पन्ना धाय का जीवन परिचय (Biography of Panna Dai in Hindi)- ‘महानता का वरण करने का मूलमंत्र यही है कि साधारण कार्य को भी अपनी सर्वोच्च निष्ठा एवं पूर्ण समर्पण से करना चाहिए।’ इस बीज वाक्य को यदि पन्ना धाय के व्यक्तिगत और कृतित्व के परिप्रेक्ष्य में चिन्हित किया जाए तो स्पष्ट देखा जा सकता है कि इस साधारण नारी में असाधारण संकल्पशक्ति थी और उसी संकल्पशक्ति ने इसे वीरता, त्याग और कर्तव्यनिष्ठता के सर्वोच्च आसन पर सुशोभित कर दिया। बड़े अवसरों की राह तकने के बजाय छोटे अवसरों को ही भव्यता प्रदान कर दी जाए तो व्यक्ति महानता का दर्जा प्राप्त कर लेता है।
पन्ना धाय की कहानी इतिहास बायोग्राफी
पूरा नाम | पन्ना धाय |
अवधि | 16 वीं सदी |
पहचान | बलिदानी धाय माता |
पिता का नाम | हरचंद हाँकला |
परवरिश | राणा उदयसिंह |
स्मारक | पन्ना धाय म्यूजियम |
पुत्र | चन्दन |
प्रसिद्धि | स्वामिभक्ति |
पन्ना धाय एक ऐसी ही वीर व कर्तव्यनिष्ठ महिला का नाम है। यद्यपि जिसके जन्म एवं मृत्यु के बारे में कोई सटीक तथ्य तो प्राप्त नहीं है, लेकिन राजस्थान में इसके विलक्षण त्याग को बेहद सम्मान से याद जरूर किया जाता है। संग्राम सिंह सांगा का ज्येष्ठ पुत्र विक्रम जीत सिंह गद्दी पर बैठा तो इसके निरंकुश शासन एवं अत्याचारों से प्रजा बुरी रह से त्रस्त हो उठी। इस कारण बाद में उसे गद्दी छोड़नी पड़ी। इनका छोटा भाई उदय सिंह तब शिशु अवस्था में था और महारानी का निधन हो जाने से पन्ना नाम की धाय उसकी देखरेख किया करती थी। उदय सिंह के वयस्क होने पर तक शासन का कार्य दरबार का एक पुराना शासक बनबीर देखने लगा।
पन्ना धाय का बेटा बप्पा उदय सिंह की ही उम्र का था और दोनों साथ ही खेला भी करते थे। शासन करते हुए बनबीर की कुटिल बुद्धि में आया कि यदि राज्य के दोनों वास्तविक उत्तराधिकारियों विक्रमजीत सिंह और उदय सिंह को खत्म कर दिया जाए तो वह सदा के लिए राज्य का शासक बन जाएगा। इसी योजना को पूर्ण करने के उद्देश्य से एक दिन इसने विक्रमजीत सिंह का वध कर दिया और रक्तरंजित तलवार लेकर उदय सिंह का कत्ल करने के लिए बढ़ा। पन्ना धाय उदय सिंह के कक्ष में अपने पुत्र के साथ ही सो रही थी। एक निष्ठावान कर्मचारी से बलवीर के खूनी खेल की जानकारी होते ही पन्ना ने उदय सिंह को छिपाकर बाहर भेज दिया और उसके बिस्तर पर अपने पुत्र बप्पा को राजसी वस्त्र पहनाकर पलंग पर लिटा दिया। दरिंदे बने बनबीर ने बप्पा को उदय सिंह समझा और मां के समक्ष ही उसकी हत्या कर दी। घायल हृदय के बावजूद पन्ना धाय ने फिर राज्य के वारिस को मेवाड़ ले जाकर उदय सिंह की परवरिश की। तदंतर जब वह चित्तौड़ का राजा बना तो इसने पन्ना धाय को अपनी मां के सदृश्य सम्मान भी प्रदान किया।
पन्नाधाय कौन थी?
दोस्तों पन्ना धाय राणा साँगा के पुत्र राणा उदयसिंह की धाय माँ थीं. पन्ना धाय किसी राजपरिवार की सदस्य नहीं थीं. अपना सर्वस्व स्वामी को अर्पण करने वाली वीरांगना पन्ना धाय का जन्म कमेरी गावँ मेवाड़ में हुआ था. राणा साँगा के पुत्र उदयसिंह को माँ के स्थान पर दूध पिलाने के कारण पन्ना ‘धाय माँ’ कहलाई थी.
पन्ना के बेटे को किसने तलवार से मारा था?
बनवीर ने
स्वामिभक्ति के लिए प्रसिद्ध मेवाड़ की धाय माँ कौन थी?
पन्ना धाय
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