अर्द्ध-सरकारी पत्र का आशय स्पष्ट कीजिए।
अर्द्ध-सरकारी पत्र- अर्द्धसरकारी पत्र का प्रयोग विभिन्न सरकारी अधिकारियों के बीच होता है। यह किसी भी अधिकारी के पास उसके व्यक्तिगत नाम से भेजा जाता है। गैर-सरकारी व्यक्तियों (non officials) के पास भेजे जाने पर उसे सरकारी पत्र नहीं कहा जायेगा। इस प्रकार के पत्र का मूल उद्देश्य अधिकारियों की व्यक्तिगत सम्मति जानना या किसी विषय की जानकारी या सूचना पाना या किसी विचार-विमर्श का आदान-प्रदान होता है। इसमें किसी अधिकारी का व्यक्तिगत ध्यान किसी खास मामने की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसकी कार्यान्विति में विलम्ब हो गया हो या अनुस्मारक (reminder) भेजने पर भी उचित उत्तर समय पर नहीं मिला हो।
अर्द्धसरकारी पत्र एकवचन-उत्तमपुरुष में मित्रतापूर्ण भाषा में लिखा जाता हैं। सम्बोधन के लिए ‘प्रिय’ लिखा जाता है। पत्र के अन्त में स्वनिर्देश के लिए ‘आपका विश्वासभाजन’ (Your faithfully) के स्थान पर ‘आपका सद्भावी’ (Your sincerely) लिखा जाता है।
इसमें प्रेषक अधिकारी केवल अपना हस्ताक्षर करता है, पद का उल्लेख नहीं करता।
अर्द्धसरकारी पत्र: एक उदाहरण-
अ० स० संख्या फ० 126/06/2019
भारत सरकार
गृह मन्त्रालय, नई दिल्ली
दिनांक 12 अप्रैल 2019 ई०
प्रिय नरेन्द्रजी,
अपके पत्र, संख्या फ० 5/8/20 दिनांक 6 अप्रैल, 2019 ई. के उत्तर में मैं आपके सम्मुख दो सुझाव प्रस्तुत करता हूँ
1. अब हिन्दी कक्षाओं का प्रारम्भ हुए छह महीने हो चुके हैं और इन कक्षाओं के लिए नियत पाठ्यक्रम लगभग समाप्त हो चुका है। अतः अगले महीने के आरम्भ में परीक्षाएँ लेने का प्रबन्ध किया जाय।
2. हिन्दी पढ़ने वाले विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण होने वाले कर्मचारियों को नकद पुरस्कार देने की व्यवस्था की जाय। इस वाक्य पर विचार करने के लिए मई, 1110 ई. को सम्पर्क अफसरों की एक सभा मेरे कमरे (क्रमांक 78, साउथ ब्लॉक) में ठीक चार बजे सायंकाल होगी। आपसे अनुरोध है कि आप उसमें उपस्थित होकर अपने विचार प्रस्तुत करें।
आपका सद्भावी,
रामनरेश
श्री अशोक कुमार
उपसचिव, शिक्षा मन्त्रालय,
नई दिल्ली।
Important Links
- आधुनिककालीन हिन्दी साहित्य की प्रवृत्तियाँ | हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल का परिचय
- रीतिकाल की समान्य प्रवृत्तियाँ | हिन्दी के रीतिबद्ध कवियों की काव्य प्रवृत्तियाँ
- कृष्ण काव्य धारा की विशेषतायें | कृष्ण काव्य धारा की सामान्य प्रवृत्तियाँ
- सगुण भक्ति काव्य धारा की विशेषताएं | सगुण भक्ति काव्य धारा की प्रमुख प्रवृत्तियाँ
- सन्त काव्य की प्रमुख सामान्य प्रवृत्तियां/विशेषताएं
- आदिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ/आदिकाल की विशेषताएं
- राम काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ | रामकाव्य की प्रमुख विशेषताएँ
- सूफ़ी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ
- संतकाव्य धारा की विशेषताएँ | संत काव्य धारा की प्रमुख प्रवृत्तियां
- भक्तिकाल की प्रमुख विशेषताएँ | स्वर्ण युग की विशेषताएँ
- आदिकाल की रचनाएँ एवं रचनाकार | आदिकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ
- आदिकालीन साहित्य प्रवृत्तियाँ और उपलब्धियाँ
- हिंदी भाषा के विविध रूप – राष्ट्रभाषा और लोकभाषा में अन्तर
- हिन्दी के भाषा के विकास में अपभ्रंश के योगदान का वर्णन कीजिये।
- हिन्दी की मूल आकर भाषा का अर्थ
- Hindi Bhasha Aur Uska Vikas | हिन्दी भाषा के विकास पर संक्षिप्त लेख लिखिये।
- हिंदी भाषा एवं हिन्दी शब्द की उत्पत्ति, प्रयोग, उद्भव, उत्पत्ति, विकास, अर्थ,
- डॉ. जयभगवान गोयल का जीवन परिचय, रचनाएँ, साहित्यिक परिचय, तथा भाषा-शैली
- मलयज का जीवन परिचय, रचनाएँ, साहित्यिक परिचय, तथा भाषा-शैली
Disclaimer