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समय-सारिणी चक्र की उपयोगिता | usefulness of timetable cycle in Hindi

समय-सारिणी चक्र की उपयोगिता
समय-सारिणी चक्र की उपयोगिता

समय-सारिणी चक्र की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।

विद्यालय में समय- तालिका का स्थान महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह वह दर्पण है जिसमें विद्यालय का समस्त शैक्षिक और अशैक्षिक कार्यक्रम प्रतिबिम्बित होता है। यह शिक्षकों के कार्य को व्यवस्थित करती है तथा उन्हें अपने सन्तुलन को बनाये रखने में भी सहायता प्रदान करती है। इसके साथ ही समय-तालिका विद्यालय के कार्यक्रम को सुव्यवस्था प्रदान करके समय का सदुपयोग करती है। इसके द्वारा विभिन्न विषयों, क्रियाओं आदि पर उनके महत्त्व के अनुसार निर्धारित समय का विभाजन करके विद्यालय के निर्धारित समय को अधिकाधिक उपयोगी बनाया जाता है। यदि विद्यालय में समय तालिका का अभाव है या उसका निर्माण उपयुक्त ढंग से नहीं किया गया तो समय एवं शक्ति का दुरुपयोग होना स्वाभाविक है। इस प्रकार समय तालिका का महत्त्व निम्न प्रकार से दे सकते हैं-

1. छात्रों में अध्ययन के प्रति उत्साह बढ़ता है- समय-तालिका का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि बालकों में थकावट न आये सरल विषयों के पश्चात् कठिन विषय पढ़ाये जाते हैं तथा बीच में विश्राम भी दिया जाता है।

2. कार्य कुशलता में वृद्धि- समय-विभाग चक्र छात्रों को कार्य-कुशलता में वृद्धि करता है। वे नियमित रूप से थोड़ा-थोड़ा कार्य करने का अभ्यास डालते हैं, इस प्रकार उन्हें नित्य अपना कार्य करने में सरलता हो जाती है तथा कार्य करने की आदत पड़ जाती है। अध्यापक भी अपने कार्य को सरलता के साथ करते है।

3. प्रत्येक विषय को महत्त्व मिलता है- विद्यालय में अनेक विषय पढ़ाये जाते हैं। प्रत्येक विषय का अपना महत्त्व होता है। इस प्रकार प्रत्येक विषय को उचित समय देकर महत्त्व प्रदान करना आवश्यक है।

4. मनोवैज्ञानिक दृष्टि- इसका मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्त्व है क्योंकि इसका निर्माण बालकों की रुचियों एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया जाता है। एक उत्तम समय तालिका का सीखने की प्रक्रिया को सरल बनाने में बहुत महत्त्वपूर्ण हाथ है जिसमें बालकों की रुचि, खाने-पीने उसके विभिन्न पक्षों के विकास के लिए विभिन्न क्रियाओं के नियोजन आदि के लिए उचित समय प्रदान किया जाता है।

5. समय का अधिक से अधिक उपयोग होता है- किसी कार्य को नियोजित रूप से करने से समय का सदुपयोग होता है। इसके द्वारा विद्यालय के समस्त कार्य को उचित प्रकार से विभाजित कर दिया जाता है। इस विभाजन के कारण ही समय का ठीक-ठीक और अमिट उपयोग हो सकता है। किस अध्यापक को किस घण्टे में कितना पढ़ाना है-आदि का निश्चय पहले से ही रहता है। इस व्यवस्था के फलस्वरूप ही विद्यालयों का कार्यक्रम बिना किसी बाधा के चलता रहता है।

6. प्रधानाध्यापक के प्रशासन कार्य में सहायक- समय-तालिका प्रधानाध्यापक को, उसके प्रशासनिक कार्यों में विशेष सहायता देती है। वह समय-तालिका के माध्यम से विद्यालय में होने वाले प्रत्येक क्रिया-कलाप से हर समय परिचित रहता है। समय-तालिका देखकर वह अपने कार्यालय में बैठे-बैठे यह बता सकता है कि अमुक कक्षा में अमुक अध्यापक अध्यापन कार्य कर रहा है।

7. अनुशासन स्थापन में सहायक- यदि समय-तालिका का निर्माण सोच समझकर किया जाए तो विद्यालय में अनुशासन की स्थापना सरलता से की जा सकती है। वास्तव में समय-तालिका का निर्माण इस ढंग से किया जाए कि विद्यालय के समस्त छात्र प्रत्येक समय किसी न किसी कार्य में व्यस्त रहें। दूसरे अर्थ में अपना समय इधर-उधर घूमने-फिरने में न लगाए। जिन विद्यालयों में समय-तालिका का निर्माण बिना सोचे समझे होता है, वहाँ छात्र व्यर्थ ही में इधर-उधर घूमा करते हैं।

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