श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जीवनी, जयंती 2024 (Syama Prasad Mukherjee Biography In Hindi)
भारतीय जनसंघ पार्टी के संस्थापक के रूप में इन्हें ज्यादा जाना जाता है। ये हिंदूवादी विचारधारा के पोषक थे। बेशक ये राजनीति में थे, किंतु क्षुद्र स्तर की राजनीति करने में इनका कभी भी विश्वास नहीं रहा। ये सत्ता के लोभी नहीं रहे और राजनीति के माध्यम से देश को विकास की ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते थे। इसी प्रयास में इन्होंने अपनी जिंदगी भी कुर्बान कर दी, जब कश्मीर के भारत में पूर्व विलय के प्रश्न पर कश्मीर में गिरफ्तार किए गए थे। ऐसे ही महान राजनेता व शिक्षा शास्त्री डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1901 को कोलकाता में हुआ था। इनके पिता आशुतोष मुखर्जी कोलकाता विश्वविद्यालय के उप-कुलपति तथा कोलकाता उच्च न्यायालय के जज थे। कोलकाता में शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् श्यामा प्रसाद ने लंदन से कानून की उपाधि प्राप्त की, लेकिन इन्होंने कभी भी वकालत नहीं की। 1924 में ये कोलकाता विश्वविद्यालय की सीनेट और सिंडिकेट के लिए चयनित हुए और 1934 में वहां के उप-कुलपति भी बने। ये सर्वाधिक युवा उप-कुलपति थे।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जीवनी (Syama Prasad Mukherjee Biography
नाम (Name) | श्यामा प्रसाद मुखर्जी |
जन्मदिन (Birthday) | 06 जुलाई 1901 |
मृत्यु | 23 जून, 1953 |
जन्म स्थान (Birth Place) | कलकत्ता, बंगाल, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु स्थान | कश्मीर कारावास, स्वतंत्र भारत |
नागरिकता (Citizenship) | भारतीय |
गृह नगर (Hometown) | कलकत्ता |
कहां से हासिल की शिक्षा (Education) | प्रेसिडेंसी कॉलेज लिंकन इन, प्रेसीडेंसी कॉलेज |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
भाषा का ज्ञान (Language) | हिंदी, अंग्रेजी |
पेशा (Occupation) | राजनेता |
किस पार्टी से जुड़े हुए थे (Party) | भारतीय जनसंघ पार्टी |
श्यामा प्रसाद मुखर्जी के परिवार के बारे में जानकारी (Family Information)
पिता का नाम (Father’s Name) | आशुतोष मुखर्जी |
माता का नाम (Mother’s Name) | जोगमाया देवी मुखर्जी |
दादा का नाम (grandfather’s Name) | गंगा प्रसाद मुखर्जी |
भाई का नाम (Brother’s Name) | उमा प्रसाद और राम प्रसाद मुखर्जी |
बहनों का नाम | कमला, अमला और रामाला |
पत्नी का नाम (Wife’s Name) | सुधा देवी |
बेटों का नाम (Son’s Name) | अनुतोष और देबातोश |
बेटियों का नाम (Daughter’s Name) | सबिता और आरती |
नातिन (Grandniece’s Name) | कमला सिन्हा |
1929 में बंगाल विधान परिषद के सदस्य चुने जाने के साथ ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी सार्वजनिक जीवन में दाखिल हुए। जब कांग्रेस ने विधान मंडलों का बहिष्कार किया तो इन्होंने भी त्यागपत्र दे दिया और तदंतर स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में पुनः चयनित हुए। 1937 में ये फिर से बंगाल विधानसभा के चुनाव में यशस्वी हुए। वहां तब कांग्रेस के अलावा दो दल और थे। एक दल तो मुस्लिम लीग और दूसरा दल कृषक, प्रजा पार्टी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी चाहते थे कि मुस्लिम लीग सत्ता में न आ सके, इस निमित्त कांग्रेस कृषक प्रजा पार्टी का साथ दे। जब ये नहीं हो पाया तो इन्होंने दूसरे दलों की मदद से मुस्लिम लीग की सरकार को बर्खास्त करने का कार्य किया और फजलुल हक के संयुक्त मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री भी बने।
हिंदी व संस्कृति के पक्षधर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विनायक दामोदर सावरकर के आग्रह पर हिंदू महासभा में शामिल हो गए और 1939 में उसके अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए। जिस दौरान गांधी जी ने ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन शुरू किया, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मंत्रिमंडल में रहते हुए अंग्रेजों की दमन नीति और जापान के खतरे के कारण शुरू की गई ‘सर्वसंहार’ की नीति का विरोध किया और तदंतर मंत्रिपद त्याग दिया। जिस समय अंग्रेज अधिकारियों और कांग्रेस के मध्य देश की आजादी से लेकर वार्ताओं का दौर चला रहा था और मुस्लिम लीग पाकिस्तान की मांग पर अड़ी हुई थी, तब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने तब बंटवारे का व्यापक विरोध किया। कई लोग स्वीकार करते हैं कि आधे पंजाब व आधे बंगाल के भारत में ही बने रहने के पीछे श्यामा प्रसाद मुखर्जी के अथक प्रयासों का भी भारी योगदान रहा था।
आजाद भारत में जब प्रथम केंद्रीय सरकार बनी तो इनकी राष्ट्रव्यापी प्रसिद्धि एवं योग्यता के कारण इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। 1947 से 1952 तक ये केंद्र में उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री रहे, लेकिन सामान्य नीति संबंधी, खास तौर के पाकिस्तान के बारे में नीति विषयक मामलों में नेहरू जी से मतभेद हो जाने के कारण इन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया। हिंदू महासभा से भी वैचारिक मतभेद हुए। ये चाहते थे कि हिंदू महासभा की सदस्यता बिना जाति अथवा धर्म के भेदभाव के सभी भारतवासियों को प्रदान की जानी चाहिए, किंतु जब इनकी बात नहीं सुनी गई तो इन्होंने 21 अक्टूबर, 1951 को ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना की और उसके संस्थापक अध्यक्ष भी बने। इस संगठन के द्वार सभी भारतवासियों के लिए खुले थे। 1952 में ये प्रथम लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
कश्मीर में उस दौरान शेख अब्दुल्ला की हुकूमत थी। जम्मू कश्मीर प्रजा परिषद देश के दूसरे राज्यों की भांति कश्मीर का भी भारत में संपूर्ण विलय का आंदोलन चला रही थी। वहां की स्थिति का अध्ययन करने हेतु डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर गए और गिरफ्तार कर लिए गए। नजरबंदी की स्थिति में ही 23 जून, 1953 को श्रीनगर जेल में इनका महज 52 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।
FAQ
A-6जुलाई 1901
A-23जून 1953
A-कोलकाता
A-भारतीय जनसंघ
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