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आर्थिक विकास का अर्थ, परिभाषाएँ, प्रकृति और विशेषताएँ

आर्थिक विकास का अर्थ
आर्थिक विकास का अर्थ

आर्थिक विकास का अर्थ (Meaning of Economic Development)

आर्थिक विकास का अर्थ-Economic Development in Hindi

प्रो. डब्ल्यू. ए. लुईस के अनुसार, “विकास मानवीय प्रयत्नों का परिणाम है। इस कथन है स्पष्ट होता है कि अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में उत्पादकता के स्तर को बढ़ाना तथा विभिन्न आर्थिक उपलब्धियों तक पहुँचना ही आर्थिक विकास है। आर्थिक विकास के अन्तर्गत राष्ट्रीय आय तथा रोजगार के अवसरों को बढ़ाना शामिल है जिससे कि गरीबी का उन्मूलन हो तथा जीवन स्तर को ऊपर उठाया जा सके।

आर्थिक विकास तक सतत् तथा संचयी प्रक्रिया है। इसमें राष्ट्रीय आय में लगातार सुधार होता है। प्रति व्यक्ति आय एवं उत्पादन में निरन्तर वृद्धि आर्थिक विकास का प्रतीक है।

आर्थिक विकास केन्द्रीय समस्या है तथा यह आर्थिक चिन्तन का केन्द्र बिन्दु माना जाता है।

आर्थिक विकास की परिभाषाएँ (Definitions of Economic Development)

(a) राष्ट्रीय आय में वृद्धि के आधार पर आर्थिक विकास की परिभाषाएं – पाल एल्बर्ट के अनुसार, “आर्थिक विकास का सम्बन्ध उस उद्देश्य से होता है जो एक देश के द्वारा अपनी वास्तविक आय में वृद्धि करने के लिए समस्त उत्पादक साधनों का प्रयोग करता है।”

मायर व बाल्डविन के अनुसार, “आर्थिक विकास एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा दीर्घकाल में किसी अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।

(b) प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के आधार पर आर्थिक विकास की परिभाषाएं – पाल बरान के अनुसार, “आर्थिक विकास का आशय प्रति व्यक्ति भौतिक वस्तुओं के उत्पादन में निरन्तर वृद्धि है।

डब्ल्यू. ए. लेविस के अनुसार, “आर्थिक विकास का अर्थ प्रति व्यक्ति उत्पादन से लगाया जाता है। प्रति व्यक्ति उत्पादन की वृद्धि एक ओर उपलब्ध प्राकृतिक साधनों पर तथा दूसरी ओर मानवीय व्यवहार पर निर्भर करती है।’

प्रो. लीवेन्सटीन के अनुसार, “”किसी अर्थव्यवस्था की प्रति व्यक्ति वस्तुयें और सेवायें पैदा करने की शक्ति में वृद्धि ही आर्थिक विकास है क्योंकि ऐसी वृद्धि रहन-सहन के स्तर में वृद्धि की पूर्व शर्त है।

प्रो. रोस्टोव के अनुसार, “आर्थिक विकास पूँजी एवं कार्यशील शक्ति में वृद्धि एवं जनसंख्या में वृद्धि के मध्य एक ऐसा सम्बन्ध है जिससे प्रति व्यक्ति उत्पादन में वृद्धि होती है।

प्रो. विलयमसन के अनुसार, “आर्थिक विकास से उस प्रक्रिया का ज्ञान होता है जिसके द्वारा किसी देश अथवा प्रदेश के निवासी उपलब्ध साधनों का प्रयोग प्रति व्यक्ति वस्तुओं की उत्पत्ति करने में लगातार वृद्धि हेतु करते हैं।’

(c) सामान्य कल्याण वृद्धि के आधार पर आर्थिक विकास की परिभाषाएं – संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार, “विकास मानव की भौतिक आवश्यकताओं से ही नहीं बल्कि उसके जीवन की सामाजिक दशाओं की उन्नति से भी सम्बन्धित होता है।

डी. वाइट सिंह के अनुसार, “आर्थिक विकास एक बहुमुखी धारणा है जिसमें केवल मौद्रिक आय में ही वृद्धि नहीं होती बल्कि वास्तविक आदतों, शिक्षा, जन-स्वास्थ्य, अधिक आराम और वास्तव में पूर्ण व सुखी जीवन को निर्धारित करने वाली समस्त सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियों में सुधार होता है।

(d) अन्य परिभाषाएँ (Other Definition) ये अग्रवत हैं

प्रो. शुम्पीटर के अनुसार, “विकास स्थिर दशा में होने वाला वह असंगत और स्वाभाविक परिवर्तन है जो वर्तमान साम्य की अवस्था को हमेशा के लिए परिवर्तित कर देता है।

प्रो. कोलिन क्लार्क के शब्दों में, “आर्थिक विकास उस प्रक्रिया को बतलाता है जिसमें बढ़ती हुई पूँजी की आवश्यकता एक निश्चित सीमा तक प्रति व्यक्ति उत्पादन में वृद्धि लाती है, वहाँ से पूँजी की आवश्यकता कम हो जाती है।’

आर्थिक विकास की विशेषताएँ (Features of Economic Development)

आर्थिक विकास की विशेषताओं को निम्नवत वर्णित किया जा सकता है –

1. निरन्तर चलने वाली या सतत् प्रक्रिया (Continuous Process) – आर्थिक विकास एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। प्रक्रिया का आशय परिवर्तन से है। यह परिवर्तन
निम्नलिखित दो प्रकार का हो सकता है-

(a) माँग के प्रारूप में परिवर्तन – इसमें अग्रांकित शामिल हैं –

(i) आबादी में बदलाव, (ii) आय स्तर में परिवर्तन,
(ii) आय-वितरण में परिवर्तन, (iv) संगठनात्मक व संस्थागत परिवर्तन,
(v) उपभोक्ता वर्ग की पसन्द में परिवर्तन ।

(b) साधनों की आपूर्ति में परिवर्तन – इसके अन्तर्गत अग्रांकित आते हैं –

(i) पूँजी संचय में परिवर्तन, (ii) कार्यशील जनसंख्या में वृद्धि होना,
(iii) उपादन की तकनीक का नवीनीकरण, (iv) कार्यक्षमता व कार्यकुशलता में सुधार।

2. वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि होना (Increasement in Real National Income) – आर्थिक विकास से वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती होती है। इसमें वस्तुओं तथौ सेवाओं के विशुद्ध मूल्य में वृद्धि होती है।

सूत्र-
विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन = कुल राष्ट्रीय उत्पादन
घटाया: ह्रास व्यय

3. दीर्घकालीन या निरन्तर वृद्धि (Long-term or Continuous Increase)

पं. जे. एल. नेहरू के शब्दों में, “आर्थिक विकास एक सतत् प्रक्रिया है।’

ओकन एवं रिचर्डसन के शब्दों में, “यह भौतिक समृद्धि में ऐसा निरन्तर दीर्घकालीन सुधार है जो वस्तुओं एवं सेवाओं के बढ़ते हुए प्रवाह में प्रतिबिम्बित होता रहता है।”

प्रो. शुम्पीटर के शब्दों में, “विकास एक निरन्तर आकस्मिक परिवर्तन है जो विस्तार की शक्ति को गति प्रदान करता है।’

4. अन्य विशेषताएँ (Other Characteristics)- ये निम्नवत हैं

(i) परिवर्तनशील प्रक्रिया,
(ii) गणितीय तथा सांख्यिकीय विधियों व तथ्यों का प्रयोग,
(iii) किसी भी राष्ट्र पर क्षेत्रीय इकाई का अध्ययन,
(iv) व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण,
(v) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर से विचार-विमर्श ।

आर्थिक विकास की प्रकृति (Nature of Economic Development)

प्रो. शुम्पीटर के अनुसार, “आर्थिक वृद्धि की प्रगति भी मूल रूप से गत्यात्मक ही है परन्तु इसका झुकाव स्थैतिकता की ओर अधिक होता है। इसका कारण यह है कि आर्थिक वृद्धि के तदन्तर होने वाले विकासमयी परिवर्तन बहुत धीमी गति से होते हैं और इनमें किसी भी प्रकार की नवीनता उत्पन्न नहीं हो पाती है।

प्रो. रोस्टोव के अनुसार, “प्रत्येक अर्थव्यवस्था परम्परागत अवस्था से स्वयं-स्फूर्ति विकास- काल द्वारा नियमित विकास की अवस्था को प्राप्त होती है, तत्पश्चात् परिपक्वता तथा अधिक उपभोग की अवस्था आती है।

प्रो. किण्डलवर्जर के अनुसार-
आर्थिक विकास = आर्थिक वृद्धि + तकनीकी एवं संस्थागत परिवर्तन ।

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