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स्कूली वातावरण के तत्व | Elements of School Environment in Hindi

स्कूली वातावरण के तत्व | Elements of School Environment in Hindi
स्कूली वातावरण के तत्व | Elements of School Environment in Hindi

स्कूली जीवन पर एक टिप्पणी लिखिए। अथवा स्कूली वातावरण के तत्वों का उल्लेख कीजिए।

विद्यालयी जीवन का सम्बन्ध विद्यालय के वातावरण से है। इसके अन्तर्गत विद्यालयों के वातावरण के वे पहलू आते हैं जो विद्यार्थियों के स्वास्थ्य की रक्षा एवं संवर्धन करते हैं। स्वास्थ्यपूर्ण वातावरण से अभिप्राय बच्चे के उस संपूर्ण परिवेश से है जिसमें वह रहता है। इसके अन्तर्गत घर, आस-पड़ोस एवं विद्यालय भी शामिल हैं। माता-पिता की तरह अध्यापक भी स्वास्थ्यपूर्ण वातावरण का अंग है अतः अध्यापक तथा छात्रों के बीच मधुर संबंध भी इसके अंतर्गत आते हैं। अतः प्रत्येक स्कूल का कर्त्तव्य है कि वह अपने विद्यार्थियों को एक स्वस्थ भौतिक, सामाजिक और भावनात्मक वातावरण प्रदान करे। छात्रों के शरीर, मन व संवेगों के स्वस्थ विकास के लिए विद्यालय में अनुकूल परिस्थितियों का होना जरूरी है। ऐसा होने पर ही विद्यालय के वातावरण को स्वास्थ्यपूर्ण कहा जा सकेगा। विद्यालय के स्वास्थ्यप्रद वातावरण से तात्पर्य विद्यालय के कक्षा के कमरे, भवन, आस-पड़ोस, क्रीड़ास्थल, बैठने का प्रबन्ध, वायु एवं प्रकाश, पेयजल, विद्यालय कार्यक्रम तथा कार्य करने की अनुकूल परिस्थितियों से है।

विद्यालय का स्वास्थ्यपूर्ण वातावरण बच्चों को सामाजिक और भावात्मक समायोजन में सहायता करता है। उनकी सीखने की प्रक्रिया को उत्प्रेरित करता है और उनके स्वास्थ्य की वृद्धि एवं सुरक्षा करता है। हर स्कूल को ऐसी सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए जो अध्ययन और स्वास्थ्य के लिए सहायक हों। अमेरिका की राष्ट्रीय शिक्षा संस्था ने स्वास्थ्यप्रद स्कूली जीवन नामक अपने प्रकाशन में कहा है, “केवल इतना ही पर्याप्त नहीं है कि स्कूलों के भवन आश्रय की न्यूनतम अपेक्षाओं का अनुपालन करते हैं, तापन तथा संवातन की न्यूनतम अपेक्षाओं को पूरा करते हैं और अध्यापन के लिए यथेष्ट स्थान उपलब्ध कराते हैं, उन्हें एक ऐसे परिवेश की व्यवस्था करनी चाहिए जो उत्तम शिक्षण को प्रोत्साहित करें, स्वास्थ्य की रक्षा करे और रूप तथा रंग में सौंदर्य की सराहना को बढ़ावा दें।”

प्रत्येक स्कूल का यह उत्तरदायित्व है कि वह अपने यहाँ स्वास्थ्यप्रद वातावरण की व्यवस्था करे। स्वास्थ्यप्रद विद्यालय वातावरण दो प्रकार का होता है।

1. भौतिक सामाजिक वातावरण
2. संवेगात्मक या भावात्मक वातावरण

अनुक्रम (Contents)

स्कूली वातावरण के तत्व

स्कूली वातावरण के तत्व निम्नलिखित हैं-

1. विद्यालय की जगह-विद्यालय के लिए ऐसी जगह का चुनाव करना चाहिए जहाँ पर शान्तिमय तथा सुहावना वातावरण हो। इसके चारों ओर प्राकृतिक दृश्य होने चाहिए तथा भीड़-भाड़ वाली जगह से दूर होना चाहिए। इसके अतिरिक्त स्कूल की शहर से दूरी अधिक न हो वह मुख्य सड़क के पास भी नहीं होनी चाहिए जहाँ अधिक यातायात चलता हो। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, दाह-संस्कार स्थान व तालाब आदि के पास भी स्कूल न होनी चाहिए।

2. विद्यालय का भवन-विद्यालय का भवन साफ एवं स्वच्छ होना चाहिए। कमरों में पर्याप्त जगह सूर्य का प्रकाश भी कमरों में पहुँचना चाहिए। सभी कमरे हवादार होने चाहिए तथा कमरों के आगे बरामदे की व्यवस्था भी होनी चाहिए। भवन चाहिए। भवन में खिड़कियों व रोशनदान की उचित व्यवस्था होना आवश्यक है। कृत्रिम प्रकाश व हवा की व्यवस्था होनी चाहिए।

3. पीने के पानी कैन्टीन, व शौचालयों की सुविधाएं-स्वास्थ्यपूर्ण जीवन के लिए पीने के स्वच्छ पानी, कैन्टीन की व्यवस्था स्कूल में अनिवार्य है। साफ एवं साफ शौचालय का प्रबन्ध भी अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ाता है।

4. कूड़ेदान-विद्यालय के अन्दर उचित स्थानों पर कूड़ेदान भी होने चाहिए ताकि व्यर्थ के कागज व पदार्थ डालने में इनका प्रयोग किया जा सके और स्कूल का प्रांगण साफ, स्वच्छ रहे। छात्रों में ऐसी आदतों का विकास किया जाए ताकि वे अधिक से अधिक इन कूड़ेदान का प्रयोग करें।

5. फर्नीचर-विद्यार्थियों का स्वास्थ्य और उनका आसन काफी सीमा तक फर्नीचर पर निर्भर करता है। अतः फर्नीचर छात्रों की आयु के अनुसार आरामदायक व उचित अवस्था में होना चाहिए जिससे छात्रों में आसन सम्बन्धी विकृतियाँ न आएं। बैंच की पीड सीधी व 90° कोण पर होनी चाहिए।

6. उचित समय-सारणी-विद्यालय की उचित समय-सारणी होनी चाहिए। स्कूल में ठहराव के समय शिक्षण के बीच दो अवकाश होने चाहिए। छात्रों की उचित वृद्धि व विकास के लिए खेलकूद एवं मनोरंजन की गतिविधियों के घंटे अवश्य होने चाहिए।

7. स्वच्छ वातावरण बनाए रखना-सारे विद्यालय की सफाई एवं स्वच्छता पर विशेष बल दिया जाना चाहिए क्योंकि विद्यालय का स्वच्छ व लुभावना वातावरण बच्चों के माता-पिता व अन्य आने वालों को आकर्षित करता है बल्कि बच्चे भी अपने आपको ऐसे वातावरण में चुस्त व फुर्तीले महसूस करते हैं।

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