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विद्यालय प्रयोजन के लिए स्थानीय संसाधनों के प्रयोग | Use of Local Resources

विद्यालय प्रयोजन के लिए स्थानीय संसाधनों के प्रयोग
विद्यालय प्रयोजन के लिए स्थानीय संसाधनों के प्रयोग

 विद्यालय प्रयोजन के लिए स्थानीय संसाधनों के प्रयोग की विवेचना कीजिए।

स्थानीय संसाधनों के प्रयोग- शैक्षिक प्रयोजनों की पूर्ति के लिए स्थानीय साधनों का प्रयोग आवश्यक है, क्योंकि इससे विद्यालय एवं समाज में और अधिक घनिष्ठ सम्बन्ध बढ़ता है और छात्रों के सामुदायिक जीवन के सम्बन्ध में व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त होता हैं शैक्षिक प्रयोजन के लिए निम्नलिखित स्थानीय साधनों का प्रयोग अति महत्त्वपूर्ण तथा उपयोगी सिद्ध होगा-

(1) सार्वजनिक सेवा-संस्थाएँ- छात्रों को समाज-सेवा में सतत् क्रियाशील रहने के लिए पोस्ट ऑफिस, टेलीग्राफ, अस्पताल, बैंक, जल एवं विद्युत विभाग आदि संस्थाओं की क्रिया-प्रणाली का प्रत्यक्ष ज्ञान कराया जाए ताकि उनके ज्ञान को व्यावहारिक बनाया जा सके।

(2) प्रशासकीय संस्थाएँ- इसके अन्तर्गत स्थानीय प्रशासन सम्बन्धी कार्य करने वाली संस्थाओं एवं विभागों का समावेश होता है, जैसे- ग्राम पंचायत, टाउन एरिया, महापालिका, नगरपालिका, आन्तरिक जिला-परिषद् आदि। छात्रों को इन समस्याओं एवं विभागों की कार्य- प्रणाली का वास्तविक ज्ञान प्रदान करने के लिए वहाँ ले जाया जाये। वहाँ पहुँचकर छात्र अपने प्रत्यक्ष निरीक्षण एवं अवलोकन द्वारा इनके विषय में वास्तविक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार से प्राप्त किया जाने वाला ज्ञान स्थायी एवं उपयोगी होता है।

(3) संग्रहालय-समय-समय पर छात्रों को स्थानीय अथवा अन्य क्षेत्रों में स्थापित संग्रहालयों का निरीक्षण कराया जाये जिनमें समाज के भूत एवं वर्तमान का प्रत्यक्ष दिग्दर्शन होता है। इनके निरीक्षण से छात्रों को समाज के परिवर्तित हुए स्वरूप का ज्ञान भी प्राप्त होता है। छात्रों को संग्रहालयों में ले जाकर विभिन्न प्रकार की कलाओं के भिन्न-भिन्न नमूनों और उनकी विशिष्टताओं का ज्ञान कराया जाये और इसके साथ-साथ तुलनात्मक अध्ययन करके उन्हें विस्तृत ज्ञान कराया जाए। संग्रहालयों की कलाओं के नमूनों के निरीक्षण करने से छात्रों में अपने राष्ट्र की श्रेष्ठतम कला-कृतियों एवं अन्य वस्तुओं के गौरव की भावना उत्पन्न की जा सकती है।

(4) विभिन्न प्रकार के औद्योगिक केन्द्र- छात्रों को समुदाय के स्थानीय उद्योग एवं कला-कौशल केन्द्रों का निरीक्षण करने का अवसर प्रदान किया जाये। इन स्थानों को दिखाने के लिए विभिन्न प्रकार की यात्राओं का आयोजन किया जाये।

(5) ऐतिहासिक स्थान– यदि उस क्षेत्र में जिसमें विद्यालय स्थित है, कोई ऐतिहासिक इमारत या अन्य कोई स्थान हो तो विद्यार्थियों को वहाँ ले जाकर इन स्थानों के सम्बन्ध में आवश्यक जानकारी प्रदान की जाये। इस प्रकार दिया गया ज्ञान छात्रों के मस्तिष्क में स्थायी रहेगा और वे अन्य बातों के सीखने में रूचि लेंगे तथा सूक्ष्म बातों को समझन में समर्थ होंगे। स्थानीय ऐतिहासिक स्थानों के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों के ऐतिहासिक स्थानों को दिखाने के लिए ‘शैक्षिक यात्राओं’ (Excursions) को आयोजित किया जाये।

(6) स्थानीय भौगोलिक वातावरण और प्राकृतिक साधन–स्थानीय भौगोलिक वातावरण और प्राकृतिक साधन में कोई भी समाज प्रभावित हो सकता है। अतः छात्रों के शैक्षिक यात्राओं द्वारा विभिन्न स्थानीय, झीलों, पर्वतों एवं धरातलों के विषय में जानकारी करना आवश्यक है, जिससे छात्र यह जान सकें कि प्राकृतिक साधनों का उपयोग भी अत्यधिक किय जाये जिनसे समाज लाभ प्रदान करता हो।

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