ऋषि वसिष्ठ की पत्नी अरुंधती का जीवन परिचय- पुरातन ग्रंथों में इसे कहीं कर्दभ प्रजापति की और कहीं पर कश्यप ऋषि की पुत्री प्रदर्शित किया गया है। नारद व पर्वत इसके दो भ्राता थे। इसका विवाह वशिष्ठ ऋषि से संपन्न हुआ। कुछ स्थानों पर इसे दक्ष प्रजापति की पुत्री बताया गया है जिसका विवाह धर्म के साथ हुआ, जिससे पृथ्वी और संसार की सभी वस्तुओं का उद्भव हुआ।
एक बार जब वशिष्ठ सहित सप्तऋषि कंदमूल हेतु हिमालय पर्वत पर गए और वर्षा न होने की वजह से 12 वर्ष तक वहीं रुके रहे तो अरुंधती इस दौरान ब्राह्मण का वेश धारण किए हुए शंकर से कथाएं सुनती रही। इसे खाने-पीने का भी होश न रहा। ऋषियों के लौटने पर शंकर प्रकट हुए और इन्होंने अरुंधती की तपस्या का विवरण बनाया। मान्यता यह रही है कि अब अरुंधती आकाश में तारा बन गई है। विवाह के समय नव पत्नी को इसके दर्शन कराए जाते हैं, ताकि वह पतिव्रता नारी के गुणों को आत्मसात् कर सके।
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