शैक्षिक टेलीविजन का अभिप्राय
शैक्षिक टेलीविजन का अभिप्राय (Meaning of Education T.V.)- बीसवीं शताब्दी में जितनी उपलब्धियाँ और आविष्कार हुए हैं उनमें टेलीविजन का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है। टेलीविजन ने भी शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन किए हैं। दूरदर्शन एक ऐसा वैज्ञानिक उपकरण है जिस पर हम आवाज के साथ-साथ व्यक्तियों के चित्र तथा उनकी सभी छोटी-बड़ी क्रियाओं को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। टेलीविजन छात्र-छात्राओं की आँखों को सक्रिय रखता है। रेडियो के समान दूरदर्शन में भी शैक्षिक पाठों का प्रसारण किया जाता है। प्रारम्भ में दूरदर्शन सैट बहुत महँगे थे, परन्तु ज्यों-ज्यों इनका देश में प्रचार उन्नति कर रहा है, प्रारम्भ में में त्यों-त्यों इनकी कीमत भी कम होती जा रही है। टेलीविजन यंत्र अब भारत की बड़ी जनसंख्या में पहुँच गया है। अतः इस यंत्र द्वारा शिक्षा के विस्तार में बहुत सहायता मिल रही है। वर्तमान युग में दूरदर्शन संचार (Communication) का एक शक्तिशाली साधन है। हमारे देश में अब उपग्रहों (Satellite) की सहायता से शिक्षा के राष्ट्रीय कार्यक्रम दूरदर्शन पर दिखाए जाते हैं। ये कार्यक्रम देश के कोने-कोने में देखे जा सकते हैं। इसी प्रकार अन्य देशों के कार्यक्रम भी भारत में देखे जा सकते हैं।
भारत में शैक्षिक टेलीविजन का विकास (Development of Educational T.V. in India) –
भारत में दूरदर्शन या टेलीविजन का प्रवेश सन् 1959 में हुआ था। उस समय उसकी उपयोगिता का प्रदर्शन किया गया था। उसके बाद 15 सितम्बर, 1959 ई. को हमारे देश में दूरदर्शन सेवा का औपचारिक रूप से उद्घाटन हुआ। उस समय से निरन्तर दूरदर्शन के माध्यम से कई प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं। इनमें से महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम निम्नलिखित है-
(1) सेकेन्ड्री स्कूल टेलीविजन प्रोजेक्ट (Secondary School T.V. Project)-
सेकेन्ड्री स्कूल प्रोजेक्ट अक्टूबर 1961 ई. में टी.वी. कार्यक्रम प्रयोग के रूप में आरम्भ किए गए थे। इन कार्यक्रमों में कक्षा 11 के लिए तीन-तीन पाठ फिजिक्स और कैमिस्ट्री में तथा एक एक पाठ इंग्लिश और हिन्दी के लिए प्रसारित किए जाते थे। ये कार्यक्रम पाठ्यक्रमानुसार थे। और स्कूल की गतिविधियों के अंग के रूप में समय से प्रसारित किए जाते थे। स्कूल टी.वी. कार्यक्रम आरम्भ करने का मुख्य उद्देश्य शिक्षित अध्यापकों, स्थान, यंत्रों, प्रयोगशालाओं की कमी के कारण स्कूल शिक्षण के स्तर में सुधार करना था। इसके परिणाम उत्साहवर्द्धक रहे।
(2) दिल्ली कृषि टेलीविजन प्रोजेक्टर (Krishi Darshan)-
26 जनवरी, 1966 ई. को स्कूल प्रसारणों की सफलता से प्रोत्साहित कृषि दर्शन कार्यक्रम आरम्भ किया गया। इससे किसानों को खेती सम्बन्धी सूचनाएँ दी जाने लगीं। दिल्ली के 80 ग्रामों में सामुदायिक
सुविधाएँ भी दी गईं। इस प्रयोग से कृषकों को अच्छी सूचनाएँ प्राप्त हुईं।
( 3 ) उपग्रह अनुदेशक टेलीविजन प्रयोग (Satellite Instruction T.V. Experiment-SITE ) –
यह सबसे बड़ा प्रयोग था जो 1 अगस्त, 1975 को एक वर्ष के लिए आरम्भ किया गया। इसमें आधुनिक तकनीकी का प्रयोग किया गया था। यह प्रयोग 6 राज्यों के 2330 ग्रामों में किया गया। इस प्रयोग का उद्देश्य था कि उपबन्ध ग्रामीण संचार प्रक्रिया (Communication process) टी.वी. की एक नए शैक्षिक माध्यम के रूप में भूमिका का अध्ययन करना तथा सामुदायिक दूरदर्शन द्वारा ग्रामीण संरचना में परिवर्तन प्रक्रिया को समझना। SITE द्वारा यह भेद खोजा गया कि दूरस्थ क्षेत्रों में नई तकनीकी द्वारा बदलाव किया जा सकता है या नहीं। इसमें विकासात्मक शैक्षिक कार्यक्रम तथा स्वास्थ्य और परिवार नियोजन के कार्यक्रम शुरू किए गए। हिन्दी, कन्नड़, उड़िया तथा तेलगू भाषा के कार्यक्रम भी शुरू किए गए।
(4) पोस्ट ग्रेजुएट प्रोजेक्ट (Poste SITE Project) –
मार्च, 1977 में एक नया कार्यक्रम शुरू किया गया। इसके लिए जयपुर में ट्रांसमीटर लगाया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य निम्नवत थे-
(i) गाँव के लोगों को कृषि, खाद के प्रयोग, स्वास्थ्य तथा स्वच्छता के विषय में उन्नत तथा वैज्ञानिक ज्ञान देना ।
(ii) देश में संवेगात्मक एकता का वातावरण बनाना।
(iii) ग्रामीण क्षेत्र के बालकों को शिक्षा के महत्त्व तथा स्वस्थ रहने के विषय में बताना।
(5) भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह ( Indian National Satellite or INSAT) –
अनुदेशात्मक टेलीविजन को और अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए उपग्रह तकनीकों का प्रयोग किया गया। 10 अप्रैल, 1982 को भारतीय बहुउद्देशीय उपग्रह (Multipurpose Satellite) छोड़ा गया। उसका नाम इन्सैट आईए (INSAT-IA) था, किन्तु कुछ कारणवश उसे 6 दिसम्बर, 1982 को प्रयोग के अयोग्य घोषित कर दिया गया। उसके पश्चात् 30 अगस्त, 1983 को INSAT-IB छोड़ा गया जो ठीक साबित हुआ। इस उपग्रह के अन्तर्गत छः राज्य; जैसे- आन्ध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, उड़ीसा तथा उत्तर प्रदेश शामिल हुए। इन्सेट सेवा का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण तथा पिछड़े लोगों को मुख्य राष्ट्रीय धारा में लाना तथा उनकी सहायता करके विकास के कार्यों को बढ़ाना था ।
विकासात्मक कार्यों के अतिरिक्त 5 से 8 वर्ष तक 9 से 11 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत करना था। इस आयु वर्ग के बच्चों के लिए आज भी कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। ये 45 मिनट के कैप्सूल Capsule) के रूप में प्रतिदिन होते हैं। इस कैपसूल में 20-20 मिनट के दो कार्यक्रम होते हैं। एक कार्यक्रम छोटी आयु के बच्चों के लिए तथा दूसरा बड़ी या उच्च आयु वर्ग के बच्चों के लिए होता है।
(6) उच्च शिक्षा टेलीविजन प्रोजेक्ट (Higher Education Television Project HETV)-
15 अगस्त, 1984 को देशव्यापी कक्षा (Countrywide classroom) के नाम से एक प्रयोग किया गया। इसका सम्बन्ध उच्च शिक्षा से था। यू.जी.सी. (U.G.C.) ने इस कार्यक्रम को पूर्ण सहयोग दिया। यह कार्यक्रम स्नातकों (Graduate), शिक्षकों तथा पढ़ी-लिखी जनता के लिए था। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है, उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना। इसके लिए यू.जी.सी. ने एक अलग से विभाग स्थापित किया है। इसके अतिरिक्त भारत में 6 अनुसंधान केन्द्र स्थापित किये गए हैं जिन्हें ‘दृश्य-श्रव्य माध्यम अनुसंधान केन्द्र’ (Audio Visual Media Research Centers of M.C.R.C.) कहते हैं।
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