चा हुई, जिसके आधार पर इसके निम्नलिखित उद्देश्य निर्धारित किए जा सकते हैं-
(1) लोगों को राष्ट्रीय विकास के विषय में जानकारी देकर उनको सक्रिय रूप से लेने के लिए प्रोत्साहित एवं प्रेरणा प्रदान करना। भाग
(2) विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा अन्य शिक्षा संस्थाओं के साथ-साथ स्कूलों के बाहर युवकों एवं प्रौढ़ों के लिए औपचारिक शिक्षा के विकल्प के रूप में विकसित अनौपचारिक शिक्षा की प्रमुख बातें बताना।
(3) अनुदेशन का एक प्रत्यक्ष एवं असशक्त माध्यम बनना।
(4) औपचारिक शिक्षा की कमियों को दूर कर उसे नवीनतम से पूर्ण करने वाला माध्यम बनना।
(5) शिक्षकों, अनुदेशकों एवं पर्यवेक्षकों के प्रशिक्षण में सहायता प्रदान करना।
(6) व्यावसायिक (कृषि एवं औद्योगिक) तथा चिकित्सा एवं औषधियों की बिक्री व वाला सशक्त माध्यम बनना। शिक्षा देने
(7) अध्ययन केन्द्र या विद्यालयों में उपस्थित होने और शिक्षा ग्रहण करने के लिए बालक-बालिकाओं को प्रेरित करना
(8) बालकों में जरूरी अभिवृत्तियों तथा आदतों का विकास करना।
(9) बालक-बालिकाओं में सामुदायिक जागरूकता का सृजन करना।
(10) छात्रों के कौशलों में सुधार करना।
(11) छात्रों में खोज करने और स्वयं कुछ करने या प्रयोग करने के लिए प्रेरित करना।
(12) अपने आस-पास और चारों तरफ के वातावरण के विषय में जागरूकता उत्पन्न
(13) समाज में व्याप्त बुराइयों के प्रति तथा उन्हे दूर करने वाले कार्यों के प्रति छात्रों को जाग्रत करना ।
शैक्षिक टेलीविजन की विशेषताएँ-
विश्व के बहुमुखी, गत्यात्मक और शक्तिशाली माध्यम के रूप में दूरदर्शन द्वारा शिक्षा को प्रभावित करना उत्तम कार्य है। यह संचार का नवीनतम माध्यम है और शिक्षण अधिगम के लिए एक नवाचार है। इसका प्रभावशाली उपयोग अधिगम के मौलिक नियमों पर आधारित है। दूरदर्शन का पूर्ण उपयोग छात्रों में अधिगम के लिए। और अधिक उत्तरदायित्व ग्रहण करने के लिए नवीन प्रोत्साहन प्रदान करता है। यह सत्य है कि प्रभावशाली ‘दूरदर्शन-शिक्षण’ के लिए सामान्य औपचारिक शिक्षण की तुलना में और अधिक तैयारी तथा विशेषज्ञों की सहायता की आवश्यकता होती है। दूरदर्शन स्वयं एक शक्तिशाली इकाई नहीं है, वरन् यह एक यंत्र है जो किसी विशेष शैक्षिक परिस्थिति में उपयोग में लाया जा सकता है। यह विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा अभिभावकों के कार्यों से सम्बन्धित एक नई और अपेक्षाकृत उत्तम विधि है। दूरदर्शन सभी नियोजकों, प्रशासकों, शिक्षकों, अभिभावकों और पत्रकारों से सम्बन्धित है।
शैक्षिक दूरदर्शन की विशेष सार्थकता इस तथ्य में है कि वह सभी प्रकार की दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्रियों का उपयोग कर सकता है। इसकी एक विशेषता इसकी तत्क्षणता के गुण में है। नवीनतम सामयिक घटनाओं को कक्षाओं में इसके माध्यम से तत्काल प्रस्तुत किया जा सकता है। विश्व के किसी भी भाग में खेले जाने वाले खेलकूद, देश में मनाया जाने वाला गणतंत्र दिवस तथा मैच आदि उसी क्षण दूरदर्शन के माध्यम से कक्षाओं में दिखाया जा सकता है। दूरदर्शन केवल वर्तमान की घटनाओं से ही नहीं, वरन् अतीत की घटनाओं से भी सम्बन्धित है। इसके द्वारा अतीत की घटनाओं को कक्षाओं में जीवन्त रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।
ऐतिहासिक घटनाओं का नाटकीय रूप, छात्रों को ऐतिहासिक तथ्यों का ज्ञान दूरदर्शन के माध्यम से प्रभावी ढंग से दिया जा सकता है। इस दृष्टि से दूरदर्शन से अधिक बहुमुखी गुणों वाला अन्य कोई सम्प्रेषण माध्यम नहीं है। विश्व के ऐसे स्थान, जहाँ पहुँचना दुर्लभ है, दूरदर्शन उनका भी सीधा प्रसारण (Live telecaste) या वीडियो प्रसारण कर सकता है। विद्यार्थी कक्षाओं में बैठे ही बैठे विश्व की सभी इमारतों या आश्चर्यजनक क्षेत्रों का दर्शन कर सकते हैं। दूरदर्शन कार्यक्रम किसी भी शैक्षिक विषय- कला, विज्ञान, साहित्य, संगीत, इतिहास आदि विषयों पर बनाए जा सकते हैं।
शैक्षिक दूरदर्शन बालक, बालिकाओं, वयस्कों तथा वृद्धों के लिए रुचि एवं प्रेरणा उत्पन्न करने में सक्षम है। शैक्षिक दूरदर्शन की एक सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह शिक्षकों, अभिभावकगण विद्यालय के दृश्यों को दूरदर्शन पर देखते हैं और शिक्षकगण अभिभावकों से सम्बन्धित दृश्यों को तब उस समय उन्हें एक-दूसरे को समझने का उत्तम अवसर मिलता है। शिक्षक और छात्र दूरदर्शन के माध्यम से अपनी कमजोरियों को पहचानते हैं और अपनी सुषुप्त शक्तियों को जाग्रत एवं विकसित करने में प्रत्यनशील होते हैं।
शैक्षिक टेलीविजन के लाभ
( 1 ) अनुदेशन का स्तर उच्च होता है- कक्षा में साधारण रूप से अनुदेशन दिया जाता है, परन्तु दूरदर्शन के कार्यक्रम सुनियोजित तथा सुसंगठित होते हैं। वे उत्तम प्रकार से दिखाए जाते हैं। इसका बच्चों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
(2) दूरदर्शन में लचीलापन (Flexibility in T.V.) – शैक्षिक दूरदर्शन निरन्तर तीव्र गति से पाठ्यक्रम परिवर्तित करता है तथा अनुदेशात्मक विधियों (Instructional Methods) को भी आवश्यकतानुसार बदल देती है। इसी प्रकार पाठ्यक्रमों को समाज में बदलती हुई जरूरतों और ज्ञान के अनुसार प्रसार करना दूरदर्शन द्वारा ही सम्भव है। यह कोई वीडियो डिस्क द्वारा सम्भव नहीं है।
‘(3) शिक्षकों पर निर्भरता की कमी- विद्यार्थी दूरदर्शन से स्वयं प्रयास करके सीखते हैं अतः वे शिक्षकों से अधिक सहायता नहीं लेते हैं।
(4) विद्यालय में सर्वाधिक उपलब्ध अध्यापक से सहायता लेना – शैक्षिक दूरदर्शन द्वारा पूरे देश में एकसमान शैक्षिक अवसर प्रदान किए जा सकते हैं। ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में एकसमान शिक्षा दी जा सकती है। इस दृष्टि से विद्यालय में सर्वोत्तम तथा सर्वाधिक रहने वाला शिक्षक प्राप्त हो सकता है। इस दृष्टि से शैक्षिक दूरदर्शन धनी और निर्धन के बीच मेल कराने का कार्य करता है।
( 5 ) सस्ता साधन- यदि दूरदर्शन का व्यापक स्तर पर प्रयोग किया जाए, तो वह सस्ता पड़ता है। अनुदेशन के स्तर को कम किए बगैर कम लागत पर पूरे देश को शिक्षा प्रदान की जा सकती है।
(6) सेवाकालीन प्रशिक्षण देना- विद्यालय के समय के बाद अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए शैक्षिक दूरदर्शन का प्रयोग किया जा सकता है। प्रति सप्ताह एन.सी.ई.आर.टी. (NCERT) शिक्षकों के लिए शिक्षण विधि के सुधार के लिए कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। इसी प्रकार सभी प्रकार के विद्यालयों के अध्यापकों के लिए भी शिक्षण-सुधार एवं नवाचार के कार्यक्रम व्यवस्थित किए जा सकते हैं।
( 7 ) उद्दीपन (Stimulation) प्राप्त करना- शैक्षिक दूरदर्शन के द्वारा हम दृश्य श्रव्य पर नियंत्रण करके वाँछनीय अनुक्रिया (Desired Response) अर्थात् अधिगम प्राप्त कर सकते हैं।
( 8 ) दृश्य व श्रव्य का संगम (Combination)- टेलीविजन या दूरदर्शन में दृश्य और श्रव्य (Audio and visual) दोनों की सुविधा रहती है। इसलिए शैक्षिक कार्यक्रम सुने व देखे जा सकते हैं। इससे छात्रों तथा शिक्षकों दोनों के मन्तव्यों का समाधान हो जाता है। यही कारण है कि दूरदर्शन आकाशवाणी से अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
(9) विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि (Mass Education)- शैक्षिक दूरदर्शन बढ़ती हुई विद्यार्थियों की संख्या की माँग पूरी करने में सक्षम है। ऐसी स्थिति में आजकल विद्यार्थी शैक्षिक कार्यक्रमों को बड़े मन से स्वीकार करते हैं।
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