पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता
Awareness About Environment Protection
पर्यावरण को प्रदूषण रहित बनाने के लिये भारत सरकार पूर्ण प्रयास कर रही है। अनेक स्वयंसेवी संस्थाएँ भी इस समस्या को दूर करने में प्रयासरत हैं। पर्यावरण के प्रति इन सबसे अधिक हम सभी का उत्तरदायित्व है। पर्यावरण प्रदूषण के लिये हम और हमारी बढ़ती हुई जनसंख्या उत्तरदायी है फलत: इसे स्वच्छ बनाना भी हमारा कर्तव्य है। यहाँ कुछ ऐसे उपाय सुझाये जा रहे हैं जिन पर आचरण करना हम सभी नागरिको का परम कर्तव्य है। इन उपायों का पालन करन में थोड़ी असुविधा अवश्य हो सकती है लेकिन निश्चय ही इनके द्वारा हम पर्यावरण को आने वाले कल के लिये सुरक्षित एवं संरक्षित बना सकेंगे और आने वाली पीढ़ियों को विरासत में अच्छा पर्यावरण दे सकेंगे। पर्यावरण संरक्षण एवं सम्वर्द्धन के लिये व्यक्तिगत और सामाजिक उत्तरदायित्वों को निम्नलिखित प्रकार से प्रभावी बनाया जा सकता है-
(1) यदि आपके घर से किसी नल से पानी टपकता है तो उसे तुरन्त ठीक करा लेना चाहिये क्योंकि बूँद-बूँद करके इस नल से 60 गैलन पानी प्रतिदिन व्यर्थ में बह जायेगा।
(2) पीने के लिये पानी से भरी बोतलें अपने फ्रीज में रखनी चाहिये। ठण्डे पानी के लिये बार-बार जीवनदायी जल व्यर्थ ही बहता रहता है।
(3) प्रात:काल दन्त मंजन करते समय नल को निरन्तर खुला नहीं रखना चाहिये।
(4) जहाँ हो सके नहाते समय फुब्बारे का प्रयोग करना चाहिये। नल खोलकर नहाने से औसतन 36 गैलन पानी व्यर्थ होता है जबकि फुब्बारे से केवल 10 गैलन पानी व्यय होता है।
(5) कपड़े धोने की मशीन में उन डिटर्जेण्टों का प्रयोग करना अधिक उपयोगी है जिनमें फॉस्फेट की मात्रा कम होती है। डिटर्जेण्ट का कम मात्रा में (डिब्बे पर लिखी विज्ञप्ति के अनुपात में) प्रयोग करना चाहिये।
(6) शौचालय और मूत्रालय में रंगीन टायलेट पेपर प्रयोग नहीं करने चाहिये क्योंकि इनके रंगों से पानी प्रदूषित हो जाता है।
(7) शौचालय की नालियों में कागज तथा दूसरे चीथड़े नहीं डालने चाहिये, इन वस्तुओं को कूड़े-करकट में ही डालना चाहिये।
(8) यदि आप कुएँ का पानी पी रहे हैं तो उसका दो बार परीक्षण करवाना अति आवश्यक है।
(9) दवाइयाँ, रासायनिक पदार्थ, घरेलू कचरा, कीटाणुनाशक औषधियाँ आदि सिन्क और सण्डासों में नहीं डालने चाहिये। इससे सीवेज प्लान्टों पर अधिक दबाव पड़ता है। ऐसी वस्तुओं को कूड़े के ढेर में ही डालना चाहिये।
(10) शैम्पू, लोशन, तेल और दूसरी वस्तुओं को काँच की बोतलों की पैकिंग में ही खरीदना चाहिये क्योंकि काँच से बनी बोतलों को पुनः प्रयोग किया जा सकता है।
(11) घरेलू वस्तुओं पर स्प्रे द्वारा पेन्ट नहीं करना चाहिये। उन पर ब्रुश से ही पेन्ट करना चाहिये क्योंकि स्प्रे की वाष्प साँस सम्बन्धी रोगों को जन्म दे सकती है।
(12) घरों में छोटे- छोटे पौधे लगाना और छोटा-सा चिड़ियाघर बनाना अत्यन्त उपयोगी है क्योंकि पौधे ऑक्सीजन पैदा करते हैं और पक्षी कीड़ों के शत्रु हैं।
(13) कागजों और पेड़-पौधों की पत्तियों को जलाना नहीं चाहिये बल्कि उनको ढेर के रूप में एकत्रित कर लेना चाहिये। ये बाद में अच्छी प्रकार की खाद के उपयोग में आते हैं।
(14) कार का पेट्रोल सीसा धातु से मुक्त होना चाहिये ताकि वायु में कम से कम सीसा प्रदूषण हो।
(15) जिन स्थानों पर बर्फ पड़ती है वहाँ बर्फ को हटाने के लिये नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिये। नमक के अधिक प्रयोग से जल प्रदूषित हो जाता है।
(16) यदि आप कई मंजिल के मकान में रह रहे हैं तो छत पर या खिड़कियों पर पौधे लगाना अत्यन्त उपयोगी है। ये केवल मकान की सुन्दरता ही नहीं बढ़ाते बल्कि वायु में ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ाते हैं।
(17) छोटी दूरियों के लिये कारों के स्थान पर साइकिल का प्रयोग करना चाहिये। अन्तर्दहन इन्जनों वाले वाहन का जितना कम से कम प्रयोग हो उतना ही उत्तम है।
(18) एक ही क्षेत्र में रहने वाले तथा एक ही कार्यालय में काम करने वाले व्यक्तियों का कर्तव्य है कि वे कारों और स्कूटर का प्रयोग संयुक्त रूप से करें। ऐसा करने से धन की बचत तो है ही साथ-साथ वायु प्रदूषण भी कम होता है।
(19) भीड़ वाले व्यस्त समय में मोटरों का प्रयोग कम से कम करना चाहिये और चौराहों पर यातायात नियमों का ध्यान रखना चाहिये।
(20) लाल बत्ती पर गाड़ियों को बन्द कर देना चाहिये। ऐसा करने से आप उस क्षेत्र में वायु प्रदूषण की मात्रा कम करते हैं।
(21) चीनी मिट्टी से बने प्लेट-प्यालियों का प्रयोग अधिक से अधिक करना चाहिये। कागज से बनी प्लेट-प्यालियाँ कम से कम प्रयोग करनी चाहिये क्योंकि ये भूमि प्रदूषण पैदा करती हैं। कागज के नैपकिनों की जगह तौलिया प्रयोग करना चाहिये।
(22) विद्यालय की कॉपियों पर या दूसरे कामों को कागज के दोनों ओर लिखना चाहिये।
(23) प्लास्टिक की थैलियों का कम से कम प्रयोग करना चाहिये। यदि प्रयोग करना ही है तो उन्हें बार-बार प्रयोग करें।
(24) प्लास्टिक थैलियों को इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिये क्योंकि ये भूमि प्रदूषण फैलाती हैं। इन्हें इकट्ठा कर गली में फेरी लगाने वालों को बेच देना चाहिये। अधिक उपयोगी तो यह होगा कि जब भी बाजार जायें अपना घरेलू थैला ले जायें और इसी में आवश्यक वस्तुएँ खरीद कर लायें।
(25) फ्रिज के अन्दर प्लास्टिक थैलियों या मोमी कागज का कम से कम प्रयोग करना चाहिये।
(26) अपने घर के कूड़े-करकट को सड़कों पर इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिये बल्कि एक कूड़ेदान में डालना चाहिये। इस प्रकार आप पर्यावरण को स्वच्छ रखने में योगदान दे रहे हैं।
(27) अपने पालतू पशुओं को खुली जगह पर नहीं छोड़ना चाहिये। ये गन्दी वस्तुएँ खाते रहते हैं। सड़कों पर ये गोबर करते हैं जिससे दुर्गन्ध आती है फलस्वरूप अनेक रोगों को जन्म मिलता है। सड़कों पर घूमती गायें वाहन दुर्घटना के लिये भी उत्तरदायी हैं। नगरों एवं महानगरों में गाय खुली सड़कों पर अधिक घूमती रहती हैं।
(28) छिपकली आदि जन्तु तथा अन्य विषैले जन्तुओं को नहीं मारना चाहिये क्योंकि ये दूसरे कीड़े-मकोड़ों को खाकर प्रकृति में सन्तुलन बनाये रखते हैं।
(29) डी.डी.टी. का प्रयोग अत्यन्त घातक है। कीड़े-मकोड़े मारने के लिये इसका प्रयोग कुछ देशों ने बन्द कर दिया है। इसके स्थान पर दूसरे कीटनाशक प्रयोग करने चाहिये।
(30) अपने पालतू कुत्तों को सड़क पर नहीं छोड़ना चाहिये क्योंकि उनके काटने से किसी की जान जा सकती है। घरेलू बिल्लियों के गले में घण्टी बाँध दी जाये ताकि उसके आने पर पक्षियों को पता लग जाये और वे उड़कर अपनी जान बचा सकें।
(31) जंगली जानवरों के फर और चमड़े से बनी वस्तुओं को कम ही प्रयोग में लाना चाहिये क्योंकि माँग की अधिकता के कारण कुछ लोग जंगली जानकारों का शिकार करते हैं फलस्वरूप उनके विलुप्त होने की समस्या उत्पन्न हो गयी है।
(32) अपने टी.वी., स्टीरियो और रेडियो को कम आवाज में बजाना चाहिये। ऐसा करने से हम शोर प्रदूषण रोकने में सहायक हो सकते हैं।
(33) विद्युत का प्रयोग कम करना चाहिये। विशेष रूप से उस समय जब विद्युत का प्रयोग कारखानों (फैक्ट्रियों) में अधिकतम किया जा रहा हो। घर छोड़ते समय बिजली के स्विच बन्द होने चाहिये। राजकीय/अराजकीय (निजी) कार्यालयों में आपका कर्तव्य है कि कमरे से बाहर जाते समय ट्यूब लाइट और पंखे बन्द कर देने चाहिये। प्रात: 9 बजे से 6 बजे तक के अन्तराल विद्युत का कम प्रयोग करना चाहिये।
(32) मोटर गाड़ियों, बसों, कारों और स्कूटर के हॉर्न केवल आवश्यकता पड़ने पर ही बजाने चाहिये। इनको अनावश्यक रूप से बजाने से आप पर्यावरण में शोर प्रदूषण पैदा करते हैं। सभी मोटर वाहनों के सायलेन्सर ठीक स्थिति में होने चाहिये ताकि उनसे शोर पैदा न हो।
Important Links
- जलवायु परिवर्तन या हरित गृह प्रभाव | Climate Changing or Green House Effect
- भूमण्डलीय ताप वृद्धि ( ग्लोबल वार्मिंग ) का अर्थ, कारण, हानियाँ, तथा इसके बचाव
- लिंग संवेदनशीलता की विशेषताएँ | Characteristics of Gender Sensitization
- लिंग संवेदनशीलता की अवधारणा | Concept of Gender Sensitization
- लैगिंक असमानता क्या है ? | Sexual Difference – In Hindi
- भूमण्डलीकरण या वैश्वीकरण का अर्थ तथा परिभाषा | Meaning & Definition of Globlisation
- वैश्वीकरण के लाभ | Merits of Globlisation
- भूमण्डलीकरण या वैश्वीकरण का अर्थ तथा परिभाषा | Meaning & Definition of Globlisation
- वैश्वीकरण के लाभ | Merits of Globlisation
- वैश्वीकरण की आवश्यकता क्यों हुई?
- जनसंचार माध्यमों की बढ़ती भूमिका एवं समाज पर प्रभाव | Role of Communication Means
- सामाजिक अभिरुचि को परिवर्तित करने के उपाय | Measures to Changing of Social Concern
- जनसंचार के माध्यम | Media of Mass Communication
- पारस्परिक सौहार्द्र एवं समरसता की आवश्यकता एवं महत्त्व |Communal Rapport and Equanimity
- पारस्परिक सौहार्द्र एवं समरसता में बाधाएँ | Obstacles in Communal Rapport and Equanimity
- प्रधानाचार्य के आवश्यक प्रबन्ध कौशल | Essential Management Skills of Headmaster
- विद्यालय पुस्तकालय के प्रकार एवं आवश्यकता | Types & importance of school library- in Hindi
- पुस्तकालय की अवधारणा, महत्व एवं कार्य | Concept, Importance & functions of library- in Hindi
- छात्रालयाध्यक्ष के कर्तव्य (Duties of Hostel warden)- in Hindi
- विद्यालय छात्रालयाध्यक्ष (School warden) – अर्थ एवं उसके गुण in Hindi
- विद्यालय छात्रावास का अर्थ एवं छात्रावास भवन का विकास- in Hindi
- विद्यालय के मूलभूत उपकरण, प्रकार एवं रखरखाव |basic school equipment, types & maintenance
- विद्यालय भवन का अर्थ तथा इसकी विशेषताएँ |Meaning & characteristics of School-Building
- समय-सारणी का अर्थ, लाभ, सावधानियाँ, कठिनाइयाँ, प्रकार तथा उद्देश्य -in Hindi
- समय – सारणी का महत्व एवं सिद्धांत | Importance & principles of time table in Hindi
- विद्यालय वातावरण का अर्थ:-
- विद्यालय के विकास में एक अच्छे प्रबन्धतन्त्र की भूमिका बताइए- in Hindi
- शैक्षिक संगठन के प्रमुख सिद्धान्त | शैक्षिक प्रबन्धन एवं शैक्षिक संगठन में अन्तर- in Hindi
- वातावरण का स्कूल प्रदर्शन पर प्रभाव | Effects of Environment on school performance – in Hindi
- विद्यालय वातावरण को प्रभावित करने वाले कारक | Factors Affecting School Environment – in Hindi
- प्रबन्धतन्त्र का अर्थ, कार्य तथा इसके उत्तरदायित्व | Meaning, work & responsibility of management