बीरबल साहनी का जीवन परिचय (Biography of Birbal Sahni in Hindi)- भारतभूमि पर अनेक वैज्ञानिकों ने जन्म लिया है, जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय बौद्धिक क्षमता का परचम संपूर्ण निष्ठा के साथ लहराया है। उन विज्ञाविदों में एक नाम बीरबल साहनी का भी है, जो वनस्पति विज्ञान में अपने शोध के लिए अंतर्राष्ट्रीय सतर पर अपनी मजबूत पहचान बनाने में सफल रहे। प्रसिद्ध वनस्पति वैज्ञानिक डॉक्टर बीरबल साहनी का जन्म 14 नवंबर, 1891 को पंजाब के जिला शाहपुर में (अब पाकिस्तान का भाग) हुआ था। इनके पिता पंजाब विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र के प्राध्यापक थे। बीरबल साहनी की रुचि शुरू से ही वनस्पतियों की तरफ थी। पंजाब विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् ये उच्च अध्ययन के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय इंग्लैंड भी गए।
कैंब्रिज से डॉक्टरेट की उपाधि लेने के पश्चात् ये 1919 में भारत लौटे तथा काशी हिंदू विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान के प्राध्यापक बनाए गए। 1922 में ये लखनऊ विश्वविद्यालय में आए और पुरानी वनस्पतियों पर शोधकार्य करते रहे।
अब तक वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में इनकी देश-विदेश में प्रसिद्धि हो चुकी थी। इन्होंने प्राचीन पहाड़ी शिलाखंडों के अध्ययन कार्य को भी गति प्रदान की। इनके शोधकार्य को देखते हुए कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने 1929 में इन्हें डी.एस- सी. की उपाधि देकर सम्मानित किया। डॉक्टर बीरबल साहनी राष्ट्रवादी सोच के व्यक्ति थे। इंग्लैंड में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही इनकी पंडित जवाहरलाल
नेहरू से मित्रता हो गई थी। लखनऊ विश्वविद्यालय में रहते हुए इन्होंने 1946 में ‘पुरा वनस्पति संस्थान’ की स्थापना भी की। ये संस्थान अपने क्षेत्र की विश्वस्तरीय संस्था है और अब डॉक्टर बीरबल साहनी के ही नाम से संबोधित की जाती है। 10 अप्रैल, 1949 को हृदयाघात के कारण डॉक्टर साहनी का निधन हो गया, किंतु इनकी वनस्पति शोध की हरितिमा में आज भी इनका व्यक्तित्व जीवंत ही नजर आता है।
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