क्या उद्देशिका (प्रस्तावना) संविधान का अंग है? सामान्यत: प्रत्येक संविधान के प्रारम्भ में एक उद्देशिका होती है जिसके द्वारा संविधान के मौलिक उद्देश्यों एवं लक्ष्यों को स्पष्ट किया जाता है। उद्देशिका का मुख्य प्रयोजन संविधान निर्माताओं के विचारों एवं उद्देश्यों को स्पष्ट करना होता है। जिससे संविधान की क्रियान्विती एवं उसके अनुपालन में संविधान की मूल भावना का ध्यान रखा जा सके। भारतीय संविधान की उद्देशिका निम्न है-
हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतन्त्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को-सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ने के लिए दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर, 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
उद्देशिका का संविधान के निर्वचन में महत्व –
इन री बेरूबारी यूनियन (1960 S.C.) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह मत व्यक्त किया कि उद्देशिका संविधान का अंग नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया है कि उद्देशिका को संविधान का प्रेरणातत्व भले ही कहा जाय, किन्तु उसे ‘संविधान का आवश्यक भाग नहीं कहा जा सकता है।’ इसके न रहने से संविधान के मूल उद्देश्यों में कोई अन्तर नहीं पड़ता है। यह न तो सरकार को शक्ति प्रदान करने का स्रोत है और न ही उस शक्ति को किसी भी भाँति निर्बन्धित, नियंत्रित या संकुचित करती है। उद्देशिका का महत्व केवल तक होता है जब संविधान की भाषा अस्पष्ट या संदिग्ध हो। ऐसी अवस्था में संविधान के अर्थ को स्पश्ट करने के लिए उद्देशिका का सहारा लिया जा सकता जहाँ संविधान की भाषा असंदिग्ध है, उद्देशिका की सहायता लेना आवश्यक नहीं है।
परन्तु केशवानन्द भारती बनाम केरल राज्य (1973 S.C.) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने बेरूबारी के मामले में दिये निर्णय को उलट दिया और यह अभिनिर्धारित किया कि उद्देशिका संविधान का एक भाग है। किसी साधारण अधिनियम में उद्देशिका को उतना महत्व नहीं दिया जाता है जितना संविधान में। संविधान के उपबन्धों के निर्वचन में उद्देशिका का बहुत बड़ा महत्व है। मुख्य न्यायमूर्ति श्री सीकरी ने कहा है कि इस मत के पक्ष में कोई अधिकारिक प्रमाण नहीं प्रस्तुत किया गया है कि जो शक्तियों के विषय में सही है वही निषेधों और परिसीमाओं के विषय में भी सही है। अनेक मामलों में उद्देशिका के आधार पर परिसीमाएँ उत्पन्न होती हैं। मुख्य न्यायमूर्ति ने कहा कि हमारे संविधान की उद्देशिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है और संविधान को उनमें निहित उदात्त आदर्शों के अनुरूप निर्वचन किया जाना चाहिए।
Important Links
- प्रधानाचार्य के आवश्यक प्रबन्ध कौशल | Essential Management Skills of Headmaster
- विद्यालय पुस्तकालय के प्रकार एवं आवश्यकता | Types & importance of school library- in Hindi
- पुस्तकालय की अवधारणा, महत्व एवं कार्य | Concept, Importance & functions of library- in Hindi
- छात्रालयाध्यक्ष के कर्तव्य (Duties of Hostel warden)- in Hindi
- विद्यालय छात्रालयाध्यक्ष (School warden) – अर्थ एवं उसके गुण in Hindi
- विद्यालय छात्रावास का अर्थ एवं छात्रावास भवन का विकास- in Hindi
- विद्यालय के मूलभूत उपकरण, प्रकार एवं रखरखाव |basic school equipment, types & maintenance
- विद्यालय भवन का अर्थ तथा इसकी विशेषताएँ |Meaning & characteristics of School-Building
- समय-सारणी का अर्थ, लाभ, सावधानियाँ, कठिनाइयाँ, प्रकार तथा उद्देश्य -in Hindi
- समय – सारणी का महत्व एवं सिद्धांत | Importance & principles of time table in Hindi
- विद्यालय वातावरण का अर्थ:-
- विद्यालय के विकास में एक अच्छे प्रबन्धतन्त्र की भूमिका बताइए- in Hindi
- शैक्षिक संगठन के प्रमुख सिद्धान्त | शैक्षिक प्रबन्धन एवं शैक्षिक संगठन में अन्तर- in Hindi
- वातावरण का स्कूल प्रदर्शन पर प्रभाव | Effects of Environment on school performance – in Hindi
- विद्यालय वातावरण को प्रभावित करने वाले कारक | Factors Affecting School Environment – in Hindi
- प्रबन्धतन्त्र का अर्थ, कार्य तथा इसके उत्तरदायित्व | Meaning, work & responsibility of management
- मापन के स्तर अथवा मापनियाँ | Levels or Scales of Measurement – in Hindi
- निकष संदर्भित एवं मानक संदर्भित मापन की तुलना- in Hindi
- शैक्षिक मापन की विशेषताएँ तथा इसके आवश्यक तत्व |Essential Elements of Measurement – in Hindi
- मापन क्या है?| शिक्षा के क्षेत्र में मापन एवं मूल्यांकन की आवश्यकता- in Hindi
- प्राकृतिक और मानव निर्मित वस्तुएँ | Natural & Human made things – in Hindi
- विद्यालय प्रबन्धन का अर्थ तथा इसके महत्व |Meaning & Importance of School Management in Hindi